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सिकंदर ने चीन की महान दीवार से की थी बुंदेलखंड के कालिंजर किले की तुलना, विंध्य पर्वत की बढ़ाता है शोभा

उत्तर प्रदेश के बांदा का कालिंजर किला बहुत ही खास और कई सारे रहस्य समेटे हुए है। यह किला जमीन से 800 फीट की ऊंचाई पर है और इसकी लंबाई लगभग 108 फीट है। यह किला विंध्य पर्वत पर बना है। इस किले पर कब्जे के लिए महमूद गजनवी कुतुबुद्दीन ऐबक और हुमायूं ने कई आक्रमण किए लेकिन सभी असफल रहे।

By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Updated: Tue, 30 Jan 2024 02:15 PM (IST)
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कालिंजर किले का इतिहास, वास्तुकला और अन्य विशेषताएं
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अगर आप भारत के शानदार इतिहास से रूबरू होना चाहते हैं, तो यहां मौजूद किलों की सैर का प्लान बनाएं। राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हैदराबाद, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली में ऐसे कई किले हैं, जो अपनी शानदार बनावट के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं। उनमें से ही एक है बुंदेलखंड स्थित कालिंजर किला। जिसे अजेय किले के रूप में जाना जाता है। ये किला 108 फीट लंबा है। आइए जानते हैं इस किले की ऐसी ही कुछ अन्य खासियत के बारे में।

कलिंजर फोर्ट का इतिहास

ऐसा माना जाता है कि इस किले का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था। यह किला जमीन से 800 फीट ऊपर पहाड़ी पर बना हुआ है। कालिंजर का मतलब होता है 'कल को जर्जर करने वाला'। राजा केदार ने कालिंजर शहर की स्थापना की थी। उसके बाद 15वीं शताब्दी तक कालिंजर किले पर चंदेल शासकों का शासन किया। यह किले को खासतौर से युद्ध और आक्रमण के समय इस्तेमाल किया जाता था। महमूद गजनवी, शेरशाह सूरी, कुतुबुद्दीन ऐबक और हुमांयू ने इस किले पर कब्जा करने की बहुत कोशिशें की, लेकिन सब नाकामयाब रहें। कलिंजर किला पर कोई भी राजा ज्यादा समय तक राज नही कर पाया था।

कालिंजर किले की वास्तुकला

कालिंजर किले की वास्तुकला अद्बुत है। किले और उसके अंदर बने भवनों और मंदिरों में बारीक नक्काशी की गई है। विंध्याचल की पहाड़ी पर करीब 800 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस किले को नीचे से देखने ये बहुत ही बड़े महल जैसा नजर आता है। ये मध्यकालीन भारत के खूबसूरत और शानदार किलों में से एक है। इस किले में आप गुप्त, पंचायतन नागर और प्रतिहार शैलियों का अद्भुत संगम देख सकते हैं। कालिंजर किले में प्रवेश के लिए सात दरवाजे थे। सिंह द्वार पहला और सबसे मुख्य द्वार है। इसके अलावा, गणेश द्वार, चंडी द्वार, स्वर्गारोहण द्वार या बुद्धगढ़ द्वार, हनुमान द्वार, लाल द्वार और नेमि द्वार से भी किले में प्रवेश किया जा सकता है।  

कालिंजर किले में देखने लायक जगहें

- कालिंजर किले जाएं, तो यहां नीलकंठ मंदिर के दर्शन जरूर करें। जिसे चंदेल शासक परमादित्य देव ने बनवाया था। इस मंदिर में नीले पत्थर का शिवलिंग विराजमान है। 

- कालिंजर किले में मुगल बादशाह आलमगीर औरंगज़ेब द्वारा निर्मित आलमगीर दरवाजा, चौबुर्जी दरवाजा, बुद्ध भद्र दरवाजा और बारा दरवाजा देखने लायक जगहें हैं। 

- सीता सेज गुफा, जिसे माता सीता का विश्राम स्थल कहा जाता है, इसमें पत्थर का पलंग और तकिया रखा हुआ है। पास में ही एक कुण्ड है, जो सीताकुण्ड कहलाता है। ये दोनों जगहें भी यहां आकर जरूर देखें।

- किले में बुड्ढा एवं बुड्ढी नामक दो ताल बने हुए हैं, जो अपने औषधीय गुणों से लिए मशहूर हैं। कहा जाता है कि चंदेल राजा कीर्तिवर्मन का कुष्ठ रोग इसी ताल में स्नान करने से दूर हुआ था।

- कालिंजर किले में राजा और रानी महल नाम के दो बहुत ही शानदार महल हैं। जिसमें पाताल गंगा नामक जलाशय है। यहां के पांडव कुंड में चट्टानों से लगातार पानी की बूंद टपकती रहती है। ऐसा कहते हैं कि इसके नीचे से पाताल गंगा बहती है, जो इस कुंड को भरने का काम करती हैं। ये जगह शिव भक्तों के तप की जगह हुआ करती थी। 

- इसके अलावा कोटितीर्थ, शाही मस्जिद, वाऊचोप मकबरा, मृगधारा, भगवान सेज, पांडव कुंड, रामकटोरा ताल, मजार ताल, बेलाताल, सात हिरणों की मूर्तियां, भैरव की प्रतिमा, मंडूक भैरवी, चतुर्भुजी रुद्राणी भी देखने लायक हैं।

कैसे पहुंचें?

इस किले को घूमने के लिए आपको बुंदेलखंड पहुंचना होगा। यहां से कालिंजर फोर्ट के लिए आसानी से लोकल बसें और टैक्सी मिल जाती हैं। वैसे झांसी से भी यहां के लिए लोकल ट्रांसपोर्ट की सुविधा मौजूद है। 

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Pic credit- kalinjar_fort/Instagram