Move to Jagran APP

Hills Travel Tips: पहाड़ की यात्रा की बन रही है योजना, तो स्वास्थ्य से जुड़ी इन बातों का जरूर रखें ध्यान

Hills Travel Tips मैदानी इलाकों से ऊंचे पहाड़ों की यात्रा करने पर कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में जरूरी है कि हम स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ बातों का ख्याल रखें।

By Jagran NewsEdited By: Ruhee ParvezPublished: Mon, 15 May 2023 10:38 AM (IST)Updated: Mon, 15 May 2023 10:38 AM (IST)
Hills Travel Tips: पहाड़ों की यात्रा करने पर इन बातों का रखें ध्यान

नई दिल्ली। Hills Travel Tips: इन दिनों उत्तराखंड में चारधाम यात्रा चल रही है, जिसके लिए देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। जून के आखिर में जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा भी होने वाली है। यदि जरूरी सावधानियां बरतें, तो पहाड़ों की दुर्गम यात्रा के दौरान स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से बचे रहकर यात्रा का भरपूर आनंद ले सकते हैं।

मैदानी इलाकों से आ रहे श्रद्धालु पहाड़ों की यात्रा के अभ्यस्त नहीं होते हैं, ऐसे में उन्हें कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इनमें हाइपोथर्मिया (अधिक ठंड में शरीर के तापमान में तेजी से गिरावट) और हाई एल्टीट्यूड (ऊंचे पर्वतीय स्थान) के कारण होने वाली समस्याएं सामने आती हैं। हृदयरोगियों के लिए यह यात्रा कहीं अधिक जोखिम भरी होती है।

अधिक ऊंचाई से होने वाली दिक्कतें

ऊंचाई वाले इलाकों में यात्रा के दौरान फेफड़े और मस्तिष्क संबंधी परेशानियां अधिक होती हैं। सबसे आम सिंड्रोम एक्यूट माउंटेन सिकनेस है, जो आमतौर पर चढ़ाई के कुछ घंटों के भीतर शुरू होता है। इसमें सिरदर्द के साथ भूख नहीं लगना, मिचली, उल्टी, नींद में खलल, थकान और चक्कर आना प्रमुख लक्षण हैं। अधिक ऊंचाई पर ऑक्सीजन कम होने से हाइपोक्सिया हो सकता है। पहाड़ों पर कम तापमान में नदी के ठंडे पानी में स्नान करने से बचना चाहिए। इससे हाइपोथर्मिया हो सकता है, जिससे कंपकंपी, धीमी आवाज, धीमी सांस और भ्रम की स्थिति हो सकती है। हाइपोथर्मिया से दिल का दौरा पड़ने, श्वसन प्रणाली की विफलता, यहां तक कि मृत्यु का भी खतरा हो सकता है।

हाइपोथर्मिया में क्या करें

  • गर्दन, छाती या कमर पर गर्म और सूखी सिकाई करें। गर्म पानी या शरीर पर गर्म पानी की थैली न रखें।
  • व्यक्ति को हवा से बचाएं, खासकर गर्दन और सिर के आसपास।
  • गर्म कपड़े पहनाएं। कंबल ओढ़ाएं।
  • अगर गर्म पानी की बोतल या किसी केमिकल वाले गर्म पैक का इस्तेमाल करते हैं, तो इसे पहले एक तौलिये में लपेट लें। व्यक्ति को गर्म व मीठा पेय पीने को दें।
  • शरीर को हीटिंग लैंप या गर्म पानी से नहाकर गर्म न करें। हाथ और पैर को भी गर्म करने का प्रयास न करें। क्योंकि इस स्थिति में किसी के अंगों को गर्म करने या मालिश करने से हृदय और फेफड़ों पर दबाव पड़ सकता है।

यात्रा के दौरान सावधानियां

  • हाइड्रेशन (पानी का भरपूर सेवन), पर्याप्त पोषण, ऊनी कपड़े और कपड़ों की कई परतें, धीमी चढ़ाई और भरपूर आराम से हाइपोथर्मिया से बचे रह सकते हैं।
  • अधिक ऊंचाई पर दिन की यात्रा करने पर विचार करें और फिर सोने के लिए कम ऊंचाई पर लौटें।
  • एसिटाजोलमाइड का उपयोग बचाव और अधिक ऊंचाई की बीमारी के दौरान उपचार दोनों के लिए किया जाता है।
  • इसके अलावा एस्पिरीन, पैरासिटामॉल, इबुप्रोफेन भी उपयोगी दवाएं हैं। हालांकि, डॉक्टर की सलाह के बाद ही इनका इस्तेमाल करना चाहिए।
  • महिला, बुजुर्ग, बच्चे और पहले से बीमार व्यक्तियों में हाइपोथर्मिया, हाइपोक्सिया और उच्च ऊंचाई की बीमारी होने का अधिक जोखिम रहता है। बुजुर्ग, बीमार या जो कोविड संक्रमित हो चुके हैं, संभव हो तो अपनी यात्रा स्थगित कर दें।
  • यात्रा शुरू करने से पहले हर उम्र के लोग अपनी स्वास्थ्य जांच अवश्य कराएं।

खानपान का रखें विशेष ध्यान

  • पहाड़ों पर अधिक ऊर्जा खपत के चलते अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है। इस दशा में उच्च प्रोटीन और पर्याप्त वसा वाले कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार लें।
  • प्रतिदिन तीन से चार लीटर पानी, नारियल पानी और फलों का रस पिएं।
  • सूखे मेवे सेहत के लिए उपयोगी हैं।
  • थकान से बचने के लिए छह सप्ताह पहले आयरन युक्त आहार का सेवन बढ़ा सकते हैं।
  • खाली पेट यात्रा ना करें।

क्यों होती है शरीर में पानी की कमी

शुष्क हवा और तेजी से सांस लेने से पहाड़ी स्थानों पर शरीर में पानी की कमी हो जाती है। शुष्क मुंह, होठ व नाक, सिर दर्द, थकान व सुस्ती, गहरी-तेज सांस, कमजोर नाड़ी, चक्कर आना, तापमान में गिरावट, कम रक्तचाप और मांसपेशियों में ऐंठन शरीर में पानी की अधिक कमी के लक्षण हैं। पानी का सेवन बढ़ाने के साथ-साथ फल और सब्जियां खाकर भी डिहाइड्रेशन को रोक सकते हैं।

हृदय रोगी क्या करें

  • कोरोनरी धमनी रोग के ज्ञात मामले वाले लोगों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने से बचना चाहिए।
  • हृदय रोगियों को 4,500 मीटर से अधिक ऊंचाई की यात्रा से बचना चाहिए।
  • दिल की बीमारी वाले यात्रा से पहले डॉक्टर से अवश्य परामर्श करें, आवश्यक दवाएं जरूर साथ ले जाएं।

अस्थमा, सांस या फेफड़े के रोगी

  • अस्थमा के रोगी ज्यादा ऊंचाई की यात्रा कर सकते हैं, लेकिन आश्वस्त हो लें कि अस्थमा नियंत्रण में है।
  • ऊनी कपड़ा, ऊनी दुपट्टा और फेस मास्क पहनें।
  • गर्म पेय से हाइड्रेटेड रहें।
  • अस्थमा की दवा हमेशा अपने पास रखें।

ऑक्सीजन लेवल 90 या इससे नीचे आने पर

  • अगर ऑक्सीजन का स्तर 90 या इससे नीचे आ जाता है, तो सांस लेने में परेशानी, अत्यधिक थकान व कमजोरी, मानसिक भ्रम, सिर दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं।
  • व्यक्ति को हवादार कमरे में रखकर और ऑक्सीजन देकर प्राथमिक देखभाल दी जा सकती है।
  • हालत में सुधार न होने पर नजदीकी चिकित्सा सुविधा की मदद लें।

अचानक घबराहट या सांस फूलने पर

  • ऊंचाई चढ़ना बंद कर दें और आराम करें। राहत मिलने के बाद धीमी गति से चढ़ना शुरू करें।
  • अगर राहत नहीं मिलती है, तो जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता लें।
  • गंभीर मामलों का इलाज नाक के माध्यम से दिए गए ऑक्सीजन के साथ-साथ एसिटाजोलमाइड, डेक्सामेथासोन या दोनों दवाओं के साथ किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए डॉक्टर का परामर्श जरूरी है।

40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग रखें इन बातों का ध्यान

  • ठंड से रक्त नलिकाएं सिकुड़ती हैं, जिससे रक्त संचार बाधित होता है। पूर्ण स्वस्थ व्यक्ति को भी यह समस्या हो सकती है।
  • बीमार होने से बचने के लिए 2,500 मीटर से ऊपर की ऊंचाई पर धीरे-धीरे यात्रा करें।
  • हेलीकॉप्टर से सीधे उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों तक पहुंचने से बचना चाहिए। संभव हो तो 2,500 मीटर से ऊपर जाने से पहले उच्च ऊंचाई के अभ्यस्त होने के लिए दो से तीन दिन का समय लें।
  • एक दिन में 500 मीटर से अधिक चढ़ने से बचें। हर 600 मीटर से 900 मीटर के बीच एक दिन आराम अवश्य करें।
  • धूमपान और शराब से बचें।
  • अभ्यस्त होने तक पहले 48 घंटों तक व्यायाम और शराब से परहेज भी लक्षणों के जोखिम को कम कर सकता है।
  • यदि एक्यूट माउंटेन सिकनेस है तो अभ्यस्त होने तक चढ़ाई की सलाह नहीं दी जाती है।

अचानक बर्फबारी होने पर

  • अचानक बर्फबारी हाइपोथर्मिया का कारण बन सकती है।
  • बर्फ में खेलने से परहेज करें और अत्यधिक ठंड से खुद को बचाएं।
  • ऊनी कपड़े और जैकेट पहनें।
  • गर्म पानी पीकर खुद को हाइड्रेटेड रखें।

डॉ. अजीत सिंह भदौरिया

(एसोसिएट प्रोफेसर, कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन, एम्स, ऋषिकेश)

प्रस्तुति : हरीश तिवारी, ऋषिकेश

This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.