Shaktipeeth: विदेशों में भी स्थित हैं देवी के शक्तिपीठ, जानें उन जगहों के नाम
देवी सती के शरीर के 51 भाग जिस-जिस स्थान पर गिरे वे स्थान शक्तिपीठ कहलाते हैं। इन शक्तिपीठों पर नवरात्र में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। इन शक्तिपीठों में 9 शक्तिपीठ विदेशों में स्थित हैं। आगर आप भी इन शक्तिपीठों के दर्शन करना चाहते हैं तो जानें भारत के अलावा और किन देशों में देवी के शक्तिपीठ स्थापित हैं।
By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaUpdated: Thu, 19 Oct 2023 07:52 AM (IST)
नई दिल्ली,लाइफस्टाइल डेस्क। Shaktipeeth: नवरात्र में शक्ति के नौ अलग-अलग रूपों को पूजा जाता है। देवी के मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है। भगवान शिव की पत्नी सती के रूप में जब देवी सती ने खुद को हवन कुंड में भस्म किया था, तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उनके शरीर के 51 टुकड़े किए थे। ये टुकड़े धरती पर जहां-जहां गिरे, वे स्ठान शक्तिपीठ कहलाए जाते हैं। हिंदू धर्म में इन स्थानों का बहुत महत्व है। लेकिन ये सभी शक्तिपीठ भारत में नहीं हैं, 51 में से 9 शक्तिपीठ भारत से बाहर स्थापित हैं। जानें कौन से शक्तिपीठ विदेश में स्थापित हैं।
बांग्लादेश
बांग्लादेश में चार शक्तिपीठ हैं। सुगंधा शक्तिपीठ, करतोयाघाट शक्तिपीठ, चट्टल शक्तिपीठ और यशोर शक्तिपीठ।
सुगंधा शक्तिपीठ
यहां देवी सती की नाक गिरी थी। यह बांग्लादेश के बरिसाल जिले से 20 कि.मी, दूर शिकारपुर में स्थित है। यहां देवी को सुनन्दा, देवी तारा के नाम से भी जाना जाता है। यहां के भैरव को त्रयंबक भैरव कहा जाता है।यह भी पढ़ें: नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की होती है पूजा, जानें भोग रेसिपी
करतोयाघाट शक्तिपीठ
यह बांग्लादेश के भवानीपुर के बेगड़ा में स्थित है। यहां देवी के बाएं पैर का पायल गिरी थी। यहां देवी को अपर्णा के रूप में जाना जाता है और भैरव शिव वामन के नाम से जाने जाते हैं।चट्टल शक्तिपीठ
यह बांग्लादेश के चटगांव में स्थित है। यहां देवी की दाहिनी भुजा गिरी थी। यहां की शक्ति को भवानी और भैरव को चंद्रशेखर कहा जाता है।
यशोर शक्तिपीठ
यह बांग्लादेश के जैसोर खुलना नामक स्थान में स्थित है। यहां देवी की बायीं हथेली गिरी थी। यहां की शक्ति को यशोरेश्वरी और भैरव को चंद्र कहा जाता है।पाकिस्तान
पाकिस्तान में एक शक्तिपीठ स्थापित है, जिसे हिंगलाज शक्तिपीठ कहा जाता है। यहां देवी सती का सिर गिरा था। यह पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है, जो करांची से 125 कि.मी. दूर है। यहां की देवी को कोट्टरी और भैरव को भीमलोचन के नाम से जाना जाता है।तिब्बत
तिब्बत में मानसरोवर के पास मानस शक्तिपीठ स्थापित है। इस स्ठान पर देवी की दाहिनी हथेली गिरी थी। इस शक्तिपीठ की देवी को दक्षायणी और भैरव को अमर कहा जाता है।नेपाल
नेपाल में दो शक्तिपीठ स्थापित हैं। गुह्येश्वरी शक्तिपीठ और गण्डकी शक्तिपीठ।गुह्येश्वरी शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ काठमांडू में स्थित है। यहां देवी के दोनों घुटने गिरे थे। यह पशुपति मंदिर के पास स्थित है। यहां की देवी को महामाया और भैरव को कपाल कहा जाता है।गण्डकी शक्तिपीठ
यह नेपाल के गण्डकी नदी के पास स्थित है। इस स्ठान पर देवी का कपोल गिरा था। यहां की देवी को गण्डकी और भैरव को चक्रपाणि कहा जाता है।