‘द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया’ कहलाती हैं Kumbhalgarh Fort की दीवारें, 15 साल में बनकर हुआ था तैयार
राजस्थान की खूबसूरती का पूरी दुनिया में कोई जोड़ नहीं है। यहां की अनोखी परंपराएं और रंग-बिरंगी संस्कृति लोगों को हमेशा से ही अपनी तरफ आकर्षित करती रही है। यहां कई सारे किले और महल मौजूद हैं जिन्हें देखने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। Kumbhalgarh Fort इन्हीं में से एक है जो अपनी लंबी दीवारों और मजबूती के लिए जाना जाता है। आइए जानते हैं इस किले का इतिहास-
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान अपनी खूबसूरती और अनूठी परंपराओं के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां कई ऐसे दार्शनिक स्थल हैं, जिनकी खूबसूरती से रूबरू होने से देश ही नहीं, विदेश से भी लोग यहां आते हैं। इस राज्य में कई सारे किले और महल भी मौजूद हैं, जो राजस्थान की शान में चार चांद लगाते हैं। कुंभलगढ़ किला (Kumbhalgarh Fort) इन्हीं में से एक है, जिसकी खूबसूरती को निहारने लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। यह किला जितना शानदार है, उतना ही शानदार इसका इतिहास है। आइए आज जानते हैं राजस्थान के कुंभलगढ़ किले का सुनहरा इतिहास-
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कुंभलगढ़ किले का इतिहास
कुंभलगढ़ किला अपनी विशाल दीवारों के लिए जाना जाता है। 36 किलोमीटर तक फैली इसकी दीवारें चीन की ग्रेट वॉल के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती है। यही कारण है कि इस किले की दीवार को अक्सर भारत की लंबी दीवार के रूप में जाना जाता है। राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित यह शानदार किला अरावली पहाड़ों की पश्चिमी श्रृंखला पर उदयपुर से लगभग 84 किमी दूर है। इस किले को 15वीं शताब्दी में मेवाड़ क्षेत्र के शासक राणा कुंभा द्वारा बनवाया गया था।अभेद्य किलों में से एक कुंभलगढ़ किला
अपनी मजबूत सुरक्षा और पृथक स्थान के कारण कुंभलगढ़ किले को भारत के सबसे अभेद्य किलों में से एक माना जाता था। इस किले को मेवाड़ किले के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान महान राजपूत राजा महाराणा प्रताप का जन्मस्थान था। इस किले की हर चीज दुश्मन से बचने के लिए बनाई गई थी। इस किले में मौजूद सात दरवाजें, 13 पर्वत चोटियों और कई वॉच टावरों ने इसे दुश्मन के लिए और अधिक चुनौती बना दिया। कुछ ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि इस किले को सिर्फ एक बार ही घेरा गया था।
किले में मौजूद सात द्वार
इस विशाल किले में प्रवेश करने के लिए सात गढ़वाले प्रवेश द्वार बनाए गए थे। इन सातों दरवाजों का नाम अरेट पोल, हनुमान पोल, राम पोल, विजय पोल, निंबू पोल, पाघरा पोल और टॉप खाना पोल है। इसके अलावा आप इसके अंदर बादल महल भी देख सकते हैं। यह महल किले के सबसे ऊंचे स्थान पर मौजूद हैं, जहां से आसपास के ग्रामीण इलाकों और बादलों का मनमोहक दृश्य नजर आता है। इसी वजह से इसे बादल महल कहा जाता है। साथ ही इस किले के परिसर में 360 से अधिक मंदिर भी मौजूद हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर है।यूनेस्को विश्व धरोहर
अपनी कई सारी खूबियों और शानदान इतिहास की वजह से कुंभलगढ़ किला यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में शामिल है। राजस्थान के पहाड़ी किलों का एक हिस्सा कुंभलगढ़ किला साल 2013 से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल चुना गया था। इस किले की भव्यता को देखने आज भी भारी संख्या में लोग यहां आते हैं। शाम के समय इस किले में आने वाले पर्यटक यहां शानदार लाइट और साउंड शो का आनंद ले सकते हैं, जिसमें किले से जुड़े इतिहास का वर्णन किया जाता है।
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