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कला प्रेमियों को जरूर देखना चाहिए गुजरात का Lalbhai Dalpatbhai Museum, छठवीं शताब्दी की मूर्तियां भी हैं मौजूद

गुजरात का जिक्र हो लेकिन उसकी समृद्ध संस्कृति और पर्यटन स्थलों की बात न की जाए ऐसा हो ही नहीं सकता है। इतिहास और कला प्रेमियों के लिए यहां कई ऐतिहासिक जगह मौजूद हैं जहां सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी बड़ी संख्या में टूरिस्ट विजिट करते हैं। आज हम आपको बताएंगे अहमदाबाद स्थित लालभाई दलपतभाई संग्रहालय (Lalbhai Dalpatbhai Museum) से जुड़ी कुछ खास बातें। आइए जानें।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sat, 25 May 2024 05:18 PM (IST)
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कला प्रेमियों के लिए जन्नत से कम नहीं है गुजरात का Lalbhai Dalpatbhai Museum (Image Source: X)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Lalbhai Dalpatbhai Museum: गुजरात अपनी समृद्ध संस्कृति और पर्यटन स्थलों के लिए काफी प्रसिद्ध है। अगर आप भी इतिहास और कला में थोड़ी दिलचस्पी रखते हैं, तो आज हम आपके लिए यहां विजिट करने लायक एक शानदार जगह लेकर आए हैं, जहां आपको 75 हजार के करीब पांडुलिपियों का संग्रह और अलग-अलग भाषाओं की 45 हजार पुस्तकें देखने को मिल जाएंगी। जी हां, हम बात कर रहे हैं गुजरात के अहमदाबाद में स्थित लालभाई दलपतभाई संग्रहालय के बारे में, जहां आज भी छठवीं शताब्दी की प्रतिमाएं देखने को मिल सकती हैं।

कब हुई थी इस म्यूजियम की शुरुआत?

लालभाई दलपतभाई (एलडी) संग्रहालय कला और इतिहास प्रेमियों के लिए एक खास जगह है। यह एलडी इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, अहमदाबाद के परिसर में स्थित है, जिसकी शुरुआत साल 1956 में एलडी इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी के रूप में हुई थी। बताया जाता है कि इसे लेकर अहमदाबाद के प्रसिद्ध उद्योगपति शेठ कस्तूरभाई लालभाई और साधु मुनि पुण्यविजयजी ने कई कोशिशें की थीं।  

1985 में जनता के लिए खुला

छोटे संग्रह से शुरू हुआ यह संग्रहालय धीरे-धीरे बढ़ता गया और एक नई इमारत में तब्दील होने के बाद एलडी इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी के रूप में शुरू हुए इस संग्रह को साल 1985 में जनता के लिए खोल दिया गया था।

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चोल वंश से जुड़ी चीजें हैं मौजूद

इस संग्रहालय में आपको 11वीं सदी की नटराज की प्रतिमा देखने को मिल जाएगी, जो कि चोल साम्राज्य से जुड़ी है। 18वीं शताब्दी के नेपाली और तिब्बती संग्रह, चीनी/जापानी शैली की अलमारी भी यहां आकर्षण के बड़े केंद्रों में से एक है।

भारतीय भाषाओं की 45 हजार पुस्तकें

यहां मौजूद चित्र संग्रह की बात करें, तो इसमें 1,855 से ज्यादा पेंटिंग्स शामिल हैं। इसके अलावा यहां संस्कृत, पाली, गुजराती, हिंदी और राजस्थानी आदि भाषाओं में लिखी 45 हजार पुस्तकें भी मौजूद हैं।

75 हजार पांडुलिपियां हैं मौजूद

लालभाई दलपतभाई संग्रहालय में मूर्तियां, कांस्य कृतियां, पांडुलिपियां, चित्र, पत्थर, संगमरमर, तांबे और लकड़ी से बनी कलाकृतियां काफी खास हैं। इसके अलावा आप यहां प्राचीन और समकालीन सिक्कों का भी दीदार कर सकते हैं। जानकारी के मुताबिक यहां जैन धर्म से जुड़ी तकरीबन 75 हजार पांडुलिपियां मौजूद हैं। छठवीं शताब्दी की पत्थर से तराशी गई भगवान राम की प्रतिमा भी यहां बड़े आकर्षण में से एक है। इसके अलावा आप यहां मध्यकालीन भारतीय संस्कृति से जुड़ी चीजें भी देख सकते हैं, जिसके लिए यहां 9 गैलरियां हैं।

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