राम मंदिर की थीम से सजा इस बार Lalbaugcha Raja का दरबार, जानें कैसे हुई मुंबई के इस मशहूर पंडाल की शुरुआत
Ganesh Chaturthi 2024 की शुरुआत 7 सितंबर से होने वाली है। यह त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। खासतौर पर मुंबई में इसकी अलग ही रौनक देखने को मिलती है। यहां मौजूद Lalbaugcha Raja Pandal 2024 पूरे देश में प्रसिद्ध पंडाल है जिसके दर्शन करने दूर-दूर से लोगा यहां आते हैं। आइए जानते हैं इस बार की इसकी थीम और इसका इतिहास।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। देश भर में गणेश उत्सव की धूम देखने को मिल रही है। यह त्यौहार हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे हर साल हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। खासकर मुंबई में इस त्योहार का जश्न देखने लायक होता है। पूरे महाराष्ट्र में यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान यहां कई सारे पंडाल भी लगाए जाते हैं, जहां लोग बप्पा के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं। मुंबई में यूं तो कई गणेश पंडाल मशहूर हैं, लेकिन इन सब में लालबागचा राजा (Lalbaugcha Raja Pandal in Mumbai) सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है।
हर साल हजारों की संख्या में भक्त गणेश चतुर्थी के दौरान यहां दर्शन करने पहुंचते हैं। लालबागचा राजा जिसे लालबाग के राजा या नवसाचा गणपति और इच्छा पूर्ति गणेश के रूप में भी जाना जाता है, मुंबई के सबसे प्रसिद्ध पंडालों में से एक है। हर साल यहां स्थापित होने वाली गणेश मूर्ति का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। इसी क्रम में इस साल भी लोग बप्पा के पहले दर्शन के लिए बेताब थे।
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क्या है इस साल की थीम
ऐसे में बीते दिन यानी 5 सितंबर को लालबागचा राजा के इस साल के पहले लुक को रिवील किया गया। बप्पा की पहली झलक सामने आते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। मैरून रंग की पोशाक और सोने के आभूषणों से सजे बप्पा की 12 फुट की मूर्ति सभी का मन मोह रही थी। साथ ही इस बार की थीम भी बेहद खास रखी गई है। इस साल लालबागचा राजा की थीम (Lalbaugcha Raja 2024 theme) अयोध्या के राम मंदिर से प्रेरित है, जिसे कला निर्देशक नितिन चंद्रकांत देसाई ने डिजाइन किया है। हर बार चर्चा में रहने वाले लालबागचा राजा का इतिहास काफी पुराना और दिलचस्प है, तो आइए जानते हैं बप्पा के इस पंडाल (Lalbaugcha Raja 2024 History) का इतिहास-
लालबागचा राजा का इतिहास
लालबाग के राजा की शुरुआत 1900 के दशक से जुड़ी है, जब इस क्षेत्र में 100 कपड़ा मिलों का प्रभुत्व हुआ करता था, लेकिन 1930 की दशक में औद्योगीकरण के दौरान वहां के टेक्सटाइल वकर्स को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा, जिसके बाद वह गणपति के शरण में गए। इसी बीच उन्हें जमीन का एक टुकड़ा दिया गया, जिसे वर्तमान में लालबाग मार्केट के नाम से जाना जाता है। उन्होंने इसे बप्पा की कृपा मानकर जमीन का एक हिस्सा गणपति पूजा के लिए समर्पित कर दिया।इसी हिस्से में लालबागचा राजा की स्थापना हुई और उनकी मूर्ति बनाने की जिम्मेदारी कंबली परिवार ने उठाई, जो आज तक जारी है। इस परिवार के लोग ही लालबाग के गणपति की मूर्ति बनाते हैं और उसका रख-रखाव भी करते हैं। इतना ही नहीं उन्होंने इस मूर्ति का डिजाइन भी पेटेंट कराया हुआ है।यह भी पढ़ें- गणेश उत्सव पर दिल्ली के इन 10 मंदिरों में करें बप्पा के दर्शन, मिलेगी मन को शांति