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केरल को यादगार बनाएं इन 7 त्‍यौहारों के मौके पर घूमने जाएं

यूं तो पूरे देश में त्‍यौहार धूमधाम से मनाए जाते हैं लेक‍िन केरल में बात कुछ और है। यहां नई संस्कृति को जानने का मौका मिलता है। ऐसे में इन 7 त्‍यौहारों पर केरल जरूर घूमें...

By shweta.mishraEdited By: Updated: Thu, 22 Jun 2017 03:49 PM (IST)
केरल को यादगार बनाएं इन 7 त्‍यौहारों के मौके पर घूमने जाएं
ओणम त्‍यौहार:
ओणम केरल के सबसे प्रसिद्ध और रंगीन त्यौहारों में से एक है। इस त्‍यौहार पर घरों को फूलों से सजाया जाता है। इसे थिरुवोनम के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार केरल के सभी नागरिकों द्वारा मनाया जाता है। इसमें हर जाति, वर्ग, पंथ, समुदाय के लोग बढ़चढ़ कर ह‍िस्‍सा लेते हैं। यह मुख्‍य रूप से फसल से जुड़ा उत्सव है जो साल में एक बार मलयालम माह चिंगोम में मनाया जाता है। ओणम से जुड़ी और भी कई चीजें बेहद रोचक है। इस दौरान मुख्य रूप से पुकलम का सृजन होता है। यह मंद‍िरों घरों के अलावा मंद‍िरों व बड़े-बड़े पंडालों में भी मनाया जाता है। इसके अलावा यहां पर नाव की दौड़ में भाग लेने जैसे कई अन्य रोमांचक खेलों आयोजन भी होता है। ऐसे में इस त्‍यौहार के दौरान यहां पर आना एक मजेदार पल को जीने जैसा होगा। 


त्रिशूर पूरम महोत्सव:

यह त्‍यौहार भी केरल के प्रमुख त्‍यौहारों में से एक है। त्रिशूर पूरम महोत्सव करीब 200 से अध‍िक साल पुराना है। यह त्योहार अनिवार्य रूप से भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाता है। त्रिशूर पूरम महोत्सव अप्रैल के महीने में केरल के प्रस‍िद्ध मंद‍िर वड़कुंकनाथ में मनाया जाता है। साल में एक बार मनाए जाने वाले इस त्‍यौहार में देश ही नही व‍िदेश से भी लोग आते हैं। यहां लोगों द्वारा 36 घंटे की लंबी पूजा की जाती है। इस दौरान शानदार आत‍िशबाजी होती है। इतना ही नहीं यहां पर रंगों, संगीत और भक्ति का एक अनोखा संगम देखने को म‍िलता है। इस दौरान करीब 50 सजे-धजे हाथी ड्रम की आवाज पर थ‍िरकते हुए सड़क पर न‍िकलते हैं। यह जुलूस देखने में बेहद शानदार लगता है। इस त्‍यौहार के समय मौसम भी अनुकूल रहता है। 

केरल नाव त्‍यौहार:

केरल में नाव यात्रा करना बड़ी संख्‍या में लोगों को पसंद है, लेक‍िन यहां के नाव वाले त्‍यौहार की बात ही कुछ और है। इसे बोट फेस्‍ट‍िवल नाम से जाना जाता है। केरल और वहां के न‍िवास‍ियों का नौकाओं से अद्वितीय संबंध हैं। सबसे खास बात तो यह है कि‍ यहां के न‍िवास‍ियों को नौकाओं से संबंधित किसी भी उत्सव में हिस्सा लेना बहुत अच्‍छा लगता है। इसीलि‍ए यहां पर नाव से जुड़े त्‍यौहार भी धूमधाम से मनाए जाते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा लोकप्रिय, नेहरू ट्रॉफी बोट रेस, चंपकुलम मूल बोट रेस, पल्पदाद झील पर पूननामदा झील पीलपाद जलोत्सवम हैं। इनमें भाग लेने के लि‍ए बड़ी संख्‍या में व‍िदेशी पर्यटक भी आते हैं। ऐसे में अगर आप भी केरल घूमने का प्‍लान कर रहे हैं तो फ‍िर इन त्‍यौहारों का आनंद जरूर लें। 

विशु महोत्सव:

यह भी केरल का एक बड़ा त्‍यौहार है। व‍िशू महोत्‍सव को विष्णु त्‍यौहार के नाम से भी जाना जाता है। 

यह राज्य की मलयाली आबादी के लिए नया साल होता है। यह त्‍यौहार इस आबादी के प्राचीन ज्योतिषीय कैलेंडर पर आधारित होता है। विष्णु महोत्सव अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। इस दौरान कई आकर्षक और रंगीन प्रदर्शनियां भी लगाई जाती हैं। इस त्‍यौहार की सबसे खास बात यहां की कन्या कनल की प्रथा है। कन्या कनल प्रथा का मतलब है पहली नजर। इस प्रथा में, यह माना जाता है कि आने वाले वर्ष का भाग्य इस बात पर निर्भर करता है क‍ि इस दिन सुबह क्या वस्तु देखी गई है। इस त्‍यौहार में एक अन्य परंपरा भी है। इसमें परिवार के युवा सदस्यों को पैसे का वितरण होता है। दोपहर के भोजन के बाद इस त्योहार की रात में आतिशबाजी का शानदार प्रदर्शन होता है। 

अट्टुकल पोंगल महोत्सव:

अट्टुकल पोंगल महोत्सव भी केरल का काफी मशहूर त्‍यौहार है। हालांक‍ि यह मुख्‍य रूप से महि‍लाओं द्वारा ही मनाया जाता है। इस त्योहार को भी खुशी के साथ हर  धर्म, जाति और वर्ग के बीच मनाने की परंपरा है। यह त्‍यौहार 10 द‍िनों तक चलता है। इसकी शुरुआत मलयालम माह मकरम-कुंभम यानी फरवरी के अंत‍िम दौर में भरानी दिवस को होती है। यह त्‍यौहार तिरुवनंतपुरम शहर के देवी पार्वती के मंद‍िर में उनके सम्मान में मनाया जाता है। इस दौरान यहां पर बड़ी संख्‍या में महिलाओं द्वारा अनेक तरह के पकवान पार्वती जी को भेंट कि‍ए जाते हैं। जि‍नमें गुड़, चावल और केले के बनाए पकवान मुख्‍य रूप से शाम‍िल होते हैं। इस दौरान इस उत्‍सव को देखने के लि‍ए बड़ी संख्‍या में लोगों की भीड़ होती है। 

तेयम त्‍यौहार: 

केरल में एक तेयम त्‍यौहार भी खास है। यह त्‍यौहार लगभग 800 वर्ष पुराना है। तेयम महोत्सव दिसम्बर से अप्रैल तक के महीनों में मनाया जाता है। इस त्‍यौहार में लगभग 400 विभिन्न सांस्कृतिक नृत्यों का प्रदर्शन किया जाता है। सबसे खास बात तो यह है क‍ि इसमें कालाकार देवताओं के रूप में तैयार होकर नृत्‍य करते हैं। रंगब‍िरंगे कपड़ों, फूलों और मुखौटों से सजे ये कालाकार देखने में बेहद खूबसूरत लगते हैं। सबसे खास बात तो यह है कि‍ जब ये नृत्‍यकार एक ताल पर नृत्‍य करते हैं उस दौरान फूलों की वर्षा की जाती है। इस दौरान यहां पर आगंतुकों को कई पौराणिक कहानियां मिलती हैं। उत्सव के दौरान शांत और सुखद मौसम होने से यहां पर बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं। 

गुरुवायुर महोत्सव: 

गुरुवायुर महोत्सव भी केरल के प्रस‍िद्ध सात महोत्‍सवों में से एक है। यह एक धार्मिक त्यौहार है जो विविध पृष्ठभूमि से जुड़े सभी लोगों को एक आम समारोह और उत्सव के जर‍िए एकजुट करता है। यह मलयालम के कुंबम महीने में मनाया जाता है। इस त्‍यौहार के दौरान जुलूस, सजावटी मेहराब, उज्ज्वल-रोशनी, आतिशबाजी का अनोखा संगम देखने को म‍िलता है। इस त्‍यौहार के समय लोग अपने घरों को पेंट करते हैं। इसके अलावा घरों को केलों के पत्‍तों, नार‍ियल के गुच्‍छों से सजाते हैं। यह त्‍यौहार भी करीब 10 द‍िन तक चलता है। देवताओं की इस भूमि पर पर्यटकों को कई अनुष्ठानों और परंपराओं के उत्कृष्ट प्रदर्शन देखने को म‍िलते हैं। इस त्‍यौहार को देखने के ल‍िए भी बड़ी संख्‍या में व‍िदेशी पयर्टक आते हैं।