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हिमाचल के इस गांव में देखने को मिलेगा कला और खूबसूरती का अनोखा संगम

धौलधार पहाड़ियों पर बसा छोटा सा गांव है अंडरेट्टा जो खूबसूरती के अलावा अपनी कला के लिए खासतौर से जाना जाता है।

By Priyanka SinghEdited By: Updated: Sat, 01 Sep 2018 06:00 AM (IST)
हिमाचल के इस गांव में देखने को मिलेगा कला और खूबसूरती का अनोखा संगम
9 टू 5 जॉब करते हुए घूमने-फिरने का शौक पूरा कर पाना थोड़ा मुश्किल जरूर होता है लेकिन नामुमकिन नहीं। और दो दिनों की छुट्टी में उत्तराखंड और हिमाचल को ही एक्सप्लोर करना आसान है। जहां आप नेचर के साथ-साथ एडवेंचर और रिलैक्सिंग हर एक चीज़ के लिए ऑप्शन्स मौजूद हैं। हिमाचल में तो इतनी ज्यादा खूबसूरत जगहें हैं जहां के बारे में बहुत कम जानकारी इंटरनेट पर अवेलेबल है और इसी वजह से ये टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स की लिस्ट में भी अभी शिमला, मनाली और लेह जैसी जगह नहीं बना पाएं हैं। ऐसी ही एक जगह है अंडरेट्टा।

गांव का इतिहास

सन् 1930 के बीच में नोरा रिचर्ड्स जो एक आइरिश नाट्य कलाकार थीं, अपने पति की मृत्यु के बाद लाहौर से यहां आकर बस गई। इसके बाद उन्होंने इंडियन मॉडर्न आर्ट के जानकार BC Sanyal और प्रोफेसर Jaidayal के साथ मिलकर यहां पॉटरी का काम शुरू किया। तो अगर आप पॉटरी कला की बारीकियों से सीखना चाहते हैं तो यहां गर्मियों में होने वाले 3 महीने का रेसीडेंशियल कोर्स कर सकते हैं। इस जगह की खूबसूरती और शांति दुनियाभर से कलाकारों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

अंडरेट्टा खासतौर से नोरा सेंटर फॉर आर्ट, अंडरेट्टा पॉटरी एंड क्रॉफ्ट सोसाइटी, नोरा मड हाउस और सर शोभा सिंह आर्ट गैलरी के लिए जाना जाता है।

 

अंडरेट्टा के आसपास घूमने वाली जगहें 

पालमपुर

अंडरेट्टा के पास ही बसा पालमपुर शहर, जो दुनियाभर में अपने चाय बागानों के लिए जाना जाता है। यहां कई सारी छोटी-छोटी नदियां हैं। पहाड़ों और नदियों की वजह से ही यहां का मौसम हमेशा ही ठंडा रहता है। जो चाय बागानों के अनुकूल है। 

बैजनाथ मंदिर

नार्थ इंडिया के सबसे पुराने शिव मंदिर में से एक है बैजनाथ मंदिर। आम दिनों के अलावा शिव रात्रि और भी दूसरे उत्सवों के दौरान यहां भक्तों की ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है।

व्रजेश्वरी मंदिर

इतिहास के पन्नों में ये मंदिर अपने विशाल वैभव के लिए मशहूर है जिसे मोहम्मद गजनी ने लूटने की भी कोशिश की थी।

ज्वालामुखी मंदिर

इंडिया के 51 शक्तिपीठों में से एक है यहां का ज्वालामुखी मंदिर। जहां आकर सुख और शांति का एहसास होता है।

बिरनी माता मंदिर 

अंडरेट्टा आएं तो इस मंदिर जरूर आएं जहां से पूरी घाटी देखने का मौका मिलता है। जंगलों से ट्रैक करते हुए इस मंदिर तक पहुंचते हैं। नदी के किनारे पर बना है न्युगल कैफे, इससे अच्छी रिलैक्सिंग की जगह हो ही नहीं सकती।  

कांगडा फोर्ट

पालमपुर के नजदीक ही है कंगड़ा फोर्ट, जिसे कटोच वंश ने बनाया था। जो भारत का सबसे पुराना किला है।एडवेंचर स्पोर्ट्स भी है यहां 

अगर आप रोमांचक खेल में रुचि रखते हैं तो आपको यहां से 180 किलोमीटर दूर बिलिंग पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन जरूर जाना चाहिए। यहां पर हाई एल्टीट्यूड क्रॉस कंट्री पैराग्लाइडिंग कराई जाती है। यहां पूरे विश्व से लोग आते हैं। 

कैसे पहुंचें 

सड़क मार्ग: अंडरेट्टा, पालमपुर से 13 किलोमीटर दूर है। कंगड़ा और पालमपुर में 40 किमी की दूरी है। दिल्ली और चंडीगढ़ से रोजाना यहां तक जाने के लिए आपको बसें मिल जाएंगी।

रेल मार्ग : यहां से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है।

हवाई मार्ग : सबसे नजदीकी गग्गल हवाई अड्डा है, जो 15 किमी की दूरी पर है। यहां पहुंचने के लिए बेहतर है कि आप एक प्राइवेट गाड़ी हायर करें, जिससे आप सफर को एन्जॉय कर सकें।