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आपको हैरान कर देगा Unakoti का यह रहस्यमयी तीर्थस्थल, मौजूद हैं देवी-देवताओं की 99,99,999 मूर्तियां

भारत के त्रिपुरा (Tripura) में मौजूद उनाकोटी की चट्टानों को काट कर बनाई गईं रहस्यमयी मूर्तियां (Unakoti Rock Carvings) अगरतला से लगभग 145 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। ये मूर्तियां किसने कब और क्यों बनाई? इस गुत्थी को अभी तक कोई नहीं सुलझा पाया है। बता दें त्रिपुरा के इन अनछुए जंगलों में देवी-देवताओं की 99 लाख 99 हजार 999 मूर्तियां मौजूद हैं।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Published: Tue, 25 Jun 2024 02:23 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2024 02:23 PM (IST)
कोई नहीं सुलझा पाया उनाकोटी का ये रहस्य, मौजूद हैं देवी-देवताओं की 99,99,999 मूर्तियां (Image Source: X)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Mystical Sculptures Of Unakoti: घने जंगल और ऊंचे पहाड़ों के बीच बनी यह बेहद रहस्यमयी मूर्तियां चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। क्या आप जानते हैं कि इस जगह को उनाकोटी क्यों कहते हैं? दरअसल, उनाकोटी एक बंगाली शब्द है, जिसका मतलब होता है, एक करोड़ से एक कम (Unakoti- One Less Than One Crore)। माना जाता है कि यहां के पत्थरों में देवी-देवताओं की 99,99,999 Rock-Cut Carvings तराशी गई हैं।

क्या है इन मूर्तियों का रहस्य?

वैसे तो इन मूर्तियों से जुड़ी कई कहानियां हैं, लेकिन सबसे दिलचस्प है त्रिपुरा के माणिक्य राजाओं द्वारा लोकप्रिय की गई कहानी। बता दें, इसका संबंध भगवान शिव से है। कहते हैं उनाकोटी के इन्हीं जंगलों से होते हुए शिव जी काशी जा रहे थे और एक रात यहीं रुक गए। उनके साथ 99,99,999 देवी-देवता मौजूद थे। शिवजी ने उन सभी को सूर्योदय से पहले उठने को कहा था। लेकिन अगली सुबह जब कोई भी समय पर नहीं जागा, तो उन्होंने सभी को श्राप देकर पत्थर में बदल दिया!

यह कहानी भी है प्रचलित

एक अन्य कहानी यह भी है कि कालू नाम के एक शिल्पकार जो इसी इलाके में रहते थे, वे भगवान शिव के परम भक्त थे। ऐसे में, अपनी भक्ति से वह भगवान शिव और माता पार्वती को खुश करके उनके साथ कैलाश पर्वत पर रहना चाहते थे, लेकिन पृथ्वी लोक से किसी भी इंसान के लिए यह मुमकिन नहीं था। जाहिर है, भगवान शिव ने उन्हें इस बात के लिए मना कर दिया, लेकिन कालू अपनी जिद पर अड़े रहे।  ऐसे में, भगवान शिव ने उनके सामने एक शर्त रखी।

शर्त के मुताबिक, उन्हें एक रात में एक करोड़ (एक कोटी) मूर्तियों का निर्माण करना था। भगवान शिव और पार्वती के साथ कैलाश पर रहने के लिए रखी गई इस शर्त को पूरा करने के लिए कालू (शिल्पकार) तन-मन से अपने काम में जुट गए। रातभर में उन्होंने मूर्तियों का निर्माण किया, लेकिन सुबह गिनती के बाद मालूम चला कि वे 99 लाख 99 हजार 999 मूर्तियां ही बना पाए हैं। यानि एक करोड़ से एक कम। ऐसे में, शर्त पूरी न हो सकी और वह भगवान शिव और पार्वती के साथ कैलाश पर्वत नहीं जा सके।

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क्या कहता है पुरातत्व विभाग?

विश्वास से हटकर देखें, तो पुरातत्व विभाग (Arcology Department) के मुताबिक ये जगह 8वीं से 13वीं शताब्दी के बीच बनाई गई है। टूरिस्ट्स इसकी तुलना अमेरिका के माउंट रशमोर (Mount Rushmore) से करते हैं, जिसपर यूएस प्रेसिडेंट्स की कार्विंग्स बनी हुई हैं। ऐसी ही एक और जगह है कंबोडिया के बेयोन के मंदिर (Bayon Temple)। बता दें, कंबोडिया के मशहूर बेयोन मंदिर में भी ऐसे बड़े-बड़े चेहरे बने हुए हैं। यहां अलग-अलग पत्थरों को जोड़कर उसपर मंदिर बनाकर फिर पूरे मंदिर को चेहरे के रूप में तराशा गया है।

कोई नहीं सुलझा पाया यह गुत्थी

उनाकोटी में ऐसी कई मूर्तियां हैं, जो प्राचीन Bas-Relief Sculptures से मेल खाती हैं, जैसे-करीब 30 फीट ऊंची काल भैरव की भव्य मूर्ति। वहीं, कुछ और शानदार मूर्तियों में शामिल हैं नंदी, गणेश और दुर्गा की Rock-Cut Carvings। उनाकोटी की ये रहस्यमयी मूर्तियां कब बनीं और इन्हें किसने और कैसे बनाया, यह गुत्थी को अभी तक कोई नहीं सुलझा पाया है, लेकिन एक बात तो पक्की है, कि एक ही चट्टान को काटकर बनाई गईं इतनी सारी भव्य मूर्तियां भारत में किसी अजूबे से कम नहीं हैं।

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