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Water Fall In Chhattisgarh: भारत का नियाग्रा कहे जाने वाले चित्रकोट और हांदावाड़ा वाटरफॉल को निहारना अद्भुत अनुभव

Water Fall In Chhattisgarh जगदलपुर बस्तर का संभागीय मुख्यालय और सबसे बड़ा शहर है। यहां ठहरने के लिए अच्छे होटल हैं। चित्रकोट में पर्यटन मंडल और लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह भी हैं। प्रमुख पर्यटक स्थलों के पास होम स्टे की सुविधा भी मौजूद है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Fri, 29 Jul 2022 04:54 PM (IST)
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बस्तर के कोने-कोने में बिखरी है प्राकृतिक छटा, आदिवासी संस्कृति की भी मिलती झलक

विनोद सिंह, जगदलपुर : Water Fall In Chhattisgarh केरल से भी बड़े भौगोलिक क्षेत्र में विस्तारित बस्तर का लगभग 45 फीसद हिस्सा वनक्षेत्र है। यहां के जलप्रपात, गुफाएं और ऊंची-नीची सुरम्य घाटियों का मनोहारी दृश्य देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। वनस्पतियों, जलधाराओं, झीलों, गुफाओं एवं कंदराओं के कारण जनजातीय संस्कृति से ओत-प्रोत यह धरा प्रकृति प्रेमियों का बरबस ही अपनी तरफ ध्यान आकर्षित कर लेती है।

नियाग्रा जैसा है घोड़े की नाल के आकार का चित्रकोट जलप्रपात : घोड़े की नाल के आकार का चित्रकोट देश का सबसे चौड़ा जलप्रपात है। यह बिल्कुल नियाग्रा जलप्रपात जैसा है। यहां साल भर पर्यटकों की आवाजाही लगी रहती है। बारिश के दिनों में पर्यटकों की भीड़ जलप्रपात के मनोहारी दृश्य को देखने और कैमरे में कैद करने को आतुर दिखती है।

बाहुबली फिल्म वाला हांदावाड़ा : हांदावाड़ा जलप्रपात प्रदेश का सबसे उंचा जलप्रपात है। घने जंगल के बीच पांच सौ फीट की उंचाई से जलप्रपात गिरता है। बाहुबली फिल्म में इसी खूबसूरत जलप्रपात का दृश्य है।

तीरथगढ़ में चरणबद्ध 300 फीट : तीरथगढ़ जलप्रपात की खूबसूरती भी मनोहारी है। यहां पहुंचकर सैलानी अविश्मरणीय रोमांचकारी अनुभव करते हैं। यहां प्रकृति चरणबद्ध तरीके से जलप्रपात का आनंद लेने का मौका देती है। जलधारा की सीमा का अतिक्रमण नहीं करें तो सीढिय़ों से 300 फीट नीचे तक जाकर जलप्रपात का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। चंद्राकार पहाड़ी से गिरती जलधारा दूधिया झाग बनाती है। माना जाता है कि हजारों वर्ष पहले भूकंप में बने दंद्र भ्रंस से नदी नीचे की तरफ धंस गई। उसी कारण इस सीढ़ीनुमा घाटी और जलप्रपात का का सृजन हुआ।

ये हैं बस्तर के प्रमुख जलप्रपात : बस्तर संभाग में सात जिले हैं और यहां सौ से अधिक छोटे-बड़े जलप्रपात हैं। इनमें चित्रकोट, तीरथगढ़, कांगेरधारा, चित्रधारा, महादेव घूमर, तामड़ाघूमर, गुप्तेश्वर, हांदावाड़ा, चर्रे-मर्रे, नोगों-बागा, बीजाकसा, मलाजकुणडम, खुशैल, फूलपाड़, लंकापल्ली, मड़वा, मलगेर व बेग्तूम आदि जलप्रपात प्रमुख हैं।

गुफाएं जहां बरसात के बाद पहुंचा जा सकता है : जगदलपुर से 30 किलोमीटर दूर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान है। यहां एशिया की तीसरी सबसे लंबी सारगर्भित प्राकृतिक गुफा मौजूद है। इसके अलावा कोटमसर, अरण्यक आदि गुफाएं काफी चर्चित हैं। मानसून के मौसम में गुफाओं में प्रवेश प्रतिबंधित रहता है। अक्टूबर से लेकर मई के अंत तक यहां जाने की छूट रहती है।

ऐसे पहुंचे : बस्तर संभागीय मुख्यालय जगदलपुर वायुयान, रेल एवं सड़क मार्ग से जुड़ा है। दिल्ली और रायपुर से जगदलपुर के लिए नियमित विमान सेवा उपलब्ध है। कोलकाता और भुवनेश्वर से जगदलपुर के लिए दैनिक रेल सेवा है। जगदलपुर से इन पर्यटक स्थलों तक पहुंचने के लिए आसानी से टैक्सियां मिल जाती हैं।

ठहरने की व्यवस्था : जगदलपुर बस्तर का संभागीय मुख्यालय और सबसे बड़ा शहर है। यहां ठहरने के लिए अच्छे होटल हैं। चित्रकोट में पर्यटन मंडल और लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह भी हैं। प्रमुख पर्यटक स्थलों के पास होम स्टे की सुविधा भी मौजूद है। चित्रकोट जलप्रपात के दूसरे छोर पर कैंपिंग की सुविधा है, जहां रात में भी ठहर कर जलप्रपात की खूबसूरती का आनंद लिया जा सकता है। पर्यटन विभाग के रेस्ट हाउस में ठहरकर रात में जलप्रपात का नजारा लिया जा सता है।