Navaratri 2023: नवरात्रि में जरूर करें राजस्थान के इन फेमस मंदिरों का दर्शन, हर मनोकामना होगी पूरी!
Navaratri 2023 नवरात्रि के दैरान मंदिरों में दुर्गा माता के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में भीड़ लगी रहती है। माना जाता है कि पूरी श्रद्धा के साथ देवी मां की पूजा करने से सारी मनोकामना पूरी होती है। ऐसे में आज आपको राजस्थान के कुछ फेमस मंदिरों के बारे में बताएंगे जहां आप माता रानी के दर्शन करने जा सकते हैं।
By Jagran NewsEdited By: Saloni UpadhyayUpdated: Fri, 13 Oct 2023 07:30 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Navratri 2023: नवरात्रि की तैयारी जोरों शोरों से चल रही है। इस त्योहार में कलश स्थापना से लेकर कन्यापूजन तक सभी माता की भक्ति में डूब जाते हैं और माता को खुश करने के लिए कई तरह के पूजन का विधि अपनाते हैं। घर पर माता का पाठ करते हैं, उनकी उपासना करते हैं।
इस बार नवरात्रि का पर्व 15 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। ऐसे में अगर आप माता के अनेक रूपों के दर्शन के लिए कहीं जाने का प्लान बना रहे हैं, तो राजस्थान का रुख कर सकते हैं। यहां के ये 5 विश्वप्रसिद्ध मंदिर में दुर्गा मां के विभिन्न रूपों का दर्शन कर सकते हैं।
कैला देवी मंदिर
राजस्थान के करौली स्थित कैला देवी माता का मंदिर की मान्यता बहुत दूर तक है। इसकी स्थापना 16वीं शताब्दी में राजा भोमपाल सिंह ने करवाया था। इस मंदिर में देवी की दो प्रतिमाएं हैं, जिनमें तिरछी चेहरे वाली देवी ही कैला देवी माता हैं। ऐसी मान्यता है कि श्री कृष्ण की योगमाया बहन यही देवी हैं। नरकासुर का वध देवी के इसी रूप ने किया था।यह भी पढ़ें: इन शहरों में देखने को मिलती है नवरात्रि की अलग ही धूम, आप भी बनाएं घूमने का प्लान
शाकम्भरी माता मंदिर
जयपुर से 95 किलोमीटर दूर शाकम्भरी माता का मंदिर सांभर झील के पास स्थित है। यहां नमक के इस झील से हर साल लाखों टन नमक पैदा होता है। यहां ऐसी मान्यता है कि देवी के श्राप से बहुमूल्य धन सम्पदा नमक में बदल गई थी, तभी से यहां नमक का सांभर झील है। शाकम्भरी माता चौहान वंश की कुल देवी हैं लेकिन सभी वर्ग और सम्प्रदाय के लोग बहुत दूर-दूर से इनके पूजन के लिए यहां आते हैं।त्रिपुर सुंदरी माता मंदिर
अठ्ठारह भुजाओं वाली त्रिपुर सुंदरी माता का मंदिर राजस्थान के बांसवाड़ा में स्थित है। इनकी ये प्रतिमा काले पत्थर से निर्मित है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना कनिष्क के शासन काल से भी पहले हुआ था। अठ्ठारह भुजाओं वाली देवी माता के सभी भुजाओं में अस्त्र शस्त्र सुशोभित है। इस मंदिर में माता की मूर्ति के साथ नवदुर्गा की प्रतिमा और चौसठ योगिनियों की भी प्रतिमाएं हैं।