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मेरी पाकिस्तान यात्रा: ब्रिटिश काल की याद दिलाती जगहें, हिंदुओं का समझौता और मददगार पाकिस्तानी

भारत-पाकिस्तान हमेशा से ही अपने उतार-चढ़ाव भरे रिश्तों के लिए जाना जाता है। बंटवारे के बाद से हमने अक्सर भारत और पाकिस्तान के बीच मन- मुटाव और खटास ही देखी है। हालांकि कई बार दोनों देशों के बीच अमन और शांति की झलक भी देखने को मिलती है। ऐसा ही कुछ हाल ही में भारत से पाकिस्तान गए ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास के साथ हुआ।

By Jagran NewsEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Sun, 29 Oct 2023 07:47 PM (IST)
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पंडित गिरिश व्यास से जानें कैसा है पाकिस्तान का हाल

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदुस्तान और पाकिस्तान हमेशा से ही एक-दूसरे के खिलाफ ही नजर आते रहे हैं। इतिहास गवाह है कि बंटवारे के बाद से ही इन दोनों मुल्कों के रिश्तों में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं। किस्से-कहानी और फिल्मों में हम सभी ने अक्सर भारत-पाकिस्तान की दुश्मनी देखी है, लेकिन कई बार कुछ ऐसे वाक्ये भी होते हैं, जहां दोनों देशों के बीच अमन और शांति की झलक भी देखने को मिलती है। ऐसा ही कुछ हाल ही में भारत से पाकिस्तान गए ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास के साथ हुआ।

उन्होंने अपनी इस पाकिस्तान यात्रा का वर्णन करते हुए एक ट्रेवलॉग भी लिखा, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान यात्रा के अपने अनुभव और जो कुछ भी वहां देखा सब साझा किया। इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने 19 सितंबर से 09 अक्टूबर तक पाकिस्तान की यात्रा की। इस दौरान वह कुल 16 दिन पाकिस्तान में ही रहे। इस दौरान उन्होंने वहां के धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक हालातों को नजदीक से देखा। साथ ही उन्होंने हिंदुओं की स्थिति, पूजा-पाठ, रहन-सहन के तरीकों को करीब से देखा और उन्हें जानने की कोशिश की। आइए इस लेख में पढ़ते हैं पाकिस्तान के सूरत-ए-हाल और पंडित गिरीश व्यास की यात्रा का अनुभव उन्हीं की जुबानी...

ऐसे हुई यात्रा की शुरुआत

हमने 19 सितंबर 2023 को साईं कमल पूरी जी जिनका इंदौर और जेकोबावाद पाकिस्तान में भी दरबार है, उनके साथ इंदौर से पाकिस्तान की यात्रा प्रारंभ की। इंदौर-अमृतसर एक्सप्रेस से हम अमृतसर पहुंचे। यहां एक दिन रुकने के बाद हम अटारी बॉर्डर गए। यहां पर समान आदि चेक होने के बाद बस से वाघा बॉर्डर की ओर पहुंचे, जहां पाकिस्तान बॉर्डर पर हमारा सामान दोबारा चेक किया गया। सामान्य रूप से चेकिंग हुई क्योंकि वहां प्रोटोकॉल था और वहां के राइस मिल के बड़े व्यापारी वासु लाल जी, टीकम उस्ताद अरुण जी और विक्रम जी हमें लेने आए थे।

स्टेशन पर उन्होंने हमारा स्वागत किया और इसके बाद हमने पाकिस्तान में प्रवेश किया। जैसे ही हम पाकिस्तान के आगे बढ़े और लाहौर पहुंचे, तो वहां पर मेट्रो को देखकर अचंभित हुए। वहां का रख-रखाव और शहर में व्यवस्थाएं सब अच्छी थीं। पाकिस्तान को लेकर जैसे पूर्वाग्रह पहले से मन में थे, वैसा देखने को कम ही मिला।

जकोबाबाद में हुआ भव्य स्वागत

हम लाहौर में लालबाग गए, जहां पर गुरुद्वारे को बहुत अच्छी प्रकार से संजोया गया है। वहां के लंगर का प्रसाद चखा। सुबह उठकर हम लालबाग एवं मिनारे पाकिस्तान के गार्डन पहुंचे। शाम को 4:30 बजे लाहौर से जकोबाबाद की ट्रेन में हम बैठे।

यहां की ट्रेन और इंडिया की ट्रेन से काफी अंतर दिखाई दिया। लाहौर स्टेशन आज भी अंग्रेजों के समय का बना हुआ है और ब्रिटिश काल की याद दिलाता है। इसको देखने से ऐसा लगता है कि हम ब्रिटिश काल में आ गए हैं। ट्रेन में बैठकर हम सुबह 9 बजे जकोबाबाद पहुंचे, जहां पर 300 से 400 लोगों के साथ स्वामी कृष्ण गिरी दरबार से साईं गौतम गिरी जी हमें और साईं कमल पूरी जी को लेने पुरानी शहनाई के साथ आए और हमारा भव्य स्वागत हुआ।

पाकिस्तान में अलग हाल-चाल पूछने का रिवाज

फिर स्टेशन के बाहर निकलकर हम हिंडोरे वाले दरबार पहुंचे, जहां पर प्रतिष्ठा होनी थी। वहां की परंपरा है कि जो भी व्यक्ति आता है वहां के आस-पास के सभी लोग आते हैं और उनका स्वागत करते हैं। हाल-चाल पूछते हैं, परंतु वहां के हाल-चाल पूछने का रिवाज कुछ और ही है।

कहते हैं शुरू से लेकर आखिरी तक जहां से आप चले हैं और आप यहां तक आए हैं, आपने क्या-क्या किया, क्या खाया, क्या पिया, कैसे सोए सब छोटी-छोटी बातों का वृतांत बताना होता है और हमें भी वैसे ही बताना होता है, तो करीबन 10 से 15 मिनट बताने में लगते हैं। हम यहां से चलें और इसके बीच में मुल्तान आया, जहां से हमने हलवा लिया। यहां हमने सेब खाए, इस प्रकार से वह सब चीजें बतानी होती है, जो हमने की है। एक दिन हमने आराम किया फिर दूसरे दिन से पूजन शुरू हुआ। यहां बहुत बड़ा दरबार था, जिसमें दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, हनुमान जी, राम दरबार, कृष्ण दरबार नानक देव जी, झूलेलाल जी तथा शिव परिवार एवं शिवलिंग की 16 मूर्तियों की स्थापना हुई।

24 सितंबर 2023 से 28 सितंबर 2023 तक इन सभी मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा 800 से 1000 लोगों के बीच हमने की। सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक प्रतिष्ठा का समय रहता था, जो भली प्रकार से हुई और सभी लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके बाद 29 सितंबर 2023 को एक बड़ा हवन हुआ, जिसमें पंच कुंडीय यज्ञ किया गया। यह हवन विभिन्न प्रकार की समस्याओं के निदान के लिए था, जिसमें 550 लोगों ने आहुतियां दी।

स्थानीय लोगों ने दिखाई जन्म-कुंडली

इसके बाद जन्म कुंडलियों के अध्ययन का दौर शुरू हुआ। इस दौरान 27 सितंबर से 09 अक्टूबर 2023 तक मैंने करीब 1500 लोगों की पत्रिकाएं देखी। इसी बीच हमारा जकोबाबाद घूमना भी हुआ, बाईपास की सिंधड़ी चाय, शमशान में भोलेनाथ जी की मूर्ति के दर्शन किए और श्रीकृष्ण गौशाला भी देखी, जहां 450 देसी गाय थीं।

इसमें पुरानी नस्ल के गायें भी थीं, जिसमें गोल सिंह वाली गाय, जो अब लुप्तप्राय हो गई हैं, वहां पर थीं। यहां पर गायों के चरने के लिए डेढ़ लाख स्क्वायर फीट की जगह थी। जबकि करीब एक लाख स्क्वायर फीट में उनका रहना, खाना, गार्डन और लोगों के आवाजाही की बड़ी सुंदर व्यवस्था की गई थी।

श्राद्ध पर किया गो-तृण दान

श्राद्ध के दिन वहां पर गो-तृण दान यानी गाय को घास (चारे) का दान दिया गया। इस दौरान हमने इंटरनेशनल एनजीओ में श्राद्ध के महत्व और अपने बुजुर्गों के सम्मान पर एक इंटरव्यू भी दिया। इतना ही नहीं श्राद्ध पमें करीब 400 से 500 लोगों के बीच गीता पर हमारा व्याख्यान हुआ, जिसमें सभी ने 2 घंटे तक व्याख्यान सुना और कहा कि पहली बार इतना लंबा सत्संग किया है।

सबसे अच्छी बात यह है कि वहां पर हमें कहीं जाना नहीं पड़ा और वेरिफिकेशन के लिए भी कंट्रोल रूम से लोग हमारे पास आ गए और एग्जिट के लिए भी वह खुद हमारे पास आए। वहां की दिनचर्या में सुबह 10 बजे से लेकर रात के 3 बजे तक जगना होता था और कभी-कभी छह-छह जगह ड्राई फ्रूट्स और फल खाने जाना पड़ता था। वहीं, अंतिम के 4 दिनों में हम सुबह 8 से रात 5 बजे तक जगे रहे, क्योंकि दूर-दूर से भक्तो की भीड़ पत्रिका दिखाने के लिए आया करती थी।

हिंदू धर्म और प्रतीकों का नहीं कर सकते दिखावा

हर देश का अपना एक कानून होता है। पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है और वहां उसके नियमानुसार चलना होता है। वहां आप तिलक नहीं लगा सकते हैं। किसी भी मंदिर को प्रत्यक्ष प्रदर्शित नहीं कर सकते हैं। आपको एक गेट के बाद एक पर्दा लगाना होगा। उसके अंदर आप जो काम करना चाहें, वो करें। उसमें उनको कोई आपत्ति नहीं है। आप बाहर झंडा, चेहरे पर तिलक, धोती आदि जो भी हिंदू धर्म से संबंधित है, वहां प्रदर्शित या पहन नहीं सकते हैं। वहां पुराने मंदिरों में झंडे जरूर बाहर लगे हैं, लेकिन सामान्य मंदिरों में लगाना मुश्किल है। वहां पठानी लिबास ही पहना जाता है और महिलाओं को चेहरा ढककर ही रहना होता है।

हिंदू वर्ग को सपोर्ट, लेकिन करना होता है समझौता

यहां हिंदू वर्ग को राजनीतिक पार्टियां काफी सपोर्ट करती हैं। वह मानती हैं कि हिंदू हमेशा सच कहता है। मुस्लिम वर्ग का बड़ा संप्रदाय हिंदुओं को थोड़ा दबाता जरूर है और उन्हें कहीं न कहीं कंप्रोमाइज करके चलना होता है। हम जितने स वहां रहे, हमें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई। ज्यादा से ज्यादा लोग हमसे मिलने आए और मुस्लिम वर्ग ने भी अपनी चिंताओं को व्यक्त किया। यहां नूरवहा के भजिए और चाय काफी फेमस है और पूरे सिंध में सिंधडी चाय का स्वाद काबिले तारीफ है।

पाकिस्तान से काफी हिंदू भारत में आए और एक सफल जीवन जीने का प्रयास कर रहे हैं। वर्तमान में भी लोग वहां की महंगाई को लेकर डर रहे हैं, जिस वजह से वह भारत आना चाहते हैं। वहां महंगाई काफी है और सामान्य व्यक्ति को जीवन बिताने के लिए काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है।

अस्पताल और डॉक्टरों की कमी, लोग हैं मददगार

पाकिस्तान में अस्पताल और डॉक्टर कम हैं। हालांकि, लोग में एक- दूसरे की सहायता करने के लिए हमेशा आगे आते हैं। अपने वर्ग का व्यक्ति अपने वर्ग को काफी बढ़ाता है। जो जिस क्षेत्र में माहिर है, वह ज्यादा से ज्यादा दूसरों की मदद करता है, ताकि उनका वर्ग आगे बढ़ सकें। वहां लोगों में काफी प्रेम है और आपसी तालमेल भी काफी अच्छा है, जिसकी वजह से लोग अपनी बात को आसानी कह देते हैं। भारत से ज्यादा समस्याओं का घेरा वहां पर है, क्योंकि मैंने वहां के लोगों की पत्रिकाएं अध्ययन की। हर व्यक्ति वहां पर ज्यादा परेशान है। ऐसे में मैंने जितना हो सका ज्यादा से ज्यादा लोगों का निदान कृष्ण मूर्ति पद्धति से किया।

कोई न कोई करता रहता था ऑब्जर्व

यहां लोगों का प्यार-दुलार काफी मिला। इसी वजह से हमारे लिए बिना डरे वहां रहना मुमकिन हो सका। सरकारी डिपार्टमेंट से भी हमेशा कॉल आए कि आपको अगर सिक्योरिटी चाहिए, तो हम आपको दे सकते हैं। सरकार ने भी हमारी काफी सहायता की और हमारे आस-पास कोई न कोई निगरानी के लिए होता था, जो हमें अंतिम दिन पता चला। हमारे इंडियन बॉर्डर पर भी एक अच्छी बात देखने को मिली। यहां पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं की काफी सहायता की जाती है।

ॐ ध्वनि का कराया अभ्यास

यात्रा के दौरान हमने हवन पर बैठे सभी श्रद्धालु गण को ॐ के बारे में जानकारी दी और किस प्रकार ओम ध्वनि का प्रयास करना है यह भी लोगों को सिखाया गया। इस अनुष्ठान में 500 से 600 लोगों ने अपना समय दिया और ॐ का अभ्यास किया। इस दौरान ॐ के विषय में लोगों द्वारा कई प्रकार के प्रश्न भी पूछे गए।

पाकिस्तान में हुआ गीता प्रवचन

इस यात्रा में 5 अक्टूबर, 2023 को गीता पर प्रवचन करने का अवसर प्राप्त हुआ, जिसमें 350 लोगों ने सहभागिता निभाई। इस दौरान हमने प्रेम, कर्म और धर्म के विषय में गीता के श्लोकों द्वारा सकल व्याख्यान दिया और प्रेम को एक एहसास के रूप में प्रस्तुत करते हुए उदाहरणार्थ भरत-श्रीराम, गोपी-कृष्णा तथा मां का बेटे के प्रति प्रेम को सही प्रेम बताया और पंडित: सम दर्शीन: का उद्घोष किया।