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रथ यात्रा के अलावा पुरी को ये 5 जगहें भी बनाती है खास, न करें इन्हें मिस

पुरी में हो चुकी है रथयात्रा की शुरूआत जो सिर्फ ओडिशा के लिए ही नहीं भारत के लिए भी बहुत ही खास फेस्टिवल है। रथयात्रा के अलावा पुरी में और क्या है खास जानेंगे यहां...

By Priyanka SinghEdited By: Updated: Thu, 04 Jul 2019 01:36 PM (IST)
रथ यात्रा के अलावा पुरी को ये 5 जगहें भी बनाती है खास, न करें इन्हें मिस
ओडिशा में हो चुकी है रथ यात्रा की शुरुआत। 4 जुलाई से शुरू हुई इस यात्रा का समापन15 जुलाई को होगा। जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान पुरी में अलग ही धूम देखने को मिलती है। जिसका हिस्सा बनने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। तो अगर आप भी इस रथ यात्रा में शामिल  होने जा रहे हैं तो पुरी की कुछ और जगहों के बारे में भी थोड़ी-बहुत रिसर्च कर लें क्योंकि यहां घूमने-फिरने वाली जगहों की कमी नहीं। बीच से लेकर वाइल्डलाइफ हर तरह का एन्जॉयमेंट आप फेस्टिवल के दौरान भी कर सकते हैं।     

कोणार्क मंदिर

ओडिशा में पुरी जिले से लगभग 23 मील की दूरी पर चंद्रभागा नदी के तट पर कोणार्क का सूर्य मंदिर स्थित है। इसकी कल्पना सूर्य के रथ के रूप में की गई है। इसकी संरचना इस प्रकार है कि रथ में 12 जोड़े विशाल पहिए लगे हैं और इसे 7 शक्तिशाली घोड़े खींच रहे हैं। सूर्य का उदयकाल, मंदिर के शिखर के ठीक ऊपर से दिखाई देता है, ऐसा लगता है कि कोई लाल-नारंगी रंग का बड़ा सा गोला शिखर के चारों ओर अपनी किरणें बिखेर रहा है। यह मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए दुनियाभर में मशहूर है और ऊंचे प्रवेश द्वारों से घिरा है। इसका मूख पूर्व में उदीयमान सूर्य की ओर है और इसके तीन प्रधान हिस्से- देउल गर्भगृह, नाटमंडप और जगमोहन (मंडप) एक ही सीध में हैं। सबसे पहले नाटमंडप में प्रवेश द्वार है। इसके बाद जगमोहन और गर्भगृह एक ही जगह पर स्थित हैं। यहां अलग-अलग मुद्राओं में हाथियों की सजीव आकृतियां मौजूद हैं। इसके अलावा कई देवी-देवताओं, गंधर्व, नाग, किन्नर और अप्सराओं के चित्र नक्काशी से तैयार किए गए हैं। मंदिर के गर्भगृह में सूर्यदेव की अलौकिक पुरुषाकृति मूर्तियां विराजमान हैं। इसका शिखर स्तूप कोणाकार है और तीन तलों में विभक्त है। इसका निर्माण गंग वंश के नरेश नरसिंह देव (प्रथम) ने करवाया था।

पारादीप, ओडिशा

यहां की लहरों में 1 किमी तक आराम से आप सर्फिंग कर सकते हैं क्योंकि ये शांत होती हैं। और अगर आपको 5 से 6 फीट ऊंची लहरों में सर्फिंग करना है तो जगन्नाथपुरी जाएं।

गुंडिचा मंदिर 

पुरी की शोभा बढ़ाता है यहां का गुंडिचा मंदिर, जिसे भगवान जगन्नाथ का बागीचा है। मंदिर चारों ओर से बागीचे से घिरा हुआ है और जगन्नाथपुरी मंदिर से महज 3 किसी की दूरी पर स्थित है। तो अगर आप रथ यात्रा में शामिल होने के लिए जगन्नाथपुरी आ रहे हैं तो इस मंदिर को देखना मिस न करें।

चिल्का लेक

भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी झील में शामिल चिल्का लेक, यहां रुके हुए पानी में बनी झील है। यहां कुछ बहुत ही खूबसूरत आइलैंड्स भी हैं जहां कई तरह के माइग्रेटरी बर्ड्स देखने को मिलते हैं। नवंबर से फरवरी के बीच यहां लगभग 160 तरह के बर्ड्स देखे जा सकते हैं। मानसून में इस झील का पानी मीठा रहता है और दिसंबर से जून तक खारा हो जाता है। नेचर लवर्स को ये जगह काफी पसंद आती है।

पुरी बीच

इसमें कोई शक नहीं कि ये पुरी ही नहीं इंडिया के पॉप्युलर बीच में से एक है। सुनहरी रेत, उगते- ढ़लते सूरज का नजारा और लजीज़ सी-फूड्स इस जगह की खूबसूरती में लगाते हैं चार चांद। इंडियन टूरिज्म मीनिस्ट्री की ओर से हर साल नवंबर में यहां पुरी बीच फेस्टिवल का आयोजन होता है। उस दौरान यहां की रौनक दोगुनी होती है लेकिन जगन्नाथ यात्रा के दौरान भी ऐसी ही रौनक रहती है।