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साल में सिर्फ नौ दिन खुलता है मां दुर्गा का यह प्राचीन मंदिर, देवी की एक झलक पाने के लिए दूर-दूर से आते हैं भक्त

देश में मां दुर्गा के कई प्रचीन और एतिहासिक मंदिर है जिनका अपना अलग महत्व होता है। आज से देशभर में shardiya navratri 2024 का त्योहार मनाया जा रहा है। इस खास मौके पर लोग देवी मां के मंदिरों में उनके दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में आज जानेंगे ओडिशा के एक प्राचीन मंदिर के बारे में जो साल में सिर्फ 9 दिन नवरात्र में ही खुलता है।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Thu, 03 Oct 2024 12:17 PM (IST)
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सिर्फ नवरात्र में खुलता है मां दुर्गा का प्राचीन मंदिर (Picture Credit- Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र का पावन पर्व आज से शुरू हो चुका है। यह हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे हर साल आश्विन माह में मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत-उपवास भी किया जाता है। इसके अलावा इन दिनों देवी मां के दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है। भारत मंदिरों का देश है। यहां हर कदम पर कई छोटे-बड़े मंदिर मिलते हैं, जिनका अपना सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व होता है।

ऐसा ही एक मंदिर ओडिशा में स्थित है, जो कई वजहों से अनोखा मंदिर माना जाता है। आमतौर पर ओडिशा का नाम सुनते ही सबसे पहले मन में जगन्नाथ मंदिर का ख्याल आता है, लेकिन ओडिशा में माता रानी का एक अनोखा मंदिर भी है, जो सिर्फ नवरात्र के दौरान ही खुलता है। यहां गजपति जिले के परलाखेमुंडी में एक छोटा- सा दुर्गा मंदिर है, जिसके बारे में बेहद कम लोग ही जानते हैं। ऐसे में नवरात्र के अवसर पर आज हम आपको बताएंगे इस अनोखे मंदिर के बारे में-

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सालभर बंद रहता है कपाट

बेहद कम प्रसिद्ध यह मंदिर साल में सिर्फ नौ दिन नवरात्र के दौरान खुला रहता है। उड़िया में इस मंदिर को दांडू मां के नाम से जाना जाती है। यह काफी पुराना मंदिर है, जहां नवरात्र के दौरान ओडिशा और आंध्र प्रदेश से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। खास बात यह है कि अन्य मंदिरों के विपरीत में यह मंदिर साल के बाकी दिनों बंद रहता है और सिर्फ नवरात्र के नौ दिनों में ही खुला रहता है। साल में सिर्फ नौ दिन मंदिर खुलने की यह परंपरा अज्ञात समय से चली आ रही है और इसका कारण भी अज्ञात है।

सिर्फ नौ दिन खुलता है मंदिर

इस मंदिर के कपाट नवरात्र के पहले दिन ही खोले जाते हैं। इसके बाद यहां कई अनुष्ठान होते हैं, जो नवरात्र के आखिरी दिन की आधी रात तक जारी रहते हैं। इसके बाद एक मिट्टी के बर्तन में नारियल के प्रसाद के साथ मंदिर का दरवाजा अगले साल तक के लिए बंद कर दिया जाता है। खास बात यह है कि जब अगले साल मंदिर का दरवाजा खोला जाता है, तो यह जैसे का तैसा रखा रहता है, जिसे बाद में नवरात्र के दौरान मंदिर आने वाले भक्तों को दिया जाता है।

दूर-दूर से आते हैं लोग 

शहर के कई प्राचीन मंदिरों में से एक यह दुर्गा का मंदिर शहर की सांस्कृतिक सुंदरता में एक विशेष स्थान रखता है। नवरात्र के पवित्र अवधि के दौरान यहां दूर-दूर से लोग आते हैं। यह साल का एकमात्र ऐसा समय होता है, जब भक्त देवी मां की एक झलक पा सकते हैं, जिन्हें तेलुगु में दंडमरम्मा और उड़िया में दंडु मां के नाम से जाना जाता है। बात करें इस शहर की, तो परलाखेमुंडी या पराला ओडिशा में 1885 में स्थापित सबसे पुरानी नगर पालिकाओं में से एक है। इस शहर के लोग ज्यादातर तेलुगु और उड़िया बोलते हैं और इस जगह की सीमाएं आंध्र प्रदेश से लगती हैं।

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