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Aadiyogi: 150 फीट लंबी और 25 फीट चौड़ी आदियोगी की प्रतिमा के बारे में कुछ खास बातें

पश्चिमी घाट में वेल्लिंगिरी पर्वत की तलहटी में हरे-भरे खेतों से घिरीए आदियोगी शिव प्रतिमा प्रसिद्ध हिंदू देवता शिव को समर्पित है जिसे 500 टन स्टील से बनाया गया है। मूर्ति का निर्माण योग को प्रेरित करने और बढ़ावा देने के विचार से किया गया था जिस वजह से इसको ‘आदियोग’ कहा जाता है। आइये जानते हैं इसके बारे में कुछ दिलचस्प बातें।

By Jagran NewsEdited By: Ritu ShawUpdated: Tue, 18 Jul 2023 05:29 PM (IST)
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आदियोगी की प्रतिमा के बारे में जानें सबकुछ
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Aadiyogi: तमिलनाडु का शहर कोयंबटूर अपने कई ऐतिहासिक मंदिरों, संग्रहालयों, बड़े जूलॉजिकल पार्क और उद्यानों के लिए प्रसिद्ध है। आदियोगी शिव प्रतिमा इस शहर में बनी सबसे खूबसूरत खजानों में से एक है। आदियोगी शिव प्रतिमा हिंदू देवता भगवान शिव को समर्पित है। इसे सद्गुरु जग्गी वासुदेव, एक प्रसिद्ध भारतीय योगी और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक द्वारा बनाया गया। यह प्रतिमा आदियोगी को समर्पित है, जिन्हें प्रथम योगी और योग का प्रवर्तक माना जाता है। इसे लोगों को योग का अभ्यास करने और अपनी उच्चतम क्षमता का एहसास करने के लिए प्रेरित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आइए जानते हैं इस प्रतिमा के बारे में कुछ खास बातें।

आदियोगी प्रतिमा की खासियत

  • आदियोगी का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज है।
  • आदियोगी प्रतिमा की ऊंचाई 112 फीट है। योगी की यह प्रतिष्ठित छवि 150 फीट लंबी, 25 फीट चौड़ी है, जिसका वजन लगभग 500 टन है।
  • यहां सप्ताह के अंत में, पूर्णिमा, अमावस्या और अन्य शुभ दिनों में 3डी लेजर शो देखने को मिलता है। जो कि 08 से 08:15 बजे तक चलता है।
  • भक्त आदियोगी के चारों ओर लगे 621 त्रिशूलों में से किसी एक पर काला कपड़ा बांधकर आदियोगी को वस्त्र अर्पित कर सकते हैं।
  • हर पूर्णिमा की रात, आदियोगी आधी रात तक खुला रहता है और साउंड्स ऑफ ईशा द्वारा रात 10:30 बजे से 11:30 बजे तक आदियोगी के लिए एक संगीत प्रदर्शन पेश किया जाता है।
  • हर अमावस्या के दिन, आसपास के गांवों के लोगों द्वारा योगेश्वर लिंग पर पारंपरिक प्रसाद चढ़ाया जाता है। इसके साथ ही, पारंपरिक संगीत व कई अन्य प्रोग्राम का आयोजन भी किया जाता है।
  • योगेश्वर लिंग पर "शंभो" मंत्र चार दक्षिण भारतीय भाषाओं: तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम में लिखा गया है।
  • आदियोगी के गले में दुनिया की सबसे बड़ी रुद्राक्ष माला है, जिसमें 100,008 रुद्राक्ष मोती हैं। मोती बारह महीनों तक दैवीय ऊर्जा में सोखते हैं और प्रत्येक महाशिवरात्रि की शुभ रात में उन्हें भक्तों को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।

आदियोगी शिव प्रतिमा के पास घूमने की जगह कौन सी हैं?

आदियोगी शिव प्रतिमा के पास घूमने के लिए सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण सिरुवानी झरना, ध्यानलिंग, मरुधामलाई अरुल्मिगु सुब्रमण्य स्वामी मंदिर, वेल्लियांगिरी हिल्स और सिरुवानी बांध हैं। तो अगर आप आदियोगी शिव प्रतिमा जाने का प्लान बना रहे हैं तो इन आस-पास की जगहों पर भी घूम सकते हैं।