Move to Jagran APP

असम के इस ऑफ बीट डेस्टिनेशन जाकर करें अलग तरह के एडवेंचर को एक्सप्लोर

असम के इस जगह की कुदरती खूबसूरती अभी भी अनछुई है मतलब यहां पर्यटकों की भीड़ उतनी नहीं पहुंचती जितनी किसी आम चर्चित पर्यटन स्थलों में पहुंचती है। जानेंगे इस जगह के बारे में।

By Priyanka SinghEdited By: Updated: Thu, 09 May 2019 02:48 PM (IST)
असम के इस ऑफ बीट डेस्टिनेशन जाकर करें अलग तरह के एडवेंचर को एक्सप्लोर
असम के इस ऑफ बीट डेस्टिनेशन जाकर करें अलग तरह के एडवेंचर को एक्सप्लोर

असम की राजधानी गुवाहाटी से करीब 360 किलोमीटर दूर स्थित शिवसागर, जहां अहोम राजाओं की निशानियां हर ओर बिखरी हुई दिख जाती हैं। ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी दिखू के किनारे स्थित इस स्थान की कुदरती खूबसूरती अभी भी अनछुई है मतलब यहां पर्यटकों की भीड़ उतनी नहीं पहुंचती, जितनी किसी आम चर्चित पर्यटन स्थलों में पहुंचती है। शायद यही वजह है कि इनकी खूबसूरती आज भी बरकरार है। तो अगर आप यहां जाएं तो इन रौनकों को देखने का मौका बिल्कुल न मिस करें।

चराइदेव

मिस्त्र के पिरामिडों जैसी समाधियांयह स्थान अहोम राजा-रानियों की समाधियों के कारण मशहूर है। शिवसागर से लगभग एक घंटे ड्राइव कर आप यहां पहुंच सकते हैं। यहां कुल 42 समाधियां हैं। इनका आकार-प्रकार मिस्त्र के पिरामिडों से काफी मिलता-जुलता है। यहां के स्तंभ और अन्य स्मारकों को देखकर मध्यकालीन असम के वास्तुकारों के कला-कौशल पर गर्व होता है।

200 साल पुराना गौरीसागर सरोवर

यह सरोवर लगभग 200 साल पुराना है। शिवसागर शहर से 12 किलोमीटर दूर है। इनका निर्माण अहोम रानी फुलेश्र्वरी देवी ने करवाया था। यहां कई मंदिर बने हुए हैं। यहां भी काफी पर्यटक आते हैं।

रुद्रसागर सरोवर

रुद्रसागर सरोवर का निर्माण अहोम राजा लक्ष्मी सिंह ने सन 1773 में अपने पिता रूद्र सिंह की याद में करवाया था। शिवसागर शहर से 8 किलोमीटर दूर रुद्रसागर सरोवर के किनारे भगवान शिव का एक भव्य मंदिर निर्मित है।

अजान पीर की दरगाह

यह दरगाह मुसलमान संत हजरत शाह मिलान की याद में बनवाई गई। इसे अजान पीर के नाम से भी जाना जाता है। यह दरगाह शिवसागर से 22 किलोमीटर दूर सराईगुरी चापोरी इलाके में दिखऊ नदी के तट पर स्थित है। यहां हर साल लगने वाले 'उर्स' में पूरे असम के मुसलमान एकत्र होकर अजान पीर के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं।

ताई अहोम संग्रहालय

ताई संग्रहालय में आप अहोम वंश से जुड़े इतिहास के साथ-साथ उनकी संस्कृति व शासन के दौरान लोगों के दैनिक जीवन की गतिविधियों को भी देख-जान सकते हैं। यह संग्रहालय शिवसागर ताल के पश्चिमी तट पर शहर के बीचोबीच स्थित है। इस संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1972 में की गई थी और उसी साल इसे आगंतुकों के लिए खोला गया था। यहां 13वीं और 18वीं सदी के बीच शासन करने वाले अहोम वंश के आभूषणों का सबसे बड़ा संग्रह मिलता है। संग्रहालय के अन्य प्रमुख आकर्षण हैं- प्राचीन पांडुलिपियां, कपड़े और लकड़ी, धातु, बेंत, तलवारें, ढाल, थाली और बांस की वस्तुएं।

कारेंग घर और तलातल घर

शिवसागर शहर से 4 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है सात मंजिला कारेंग घर और तलातल घर। इस भवन की ऊपरी चार मंजिलों को 'कारेंग घर' तथा तल में बनी तीन मंजिलों को 'तलातल घर' कहा जाता है। यह भवन अहोम राजाओं द्वारा सैनिक मुख्यालय के रूप में प्रयुक्त होता था। तलातल घर से होकर बने दो सुरंग डिखू नदी के तट पर बने गरगांव महल से जुड़े हुए थे, जिनका प्रयोग युद्धकालीन आकस्मिक संकट के समय गुप्त निकास-द्वार के रूप में होता था। यहां आनेवालों को इस भवन की कुछ मंजिलों को देखने की अनुमति दी जाती है। भूमि तल की मंजिलों को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है। दुनियाभर के पर्यटक इस भव्य इमारत को देखने और इसकी वास्तुकला पर अनुसंधान करने के लिए आते हैं। यह भवन असम की उत्कृष्ट सांस्कृतिक विरासत का एक नमूना है।

केंद्रीय बैप्टिस्ट चर्च

केंद्रीय बैप्टिस्ट चर्च शिवसागर जिले के बीचों-बीच शिवसागर सरोवर के तट पर स्थित है। इसका निर्माण सन् 1845 में रिव नाथन ब्राउन ने करवाया था। कहते हैं कि जब असम की भाषा असमिया से बदलकर बांग्ला कर दी गई थी, तब ब्राउन ने असम के लिए असमिया भाषा को फिर से मान्यता दिलवाने की जोरदार वकालत की थी।

कैसे और कब जाएं?

निकटतम हवाई अड्डा जोरहाट यहां से 75 किलोमीटर तथा डिब्रूगढ़ हवाई अड्डा 95 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से टैक्सी की सुविधा भी उपलब्ध है। सिमलगुरी निकटतम रेलवे स्टेशन है जो शिवसागर से तकरीबन 17 किमी दूर है। राज्य के सभी प्रमुख स्थानों से शिवसागर तक बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। वैसे तो यहां आने का आदर्श मौसम जाड़ों में माना जाता है, लेकिन गर्मियों के मौसम में भी यहां पर्यटकों की भीड़ देखी जा सकती है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप