जयपुर की सुरक्षा के लिए बनवाया गया था नाहरगढ़ किला, भूत के डर से कई बार रुका था किले का काम
राजस्थान का शहर जयपुर कई वजहों से मशहूर है। यहां स्थित नाहरगढ़ किला इन्हीं वजहों में से एक है जिसकी वजह से यहां हर साल भारी संख्या में लोग आते हैं। बेहद खूबसूरत यह किला रात में समय शहर की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है। हालांकि अपनी खूबसूरत बनावट के अलावा लोग इस किले को इसकी भूतिया कहानी की वजह से भी देखने आते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Nahargarh Fort: अनेकता में एकता का देश भारत दुनियाभर में अपनी विविधता के लिए मशहूर है। यहां हर एक राज्य की अपनी अलग खासियत है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग हमारे देश आते हैं। राजस्थान भारत का ऐसा ही एक राज्य है, जो अपनी रंग-बिरंगी संस्कृति और परंपराओं के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। इस राज्य का अपना अलग समृद्ध इतिहास है, जिसके सबूत आज भी इस राज्य में देखने को मिलते हैं। यहां कई ऐतिहासिक धरोहर मौजूद हैं, जो अपने समृद्ध इतिहास को दर्शाते हैं।
राजस्थान को किलों और महलों का राज्य भी कहा जाता है। यहां पर कई खूबसूरत किले और महल मौजूद हैं, जिनका दीदार करने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। राज्य की राजधानी जयपुर में भी ऐसे ही खूबसूरत किले और महल मौजूद हैं, जिन्हें देखने कई लोग यहां आते हैं। नाहरगढ़ का किला इन्हीं किलों में से एक है, जो भारत के सबसे मशहूर किलों में से एक है। यहां हर साल भारी संख्या में टूरिस्ट आते रहते हैं। आइए जानते इस किले का इतिहास और इससे जुड़ी रोचक बातें-
यह भी पढ़ें- अप्रैल में बना लें मध्य प्रदेश को एक्सप्लोर करने का प्लान, IRCTC लेकर आया बजट में घूमने का मौका
नाहरगढ़ किले का इतिहास
राजस्थान ट्यूरिज्म की वेबसाइट के मुताबिक नाहरगढ़ किला अरावली पहाड़ियों की एक चोटी पर स्थित है। इसे किले को सन 1734 में जय सिंह के शासनकाल के दौरान बनवाया गया था और फिर बाद साल 1868 में इसका विस्तार किया गया था। नाहरगढ़, का अर्थ बाघों का निवास होता है। यह किला खास तौर पर हमलावर दुश्मनों के खिलाफ जयपुर की रक्षा के लिए किया गया था। यह किला आज भी दुनियाभर में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है और इसकी खूबसूरती को निहारने देश-विदेश से लोग भारी संख्या में यहां आते हैं।
भूतिया भी कहलाता है नाहरगढ़ किला
पहले इस किले का नाम सुदर्शनगढ़ था, लेकिन बाद में इसी जगह मारे गए युवराज नाहर सिंह के नाम पर इस किले का यह नाम रखा गया। दरअसल, युवराज की प्रेतात्मा चाहती थी कि इस दुर्ग का नाम उनके नाम पर पड़े। अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर यह किला अपनी भूतिया कहानी के लिए भी मशहूर है।ऐसा कहा जाता है कि किले के निर्माण के दौरान कई ऐसी गतिविधियां होती थी, जिसकी वजह से यहां काम करने वाले मजबूर डर कर भाग जाते हैं। दरअसल, लोगों का कहना है कि मजदूर इस किले में जो भी काम करते थे, वह अगले दिन तहस-नहस हो जाता था, जिससे महल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाता था और मजदूर काफी डर जाते थे।