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क्यों गोलाकार और छोटी होती हैं Airplane की खिड़कियां? तीन हादसों की वजह से बदला था आकार

आपने जब कभी भी हवाई जहाज में सफर किया होगा तो कोशिश की होगी कि आपको विंडो सीट ही मिले। खिड़की से बाहर का नजारा काफी खूबसूरत होता है। हालांकि विंडो छोटी होने की वजह से व्यू थोड़ा कम दिखाई देता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर एयरप्लेन की विंडो का शेप (airplane window shape) गोल और साइज छोटा क्यों होता है। आइए जानते हैं इसकी वजह।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Sun, 08 Sep 2024 05:49 PM (IST)
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इस वजह से गोल होती है हवाई जहाज की खिड़की (Picture Credit- Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। शायद ही कोई ऐसा हो, जिसने बचपन में हवाई जहाज को देखकर बाय न किया हो। बचपन से ही की लोगों का सपना होता है, आसमान में उड़ते इस हवाई जहाज में सफर करने का। दूर से यह जिनता खूबसूरत दिखता है, इसके अंदर से नीचे का नजारा उतना ही प्यारा लगता है। अगर आप प्लेन में सफर कर रहे हैं, तो आपने कभी न कभी विंडो सीट मिलने की दुआ जरूर की होगी। एयरप्लेन की खिड़की से बाहर का नजारा किसी जन्नत से कम नहीं लगता और इसी नजारे को देखकर मन करता है कि इसकी विंडो थोड़ी और बड़ी होती, जो बाहर का नजारा और भी सुंदर दिखाई देता है।

हवाई जहाज की विंडो देखकर क्या आपके मन में भी कभी यह ख्याल आया है कि इसकी खिड़की हमेशा छोटी होती है। इस सवाल के अलावा क्या आपने यह सोचा है कि आखिर आम खिड़कियों से अलग में आखिर प्लेन की खिड़कियां गोल आकार की होती हैं। अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल मौजूद हैं, तो आज इस आर्टिकल में हम इनका जवाब देने वाले हैं। आइए जानते हैं क्यों गोल और छोटी होती है एयरप्लेन की विंडो-

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क्यों छोटी होती हैं प्लेन की खिड़कियां

दरअसल, विमान की खिड़कियां प्लेन का अहम हिस्सा हैं। अगर इन्हें बड़ा किया जाएगा तो विमान की संरचना प्रभावित होगी और कमजोर हो जाएगी। बड़ी खिड़कियां विमान की सतह पर हवा के सही फ्लो को बाधित करती हैं, जिसकी वजह से खिंचाव होता है और इसके एफिशिएंसी कम हो जाती है। साथ ही अगर खिड़कियां बड़ी होगी, तो किसी भी बाहरी वस्तु के लगने की वजह से काफी नुकसान हो सकता है। ये तो हो गई खिड़की छोटी होने की बात, अब जानते हैं इसके आकार के पीछे की वजह।

पहले चौकोर हुआ करती थीं खिड़कियां

कहा जाता है कि 1950 के दशक तक विमान की खिड़की चौकोर हुआ करती थीं, लेकिन 1953 और 1954 के बीच तीन दुर्घटनाओं का कारण बनी चौकोर खिड़की का साइज बदल दिया गया। दरअसल, हवाई जहाज की खिड़कियों को सुरक्षित और मजबूत बनाने के लिए गोलाकार दिया जाता है। गोलाकार खिड़की पर दबाव फैलाने में मदद करता है, जिससे इसके टूटने की संभावना कम हो जाती है।

यह विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण होता है, जब विमान ऊंची उड़ान भर रहा हो, जहां अंदर का दबाव बाहर के दबाव से बहुत अलग होता है। चौकोर खिड़कियां और उनके नुकीले किनारे पर दबाव बनता है और इससे कांच टूट जाता है और विमान का शरीर टूट जाता है, जैसाकि 1953 और 1954 के हादसों में हुआ।

कार्गों और केबिन डोर भी होते हैं ओवल

इसलिए खिड़कियों का डिजाइन बदलकर अंडाकार या गोलाकार कर दिया गया। गोल खिड़कियां मजबूत होती हैं और सुरक्षा करने में आसान होती हैं और उड़ान के प्रेशर को बेहतर ढंग से झेल सकती हैं। सिर्फ खिड़की ही नहीं इसी लॉजिक की वजह से प्लेन के कार्गों और केबिन के दरवाजों का आकार भी इसी तरह होता है।

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