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Orange City: नागपुर को क्यों कहते हैं 'ऑरेंज सिटी' और क्या है इसका इतिहास?

Orange City भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां कदम-कदम पर आपको अलग-अलग परंपराएं खानपान और पहनावा दिख जाता है। इसके अलावा यहां के जलवायु में भी कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं जिसके चलते उस क्षेत्र में फसल और फल की पैदावार काफी खास होती है। आज हम आपको एक ऐसे ही शहर के बारे में बताएंगे जिसका नाम उसकी खासियत की वजह से पड़ा है।

By Ritu ShawEdited By: Ritu ShawUpdated: Tue, 13 Jun 2023 07:49 PM (IST)
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नागपुर शहर को ऑरेंज सिटी नाम क्यों मिला?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Orange City: भारत के कई ऐसे राज्य हैं, जिनके नाम और इतिहास के पीछे कोई न कोई कहानी छिपी हुई है। ऐसा ही एक शहर है महाराष्ट्र का नागपुर शहर, जिसे "ऑरेंज सिटी" के नाम से भी जाना जाता है। जयपुर या जोधपुर के तर्ज पर इस शहर को 'ऑरेंज सिटी' इसलिए नहीं कहा जाता क्योंकि नागपुर में प्रमुख इमारतों का रंग नारंगी है, बल्कि इसका अन्य कारण है। मुंबई और पुणे के बाद, नागपुर महाराष्ट्र का तीसरा सबसे बड़ा शहर है, जिसे "टाइगर कैपिटल" के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन चूंकि यहां उगाए जाने वाले 'संतरे' काफी मशहूर हैं, इसलिए इस शहर को "ऑरेंज सिटी" भी कहा जाता है।

नागपुर और संतरे के बीच क्या संबंध है?

भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां धर्मों, संस्कृति, परंपरा, पोशाक, खाने और मौसम की विशाल श्रृंखला देखने को मिलती है। यहां के अलग-अलग राज्यों और वहां के मौसम के मुताबिक विशेष पैदावार देखने को मिलती है। ऐसे में नागपुर भी अपने संतरों के लिए उतना ही लोकप्रिय है, जितना सेब के लिए शिमला, स्ट्रॉबेरी के लिए महाबलेश्वर, अमरूद के लिए प्रयागराज, काजू के लिए गोवा और अल्फांसो आम के लिए रत्नागिरी।

नागपुर जिले में कई हेक्टेयर खेतों में संतरे की खेती की जाती है। अन्य भारतीय शहरों की तुलना में, यहां संतरे की अब तक की सबसे बड़ी खेती की जाती है। नागपुर में संतरे का एक व्यवसायिक केंद्र है, जहां केवल संतरों के लिए 20, 965 हेक्टेयर भूमि का उपयोग किया जाता है। यहां हर साल करीब 5 लाख टन संतरे का उत्पादन होता है। जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया, यहां की मिट्टी की प्रकृति और स्थानीय मौसम ही है, जो यह तय करती है कि वहां किस तरह की खेती की जा सकती है। नागपुर में तापमान अक्सर गर्म होता है, जो इस जगह को संतरे उगाने के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है।

नागपुर में संतरे का इतिहास क्या है?

नागपुर अपने संतरों के लिए मशहूर है यह तो अब आप जान ही चुके हैं, लेकिन कभी सोचा है कि सबसे पहले यहां संतरे उगाने की शुरुआत किसने की होगी? इस क्षेत्र में संतरे की खेती की उत्पत्ति की कहानी काफी आकर्षक है। बात है साल 1896 की जब स्वर्गीय श्री रघुजीराजे भोंसले द्वारा पहली बार नागपुर संतरे को किचन गार्डन प्लांट के रूप में सफलतापूर्वक आजमाया गया था। उस समय से यहां संतरे का उत्पादन हर साल लगातार बढ़ता ही गया। आम और केले के बाद, नागपुर के संतरे राष्ट्रीय बागवानी फसलों में से एक हैं।

नागपुर के संतरों में अनोखा क्या है?

नागपुर के संतरों में मिठास के साथ इसके गूदे काफी रसीले होते हैं, जिसके कारण नागपुर में उगाए जाने वाले संतरे भारत और भारत के बाहर भी काफी प्रसिद्ध हैं। ये संतरे अपनी अनूठी सुगंध और खास स्वाद के साथ खुद को अन्य संतरों से अलग करते हैं। संतरे की विशिष्ट किस्म, जो अक्सर नागपुर में उगाई जाती है, वह है मैंडरिन ऑरेंज। अपने खट्टे-मीठे मोहक स्वाद और आसानी से छिलने वाले छिलके के कारण, नागपुर मैंडरिन भारत में संतरे की सभी किस्मों में से सबसे लोकप्रिय है। महाराष्ट्र के नागपुर, अमरावती और वर्धा जिलों में कुछ बेहतरीन मैंडरिन उगाई जाती हैं। साल 2014 में, नागपुर के संतरों को उनके मीठे-खट्टे स्वाद के कारण जीआई टैग मिला था।

Pic Credit: Freepik