अश्र्वमुखी 'कुद्रेमुख नेशनल पार्क' है फोटोग्राफी के साथ ट्रैकिंग के लिए भी बेस्ट, सर्दियों में बनाएं प्लान
दक्षिण भारत की तीन मुख्य नदियां तुंग भद्रा और नेत्रावती का उद्गम स्थान कुद्रेमुख में स्थित है। जंगली जानवर देखने के साथ ही यहां ट्रेकिंग का भी रोमांच ही होता है अलग।
By Priyanka SinghEdited By: Updated: Sun, 08 Dec 2019 08:32 AM (IST)
बादलरूपी पर्दों से गुजरते हुए जब कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान पहुंचते हैं तो वहां की खूबसूरत वादियां आपका स्वागत करती हैं। इसी खूबसूरती की मनमोहक छटाओं में खो जाने के लिए ट्रेकर्स एवं यात्री इस उद्यान की सैर बारिश के मौसम में करना पसंद करते हैं।
कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान की खासियतइस उद्यान की खास बात यह है कि इसकी पहाड़ियों का आकार घोड़े के मुख जैसा प्रतीत होता है और इसी वजह से प्राचीनकाल से कन्नड़ भाषा में इस पहाड़ी को 'कुद्रेमुख' अर्थात 'अश्र्वमुख' का नाम दिया गया। दक्षिण भारत की तीन मुख्य नदियां तुंग, भद्रा और नेत्रावती का उद्गम स्थान भी कुद्रेमुख में स्थित है। पहाड़ी में स्थित देवी भगवती की गुफा कुद्रेमुख को दैवी ऊर्जा से भरती प्रतीत होती है। संरक्षित उद्यान होने के कारण यहां कैंपिंग या रात्रिवास की मंजूरी नहीं है। हां, सुबह के समय इस उद्यान की सैर के दौरान आप यहां के वन्य जीवन से रूबरू हो सकते हैं।
फोटोग्राफी के लिए बेहतरीन जगहबाघ, तेंदुआ, जंगली हाथी, लंगूर, हिरन एवं अनगिनत प्रजातियों के सांप कुद्रेमुख के घने जंगलों में पाए जाते हैं। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर्स के लिए कुद्रेमुख किसी जन्नत से कम नहीं है। यहां वे इस जन्नत को अपने कैमरे में उतारने के लिए आतुर नजर आते हैं। रात्रिवास के लिए आप उद्यान के नजदीकी गांवों में होमस्टे लेकर अपनी यात्रा को और भी रोमांचक बना सकते हैं। स्थानीय आदिवासियों के साथ संस्कृति-विनिमय का यह बेहतरीन मौका है।
कुद्रेमुख ट्रेक-यही है सही समयकुद्रेमुख ट्रेकिंग के लिए बारिश या सर्दियों का मौसम सही समय माना जाता है। आप स्थानीय गांव से गाइड लेकर लगभग 18 किलोमीटर लंबा ट्रेक एक दिन में पूरा कर वापस होमस्टे आ सकते हैं। आजकल ज्यादातर होमस्टे यात्रियों के लिए ट्रेकिंग गाइड की सुविधा भी उपलब्ध कराते हैं। यदि कुद्रेमुख ट्रेक किसी के लिए ज्यादा कठिन है तो नजदीकी जलप्रपात तथा 'व्यू-पॉइंट्स' तक सरल ट्रेकिंग के विकल्प भी मौजूद हैं। अंदरूनी जंगलों में स्थित होने के कारण गांव तक पहुंचने का एकमात्र विकल्प निजी गाड़ी या चिकमंगलूर शहर से मिलने वाली टैक्सी है।
कैसे और कब पहुंचेंबेंगलुरु तथा मंगलुरु से इस शहर के लिए बसें उपलब्ध हैं। सबसे नजदीकी हवाई अड्डा बेंगलुरु में स्थित है। शहर का अपना रेलवे स्टेशन भी है। पहाड़ी इलाका होने के कारण निजी एवं किराये की गाड़ियां यहां खूब चलती हैं। आप यहां किसी भी मौसम में आ सकते हैं पर सर्दियों का मौसम अधिक मुफीद है।