बंद नहीं हुआ 50 पैसे का सिक्का! डाकघर में आज भी दौड़ रही अठन्नी, रेलवे भी नहीं कर सकता लेने से इनकार

डाकघर में एक पोस्टकार्ड की कीमत अब भी 50 पैसे ही है। आप 50 पैसा लेकर डाकघर जाएंगे तो वहां का कर्मी उसे लेने से मना नहीं करेगा। बल्कि एक रुपया देने पर वह आपको 50 पैसा लौटा ही देगा। रेलवे में यदि कोई यात्री टिकट बुकिंग के लिए 50 पैसा या एक रुपये का छोटा सिक्का देगा तो उसे टिकट देने से मना नहीं किया जा सकता है।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Tue, 25 Jul 2023 04:33 PM (IST) Updated:Tue, 25 Jul 2023 04:33 PM (IST)
बंद नहीं हुआ 50 पैसे का सिक्का! डाकघर में आज भी दौड़ रही अठन्नी, रेलवे भी नहीं कर सकता लेने से इनकार
डाकघर में आज भी दौड़ रही अठन्नी, 50 पैसे में मिलता है पोस्टकार्ड। जागरण

HighLights

  • 20 से 25 हजार पोस्टकार्ड की पहले हर माह होती थी बिक्री
  • 7-8 वर्षों से प्रतिमाह पांच से छह हजार पोस्टकार्ड बिक रहे
  • एक बार में 100 से 150 पोस्टकार्ड खरीदकर ले जाते हैं बड़े व्यवासायी

जागरण संवाददाता, भागलपुर : पिछले 10-12 वर्षों से अठन्नी (50 पैसे का सिक्का) भले ही बाजार से गायब हो गई हो पर डाकघर में आज भी इसका मोल है। अगर आपके पास 50 पैसे का सिक्का है तो किसी भी डाकघर के काउंटर पर आप उसका उपयोग कर सकते हैं।

दरअसल, सरकार आज भी 50 पैसे के सिक्के को ही न्यूनतम मूल्य मान रही है। वित्त विभाग की ओर से भी इसे बंद करने की अब तक अधिसूचना जारी नहीं हुई है। यही वजह है कि डाकघर में एक पोस्टकार्ड की कीमत अब भी 50 पैसे ही है। आप 50 पैसा लेकर डाकघर जाएंगे तो वहां का कर्मी उसे लेने से मना नहीं करेगा। बल्कि, एक रुपया देने पर वह आपको 50 पैसा लौटा ही देगा।

डाक विभाग के अधिकारियों के अनुसार, सरकार ने 50 पैसे के सिक्के को बंद नहीं किया है। यही वजह है कि डाकघर का कोई भी कर्मी 50 पैसा लेने से इनकार नहीं कर सकता। पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय और लिफाफा फर्स्ट क्लास मेल की श्रेणी में आता है। डिजिटल युग में पोस्टकार्ड की मांग कम जरूर हुई है पर अभी भी इसकी बिक्री हो रही है।

पहले प्रतिमाह 20 से 25 हजार पोस्टकार्ड की बिक्री होती थी, जो पिछले सात-आठ सालों में घटकर पांच से छह हजार तक रह गई है। वर्तमान में डाक्टर्स, बड़े-बड़े व्यवसायी इसका उपयोग शुभकामना संदेश भेजने, तकादा करने में करते हैं। ऐसे लोग एक बार में 100 से 150 पोस्टकार्ड खरीदकर ले जाते हैं।

अंतर्देशीय की बिक्री में आई कमी

इसके अलावा श्राद्धकर्म का न्योता भेजने, सरकारी विभागों में सामान्य नोटिस भेजने में भी इसका उपयोग किया जाता है। हालांकि, अंतर्देशीय की बिक्री बहुत ही कम गई है। माह में 100-200 के बीच ही बिक्री हो रही है।डाकघर के कर्मियों का कहना है कि बाजार में प्रचलन में नहीं होने की वजह से 50 पैसे के सिक्कों की डाकघर में भी किल्लत हो गई है।

बाजार में गिने-चुने 50 पैसे के सिक्के शेष

बैंक से भी 50 पैसे की आपूर्ति नहीं की जाती है, इसलिए अब गिने-चुने 50 पैसे के सिक्के ही बचे हैं। शायद ही कोई ग्राहक 50 पैसा लेकर पोस्टकार्ड खरीदने आते हैं। एक साल पहले 50-50 पैसे के पांच सिक्के लेकर एक व्यक्ति पोस्टकार्ड लेने डाकघर आया था। उसके बाद से एक भी ऐसा ग्राहक नहीं आया है। सभी एक, दो, पांच रुपये के सिक्के या नोट लेकर पोस्टकार्ड खरीदने आते हैं।

रेलवे भी 50 पैसे का सिक्का लेने से नहीं कर सकता मना

टिकट बुकिंग केंद्र के सुपरवाइजर ने कहा कि यदि कोई यात्री 50 पैसा या एक रुपये का छोटा सिक्का देगा तो उसे टिकट देने से मना नहीं किया जा सकता है। हालांकि, अब इन सिक्कों को लेने से बैंक के कर्मी मना कर देते हैं। ऐसी स्थिति में रेलकर्मियों को परेशानी होती है। डाकपाल एनएन चौधरी ने कहा कि डाकघर में आज भी 50 पैसे के सिक्के का प्रचलन है। ग्राहक 50 पैसा देकर पोस्टकार्ड खरीद सकते हैं।

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