New Criminal laws : दफा 302 के तहत... भूल जाइए ये डायलॉग, अब सजा सुनाते वक्त क्या कहेंगे जज साहब?

सोमवार यानी एक जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं जिसके कारण अब कानून की इन धाराओं में परिवर्तन कर दिया गया है। पहले अक्सर फिल्मों में जज साहब कोर्ट रूम में मुजरिमों को दफा 302 के तहत उम्रकैद या फांसी की सजा सुनाने का डायलॉग बोलते थे। हालांकि एक जुलाई से प्रभावी नए कानून के बाद अब प्रासंगिक नहीं रह गया।

By Deepak Singh Edited By: Shashank Shekhar Publish:Mon, 01 Jul 2024 05:35 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jul 2024 05:35 PM (IST)
New Criminal laws : दफा 302 के तहत... भूल जाइए ये डायलॉग, अब सजा सुनाते वक्त क्या कहेंगे जज साहब?
एक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून पूरे देश में लागू।

HighLights

  • नए कानून मेें भारतीय न्याय संहिता के तहत गंभीर धाराएं परिवर्तित
  • पहले से दर्ज केस अंतिम निपटारे तक पुराने कानून के तहत चलेगा
  • पूरे देश में तीन नए कानून में बदलाव प्रभावी ढंग से लागू हो गया

जागरण संवाददाता, आरा। New Criminal laws अक्सर हिन्दी फिल्मों में देखा जाता था कि जज साहब कोर्ट रूम में सजा सुनाते समय दोषी मुजरिम को दफा 302 के तहत उम्रकैद या फांसी की सजा सुनाए जाने का डायलॉग बोलते हैं। अब नए कानून के तहत इसकी प्रासंगिकता नहीं रह जाएगी।

एक जुलाई यानी सोमवार से पूरे देश में तीन नए कानून में बदलाव प्रभावी ढंग से लागू हो गया है। ऐसे में धाराओं में भी परिवर्तन हो गया है। नए कानून के तहत दफा 302 के बदले अब 103 (1) के तहत प्राथमिकी होगी और उसी दफा के तहत ट्रायल के दौरान दोष सिद्ध होने पर जज साहब सजा भी सुनाएंगे।

गंभीर कांडों में संशोधित धाराओं में व्यापक परिवर्तन

गंभीर कांडों में संशोधित धाराओं में व्यापक परिवर्तन किया गया है। हालांकि, जो मामले इस कानून के लागू होने से पहले दर्ज किए गए है, उनके अंतिम निपटारे तक उन मामलों में पुराने कानूनों के तहत ही मुकदमा चलता रहेगा। जानकार, जनहित में इसे अच्छा कानून मान रहे है।

क्योंकि, पुराने भारतीय दंड विधान कानून से अब नए भारतीय न्याय संहिता कानून मेें प्रवेश हुआ है। इसे लेकर भोजपुर जिले में तीन चरणों में करीब साढ़े सात सौ अफसरोंको ट्रेनिंग दी जा चुकी है।

नए आपराधिक कानून-भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 25 दिसंबर, 2023 को अधिसूचित किए गए थे। इन तीन कानूनों को ब्रिटिश काल की भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लाया गया है।

नए कानून में कई बड़े बदलाव किए गए

आइपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं, जबकि पहले आइपीसी में 511 धाराएं थीं। इसी तरह, सीआरपीसी की जगह लेने वाली भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में पिछली 484 की तुलना में 531 धाराएं हैं। इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 धाराएं हैं।

ये पिछले कानून में 166 से थोड़ी अधिक हैं। नए कानून में कई बड़े बदलाव भी किए गए हैं। इसमें राजद्रोह वाले प्वाइंट को हटाया गया है। हालांकि, सशस्त्र क्रांति, विध्वंसक गतिविधियों और अलगाववादी कार्यों के कारण होने वाले राजद्रोह को अभी भी क्रिमिनल अफेंस माना जाएगा।

अब नहीं चलेगा 420 वाला पुराना जुमला

पहले किसी भी धोखाधड़ी करने वाले शख्स को लोग अमूमन बोलचाल में 420 कहते थे। यह जुमला काफी प्रसिद्ध भी हो गया था। लेकिन, अब नए कानून के तहत धोखाधड़ी में लगने वाली आइपीसी की धारा परिवर्तित हो गई है। नए कानून के तहत 318 (4) अधिनियम के तहत प्राथमिकी होगी।

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