Bihar Bridge Collapse: बिहार में एक और ब्रिज धड़ाम, हफ्तेभर के अंदर चौथा पुल हुआ धराशायी, 40 हजार की आबादी का टूटा संपर्क
Kishanganj Bridge Collapse बिहार में पुलों के धराशाई होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सिवान (Siwan Bridge Collapse) अररिया (Araria Bridge Collapse) और मोतिहारी (Motihari Bridge Collapse) के बाद अब किशनगंज (Kishanganj Bridge Collapse) में एक पुल धराशाई हो गया है। दशकों पुराना मरिया धार पुल जर्जर हो चुका था। बहादुरगंज स्थित इस पुल धंसने के बाद स्थानीय प्रशासन ने आवाजाही पर रोक लगा दी है।
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HighLights
- स्थानीय अधिकारियों ने दो वर्षों में दो-दो बार भेजा नए पुल निर्माण का प्रस्ताव , नहीं हुआ स्वीकृत
- बहादुरगंज स्थित मरिया धार पुल धंसने के बाद से आवागमन बंद, 40 हजार की आबादी हो रही प्रभावित
- पुल के 7 पायों में से दो पाये 2-2 फीट, जबकि एक पाया 1 फीट धंसा, इंजीनियर ने कहा, मरम्मत संभव नहीं
संवाद सूत्र, बहादुरगंज (किशनगंज)। Bihar Bridge Collapse : बिहार में पुल गिरने और ध्वस्त होने का सिलसिला नहीं थम रहा है। ताजा मामला किशनगंज (Kishanganj Bridge Collapse) का है, जहां बहादुरगंज प्रखंड के श्रवण चौक स्थित मरिया धार पर बना पुल धंसने के बाद से स्थानीय प्रशासन ने आवाजाही पर रोक लगा दी है।
मुख्यमंत्री सेतु योजना से 2009 में ईंट से बना यह पुल पिछले दो वर्षों से जर्जर अवस्था में था। ग्रामीणों ने पुल निर्माण एजेंसी ग्रामीण कार्य विभाग को इसकी सूचना भी दी थी।
विभाग के स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि पिछले दो वर्षों में दो बार इस जर्जर पुल की जगह उच्च स्तरीय पुल बनाने का प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा गया, लेकिन स्वीकृति नहीं मिली। लोग जान जोखिम में डालकर इसी पुल से आवाजाही कर रहे थे।
गत बुधवार को वर्षा के चलते पुल पर पानी का दबाव बढ़ते ही इसके पाये दो फीट तक धंस गए। इसके बाद प्रशासन सक्रिय हुआ और पुल पर आवागमन को रोक दिया है।
15 वर्ष पहले बने इस महत्वपूर्ण पुल के धंसने से इस क्षेत्र की करीब 40 हजार आबादी को आवाजाही में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
करीब 25 लाख रुपये की लागत से 70 मीटर लंबा व 12 मीटर चौड़ा यह पुल बनाया गया था। इसकी कभी कोई मरम्मत नहीं की गई। विभाग के अधिकारी बताते हैं कि ईंट के पुल का क्या लाइफ होनी चाहिए यह कहना मुश्किल है।
एनएच 327 ई से जोड़ता है यह पुल
कनकई नदी के मरिया धार पर गुआबाडी पंचायत के बांसबाडी श्रवण चौक के पास बना यह पुल दिघलबैंक प्रखंड को बहादुरगंज होते हुए एनएच 327 ई को जोड़ता है।
इस पुल से जयनगर, कटहलबारी, चुराकूट्टी, किशनपुर, पदमपुर, सातमेरी बांसबारी, दुआदांगी कुढैली, बैरबन्ना सहित दर्जनों गांवों के लोग आवाजाही करते हैं।
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दो फीट तक धंसा पुल
बीते दिनों नेपाल के तराई में हुई मुसलाधार बारिश के कारण मरिया धार का जलस्तर तेजी से बढ़ा। पानी के तेज बहाव का दबाव पुल सह नहीं पाया और इसके सात पायों में से बीच के दो पाये दो फीट तक जबकि एक पाया एक फीट धंस गया।
सूचना मिलते ही ग्रामीण कार्य विभाग के वरीय पदाधिकारियों की टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किए। विभाग के अनुरोध पर स्थानीय प्रशासन ने तत्काल पुल पर आवाजाही पर रोक लगा दी।
अब लोगों को आवाजाही करने में 15 किमी लंबी दूरी तय कर लोहागाड़ा जाना पड़ेगा। पहले आसपास के ग्रामीण चार किमी दूरी तय कर ही लोहागाड़ा पहुंच जाते थे जहां से उन्हें अन्य जगहों पर जाने के लिए बस एवं यातायात की सुविधाएं मिल जाती थीं।
थम नहीं रहा पुल का गिरना
धंसना राज्य में पुल का गिरना और धंसना थम नहीं रहा है। गत 18 जून को अररिया के सिकटी में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा निर्मित 182 मीटर लंबा नवनिर्मित पुल ध्वस्त हो गया था। इसके अलावा सिवान और पूर्वी चंपारण में भी पुल क्षतिग्रस्त हो गया।
क्या कहते हैं अधिकारी?
मरिया धार पर बना पुल क्षतिग्रस्त होने के कारण उस जगह नया पुल बनाने का प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा गया है। प्रस्ताव अब तक स्वीकृत होकर नहीं आया है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुल पर आवाजाही पर रोक दी गई है। यह पुल काफी जर्जर हो चुका है। इस बरसात में इसकी मरम्मत संभव नहीं है। -गौरव कुमार, कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग, बहादुरगंज
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