गेहूं की जगह चावल देकर क्या आपका राशन डीलर भी दे रहा धोखा...तो जल्द करें ये उपाय

Bihar PDS News विभाग की ओर से तमाम तरह की सख्ती के बाद भी राशन डीलर ग्राहकों को गेहूं नहीं देते हैं। खासकर महिलाओं को। उन्हें गेहूं की जगह चावल देकर टरका दिया जाता है। खुले बाजार में गेहूं की कीमत बढ़ने के बाद स्थिति और खराब हो गई है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 03 Sep 2022 11:39 AM (IST) Updated:Sat, 03 Sep 2022 11:39 AM (IST)
गेहूं की जगह चावल देकर क्या आपका राशन डीलर भी दे रहा धोखा...तो जल्द करें ये उपाय
आदेश का उल्लंघन करने वालों पर सख्ती का आदेश दिया गया है। प्रतीकात्मक फोटो

नौतन (पश्चिम चंपारण), संसू। बिहार में खाद्य एवं अापूर्ति विभाग की ओर से संचालित जन वितरण प्रणाली की दुकानों की स्थिति अच्छी नहीं है। तमाम प्रयासों के बाद भी कहीं न कहीं से शिकायतें मिलती हैं। इसके कई रूप देखने को मिलते हैं। इसी कड़ी में वर्तमान समय में सबसे अधिक शिकायत गेहूं नहीं देने की मिल रही है। विभाग को मिल रही शिकायतों में कहा जा रहा है कि राशन डीलर केवल चावल देकर टरका दे रहा है। जबकि नियम के अनुसार उसे प्रति यूनिट एक किग्रा गेहूं का भुगतान करना है। अब इस पर सख्ती करने का फैसला किया गया है।

पश्चिम चंपारण के नौतन प्रखंड के जनवितरण प्रणाली के दुकानदारों को राशन वितरण में पार्दर्शिता लाने को कहा गया है। अन्यथा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रति यूनिट एक किलो गेहूं सभी उपभोक्ता को देना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने वाले डीलरों पर कार्रवाई होगी। प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी अमरेंद्र सिंह ने प्रखंड कार्यालय में डीलरों को दिशा निर्देश देते हुए कहा कि कई पंचायतों से शिकायतें मिल रही हैं कि डीलर उपभोक्ता को गेहूं की जगह चावल दे रहे हैं। यह नियम का उल्लंघन है।

आपूर्ति अधिकारी ने कहा कि पंचायतवार राशन वितरण की जांच शुरू कर दी गई है। इस दौरान कहीं से भी डीलर के विरुद्ध कोई शिकायत मिली तो कार्रवाई होगी। एमओ ने पंचायत प्रतिनिधियों से अपील की है कि राशन वितरण पर वे कड़ी नजर रखें। कहीं से भी किसी डीलर की शिकायत मिलतीं है तो विभाग को सूचना दें, ताकि दोषी डीलर पर कार्रवाई की जा सके। इस मामले में ग्राहकों को भी सजग रहने की जरूरत है। यदि उन्हें गेहूं की जगह चावल दिया जा रहा है तो वे सबसे पहले अपने जनप्रतिनिधियों को इसकी सूचना दें। इसके बाद भी यदि स्थिति में सुधार नहीं देख रहे हैं तो प्रखंड आपूर्ति अधिकारी व प्रखंड विकास अधिकारी तक अपनी बातें को रख सकते हैं। इस तरह से गेहूं की जगह चावल देने की गलत परंपरा को खत्म किया जा सकता है।  

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