Bribe Case: दाखिल-खारिज के लिए मांग रहा था 10 हजार, रिश्वतखोर राजस्व कर्मचारी को दस साल की सजा

बिहार के एक घूसखोर राजस्व अधिकारी को दस साल की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा उसपर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। बता दें कि राजस्व अधिकारी ने दाखिल खारिज को लेकर 10 हजार रुपये रिश्वत की मांग की थी। निगरानी विभाग ने रंगे हाथ अधिकारी को पकड़ा था। इसके बाद उसे अरेस्ट कर लिया गया था।

By Jagran NewsEdited By: Mukul Kumar Publish:Tue, 02 Jul 2024 08:53 AM (IST) Updated:Tue, 02 Jul 2024 09:03 AM (IST)
Bribe Case: दाखिल-खारिज के लिए मांग रहा था 10 हजार, रिश्वतखोर राजस्व कर्मचारी को दस साल की सजा
प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

HighLights

  • विशेष निगरानी न्यायाधीश की अदालत ने सुनाई पटना निगरानी थानाकांड संख्या 74-16 में सजा
  • दाखिल-खारिज और रसीद काटने की एवज में दस हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया था कर्मचारी
  • शिकायतकर्ता ने पटना के निगरानी विभाग से कर्मचारी की तरफ से रिश्वत मांगने की शिकायत की थी

जागरण टीम, पटना/भागलपुर। विशेष निगरानी न्यायाधीश सुदेश श्रीवास्तव की अदालत ने खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड के राजस्व कर्मचारी रहे कैलाश रजक को दस साल की सजा और 50 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।

पटना निगरानी थानाकांड संख्या 74-16 से जुड़े इस केस की सुनवाई पूरी करते हुए विशेष न्यायाधीश ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की तीन धाराओं में दोषी पाते हुए दस साल और सात साल की सजा सुनाई और 50-50 हजार रुपये का अर्थदंड भी देने का आदेश दिया।

दोनों सजाएं एकसाथ चलाए जाने की बात आदेश में विशेष न्यायाधीश ने कही है। सरकार की तरफ से अभियोजन का संचालन निगरानी के विशेष लोक अभियोजक रामवदन कुमार चौधरी ने किया।

ऐसे पकड़ा गया कर्मचारी

विदित हो कि खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड में तैनात राजस्व कर्मचारी कैलाश रजक ने अलौली के रौन गांव निवासी संदीप कुमार के भाई की जमीन के दाखिल-खारिज और रसीद काटने की एवज में दस हजार रुपये की रिश्वत लेते पटना से आई निगरानी की टीम ने रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था।

इसके लिए शिकायतकर्ता ने निगरानी विभाग को राजस्व कर्मचारी की तरफ से रिश्वत की मांग करने की शिकायत की थी। उक्त शिकायत की तहकीकात करने के बाद शिकायतकर्ता के सहयोग से निगरानी डीएसपी तारणी प्रसाद यादव के नेतृत्व में तब पहुंची टीम ने राजस्व कर्मचारी को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया गया था।

अभियोजन पक्ष से ने केस को सजा के मुकाम तक पहुंचाने के लिए कुल 13 लोगों की गवाही कराई थी। जिनमें प्रमुख गवाह तारिणी प्रसाद यादव तत्कालीन डीएसपी और इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार सरोज की गवाही शामिल थी।

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