'मुगलों और अंग्रेजों के राज जैसा भयावह था आपातकाल', संविधान की आत्मा को लेकर कांग्रेस पर क्यों भड़क गई JDU?

मंगलवार को आपातकाल को 49 साल पूरे हो गए। लोकतंत्र के इस काले अध्याय को याद करते हुए जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि कांग्रेस का आपातकाल मुगलों और अंग्रेजों के राज जैसा भयावह और खतरनाक था। उन्होंने कहा कि आपातकाल एक ऐसा समय था जब देश के नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया था। संविधान की आत्मा के साथ खिलवाड़ किया गया था।

By BHUWANESHWAR VATSYAYAN Edited By: Mohit Tripathi Publish:Wed, 26 Jun 2024 09:07 AM (IST) Updated:Wed, 26 Jun 2024 09:07 AM (IST)
'मुगलों और अंग्रेजों के राज जैसा भयावह था आपातकाल', संविधान की आत्मा को लेकर कांग्रेस पर क्यों भड़क गई JDU?
आपातकाल के 49 साल पर हमलावर जदयू। (फाइल फोटो)

HighLights

  • मुगलों और अंग्रेजों के राज जैसा भयावह था कांग्रेस का आपातकाल: राजीव रंजन
  • संविधान की आत्मा कही जाने वाली प्रस्तावना के साथ किया गया खिलवाड़: राजीव रंजन

राज्य ब्यूरो, पटना। जदयू ने मंगलवार को आपातकाल के 49 साल पूरा होने पर लोकतंत्र के इस काले दिन को याद किया। जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस का आपातकाल मुगलों और अंग्रेजों के राज जैसा भयावह था। परिवार की जमींदारी बचाने के लिए कांग्रेस कितने निचले स्तर तक गिर सकती है, आपातकाल उसका जीवंत उदाहरण है।

राजीव रंजन ने कहा कि तकरीबन 21 महीने चले उस भयावह दौर में देश ने खौफनाक पुलिसिया दमन को देखा। विपक्षी नेताओं समेत हजारों लोगों को जेल में ठूंस दिया गया। जबरन नसबंदी करायी गयी।

राजीव रंजन ने आगे कहा कि आपातकाल में बोलने की आजादी का खुलेआम हनन किया गया था। संविधान की आत्मा कही जाने वाली प्रस्तावना को ही बदल दिया गया था।  उस भयावह दौर को याद कर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है।

उन्होंने कहा कि जिस कांग्रेस ने हर कदम पर लोकतंत्र को लहूलुहान किया, आज उनके नेताओं द्वारा उसी संविधान को खतरे में बताना हास्यास्पद है।

कला प्रेमी राज्य के रूप में जाना जाएगा बिहार: विजय सिन्हा

कला-संस्कृति विभाग का प्रयास है कि संग्रहालय और पुरातत्व स्थलों के माध्यम से देश-विदेश में बिहार की पहचान कला प्रेमी राज्य के रूप में बनाई जाए।

अपनी इस मंशा से अवगत कराते हुए उप मुख्यमंत्री सह कला-संस्कृति मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि बिहार में कुल 54 स्मारक संरक्षित श्रेणी में हैं। उनमें से एक पटना का गोलघर भी है।

सारण में चिरांद, वैशाली में नेपाली मंदिर, सहरसा के कन्दाहा में सूर्य मंदिर, गया के मेनग्राम में कोटेश्वर धाम की मान्यता पौराणिक है।

कला एवं संस्कृति मंत्री ने मंगलवार को बताया कि हिंदी और अंग्रेजी में इन स्मारकों से जुड़ी सूचनाओं से संबंधित ब्राउसर (पुस्तिका) का प्रकाशन हो चुका है। ये सभी सरकार द्वारा संरक्षित हैं। संग्रहालयों व पुरातत्व स्थलों के माध्यम से बिहार के सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित, संरक्षित व प्रदर्शित करने के लिए उनका विभाग प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि राज्य के 29 संग्रहालयों के माध्यम से वर्तमान और नई पीढ़ी को राज्य की समृद्ध विरासत से अवगत कराने का उद्देश्य है। इसके लिए सरकार नए संग्रहालयों के निर्माण और पहले से संचालित संग्रहालयों और पुरातत्व स्थलों के प्रबंधन में लगी है।

यह भी पढ़ें: बिहार में ऑनलाइन Fraud के 6 हॉट स्पॉट जिले; EOU ने 58 को दबोचा, पटना के फर्जी कॉल सेंटर से 9 युवतियां गिरफ्तार

चंद्रशेखर सिंह फिर बने पटना के DM, शीर्षत कपिल बीएसआरडीसी भेजे गए

chat bot
आपका साथी