आरक्षण पर कोर्ट का फैसला आते ही BJP पर भड़का विपक्ष, I.N.D.I.A के साथी दल ने अब नीतीश से कर दी ये बड़ी मांग

पटना उच्च न्यायालय दलित-वंचित समुदाय के आरक्षण की सीमा को 65 प्रतिशत करने के निर्णय को रद्द कर दिया है। इसको लेकर बिहार में सियासत तेज हो गई है। इंडी गठबंधन के साथी दल ने कोर्ट के निर्णय को वंचित समुदाय के प्रति घोर अन्याय बताया है। इसके साथ ही इंडी गठबंधन के साथी दल ने नीतीश कुमार की सरकार से एक बड़ी मांग कर दी है।

By Arun Ashesh Edited By: Mukul Kumar Publish:Thu, 20 Jun 2024 07:28 PM (IST) Updated:Thu, 20 Jun 2024 07:28 PM (IST)
आरक्षण पर कोर्ट का फैसला आते ही BJP पर भड़का विपक्ष, I.N.D.I.A के साथी दल ने अब नीतीश से कर दी ये बड़ी मांग
आरक्षण को लेकर बिहार में छिड़ी सियासत

HighLights

  • पटना हाई कोर्ट के निर्णय को माले ने बताया वंचितों के प्रति घोर अन्याय
  • आरक्षण विस्तार का फैसला बहुत ही ठोस आधार पर किया गया था- माले
  • जाति गणना के खिलाफ भाजपा के ही लोग न्यायालय में गए थे- माले

राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics News Hindi भाकपा माले (CPI-ML) के राज्य सचिव कुणाल ने बिहार में महागठबंधन सरकार द्वारा दलित-वंचित समुदाय के आरक्षण की सीमा को 65 प्रतिशत करने के निर्णय को पटना उच्च न्यायालय द्वारा रद्द करने के निर्णय को वंचित समुदाय के प्रति घोर अन्याय बताया है।

उन्होंने कहा कि वंचित समुदाय के आरक्षण पर हो रहे संगठित हमले व उसे कमजोर किए जाने के इस दौर में महागठबंधन की सरकार ने जाति आधारित जनगणना के आधार पर ओबीसी, ईबीसी, दलित और आदिवासियों का आरक्षण बढ़ाकर 65 फीसदी किया था, जो बिल्कुल न्याय संगत था।

उन्होंने कहा कि आरक्षण विस्तार का फैसला बहुत ही ठोस आधार पर किया गया था। भाजपा तो शुरू से ही जाति गणना की विरोधी रही है। बिहार की सत्ता हड़प लेने के बाद वह 65 प्रतिशत आरक्षण को रद्द करवाने के लिए काफी सक्रिय रही है। जाति गणना के खिलाफ भाजपा (BJP) के ही लोग न्यायालय में गए थे।

उन्होंने 10 प्रतिशत असंवैधानिक सवर्ण आरक्षण को तो हमारी न्याय व्यवस्था ने सही साबित कर दिया, लेकिन दलितों- वंचितों के पक्ष में आरक्षण विस्तार को असंवैधानिक बताना तर्कपूर्ण नहीं है। माले ने बिहार सरकार से आग्रह किया है कि वह तुरंत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाए।

केंद्र सरकार दबा रही विपक्ष की आवाज: माले

वहीं, नवादा में अरुंधति राय व डॉ. शेख शौकत हुसैन पर यूएपीए के मुकदमे को रद्द करने की मांग को लेकर देशव्यापी प्रतिवाद दिवस के तहत भाकपा माले ने शहर में गुरुवार को प्रतिवाद मार्च निकाला। इस दौरान दमनकारी कानूनों को खत्म करने व सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने की पुरजोर मांग उठाई गई।

प्रतिवाद मार्च आंबेडकर पार्क से जुलूस निकालकर शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए प्रजातंत्र चौक पहुंचकर सभा में तब्दील हो गई व सरकार विरोधी जमकर नारेबाजी की।

अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले पर रोक लगाने की मांग की गई

Bihar News अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले पर रोक लगाने, असहमति का गला घोटना बंद करो जैसे मांगो को लेकर मार्च का नेतृत्व जिला सचिव भोला राम, जिला कमेटी सदस्य सह रजौली जिला परिषद सदस्य मेवालाल राजवंशी और सुदामा देवी ने संयुक्त रूप से किया।

सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले जिला सचिव भोला राम ने कहा अरुंधती राय व डा. शेख शौकत हूसैन पर लादा युएपीए जैसे काले कानून दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा अनुमति दिया जाना अभिव्यक्ति की आजादी हमला है।

मेवालाल राजवंशी ने कहा कि जिले में बढ़ रहे ग्रामीण गरीबों पर हमला खासकर पंचायत प्रतिनिधियों पर साजिश के तहत हत्या-हमले बढ़ा है, यह निंदनीय है। बदमाशों के रहमो करम चलने वाली नीतिश-भाजपा की सरकार के खिलाफ चौतरफा आंदोलन छेड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।

इस दौरान रमेश पासवान, गजाधर मांझी, लटन दास, महावीर राम, पंच संजु देवी, पानो देवी समेत अन्य महिला-पुरूष शामिल थे।

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