KK Pathak तो चले गए... अब शिक्षा विभाग के सामने नया संकट, IAS S. Siddharth कैसे दूर करेंगे इन शिक्षकों की टेंशन?

बिहार शिक्षा विभाग के पूर्व अपर मुख्य सचिव केके पाठक के जाते ही शिक्षा विभाग के सामने एक नया संकट खड़ा हो गया है। चालू वित्तीय वर्ष में शिक्षा मद में केंद्रांश की राशि बिहार को नहीं मिली है। इसकी वजह से राज्य में सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को वेतन भुगतान का संकट गहराने के आसार है। अब देखना यह है कि आईएएस अधिकारी एस सिद्धार्थ क्या इसका समाधान निकलेंगे।

By Dina Nath Sahani Edited By: Mukul Kumar Publish:Sun, 16 Jun 2024 06:26 PM (IST) Updated:Sun, 16 Jun 2024 06:26 PM (IST)
KK Pathak तो चले गए... अब शिक्षा विभाग के सामने नया संकट, IAS S. Siddharth कैसे दूर करेंगे इन शिक्षकों की टेंशन?
बिहार शिक्षा विभाग के पूर्व अपर मुख्य सचिव। फोटो- जागरण

HighLights

  • राज्य में शैक्षणिक योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए भी नहीं मिला केंद्रांश
  • चालू वित्तीय वर्ष में केंद्रांश की नहीं मिली राशि, शिक्षकों के वेतन पर संकट

राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Education News चालू वित्तीय वर्ष में शिक्षा मद में केंद्रांश की राशि बिहार को नहीं मिली है। इसकी वजह से राज्य में सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को वेतन भुगतान का संकट गहराने के आसार है। वहीं विभिन्न शैक्षणिक योजनाओं के क्रियान्वयन में भी परेशानी आ रही है।

इसके मद्देनजर शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के वेतन मद में मिलने वाली बकाया राशि की मांग केंद्र सरकार से की है। यदि केंद्र से माध्यमिक शिक्षकों के बकाया वेतन की राशि (799 करोड़ 38 लाख रुपये) नहीं मिली तो शिक्षकों को मई-जून का वेतन भुगतान हेतु राज्य सरकार को अपने स्तर से राशि का इंतजाम करना पड़ेगा।

केंद्र सरकार को लिखे पत्र में शिक्षा विभाग ने साफतौर से कहा है कि केंद्रांश समय पर नहीं मिलने से शिक्षा से संबंधित कार्यक्रमों को जारी रखने में परेशानी हो रही है। कई योजनाएं लटकी हैं।

वेतनमान के लिए 899 करोड़ 38 लाख रुपये की स्वीकृति मिली

Bihar News शिक्षा विभाग के मुताबिक, केंद्रीय स्कीम के तहत माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों के वेतनमान के लिए 899 करोड़ 38 लाख रुपये की स्वीकृति मिली है। इसमें केंद्रांश 799 करोड़ 38 लाख रुपये है, जिसमें राज्य सरकार को एक भी पैसा नहीं मिला है।

इससे राज्य सरकार वित्तीय दबाव में है। कई योजनाएं लटकी हैं क्योंकि कई मामलों में योजनाओं को चलाने के लिए केंद्रांश की राशि भी तत्कालिक रूप से राज्य सरकार को ही वहन करना पड़ता है।

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