ये है लालू-राबड़ी के अजब ट्रेन की गजब कहानी: जानिए क्या हाल है

पटना-दीघा रेलखंड जहां ट्रेन एेसे चलती है जैसे वह ट्वॉय ट्रेन हो। तीन बोगियों वाली इस ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर गाय-भैंसे बांधी जाती हैं तो वहीं ट्रेन में यात्री टिकट लेकर नहीं बैठते।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Sat, 16 Jun 2018 01:45 PM (IST) Updated:Sat, 16 Jun 2018 10:37 PM (IST)
ये है लालू-राबड़ी के अजब ट्रेन की गजब कहानी: जानिए क्या हाल है
ये है लालू-राबड़ी के अजब ट्रेन की गजब कहानी: जानिए क्या हाल है

पटना [मृत्युंजय मानी]। वर्ष 2004 में तत्कालीन रेलमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी के साथ मिलकर पटना दीघा पैसेंजर ट्रेन का उद्घाटन किया था। दोनों ने उद्घाटन के दिन ट्रेन का टिकट लिया था और इससे यात्रा की थी। लेकिन आज उस रेलखंड और उस ट्रेन की स्थिति एेसी है कि कहना पड़ता है-लालू-राबड़ी के अजब ट्रेन की गजब कहानी....

पटरियों के किनारे झुग्गी-झोपडिय़ों की कतार। गोबर से सने प्लेटफॉर्म और उसपर बंधीं गाय-भैंसें। बंद टिकट काउंटर और लगभग खाली ट्रेन। ये नजारा है पटना-दीघा रेलखंड का। तीन बोगियों वाली ट्रेन 'चिडिय़ाघर' की टॉय ट्रेन की तरह लगती है। लोग जहां मन चाहे चढ़ते हैं, उतरते हैं।

शिवपुरी हॉल्ट पर गार्ड ट्रेन रोककर क्रॉसिंग तक जाता है। हरी झंडी दिखाता है, फिर वापस आकर इंजन में सवार हो जाता है।

इंद्रपुरी के पास यात्री चलती ट्रेन से उतरते हैं। गुमटी से खैनी-चूना लेते हैं और फिर दौड़ते हुए ट्रेन में चढ़ जाते हैं। बच्चों का झुंड भी पूरे सफर के दौरान ट्रेन पर चढ़ता-उतरता रहता है। 42 मिनट के सफर में कई बार ऐसा लगता है जैसे दो झोपडिय़ों के बीच ट्रेन घुस गई है।

अतिक्रमण ऐसा कि अंतिम हॉल्ट दीघा के प्लेटफॉर्म से पहले ही ट्रेन रोकनी पड़ती है। राज्य सरकार की ओर से पटना-दीघा रेलखंड पर फोरलेन बनाए जाने के प्रस्ताव के बाद इस ट्रेन की भी उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इस रेलखंड का जायजा लिया मृत्युंजय मानी ने। 

पटना-दीघा रेलखंड का हाल

07 किमी लंबा है रेलखंड

06 हॉल्ट हैं रेलखंड में

17 मंदिर हैं रेलखंड से सटे

1000 से अधिक खटाल और झोपडिय़ां

 सुबह 8:00 बजे

छुक-छुक करती हुई तीन बोगी वाली पटना-दीघा पैसेंजर ट्रेन आर. ब्लॉक हॉल्ट पर रुकती है। पूरी ट्रेन में सिर्फ दो यात्री सवार हैं। आर. ब्लॉक हॉल्ट पर तीन यात्री और सवार हुए। सचिवालय हॉल्ट पर ट्रेन तो रुकी पर कोई यात्री सवार नहीं हुआ। 

8:10 बजे

आर. ब्लॉक से बेली रोड के बीच घनी झुग्गी-झोपडिय़ां हैं। अगर आप दरवाजे पर खड़े हैं तो लगता है जैसे किसी के घर में झांक रहे हों। 8:10 बजे ट्रेन बेली रोड हॉल्ट पहुंचती है। प्लेटफॉर्म पर खटाल होने से यात्रियों को ट्रेन पर सवार होने में परेशानी होती है। यहां से चार यात्री सवार हुए। 

8:17 बजे 

कई हॉल्टों पर रुकते हुए ट्रेन अब शिवपुरी हॉल्ट पहुंच गई है। हॉल्ट के होर्डिंग वाले खंभे में गाय बंधी है। ट्रेन प्लेटफॅार्म पर रुकी है या नहीं, ये भी पता नहीं चलता। बोर्ड पुराना हो गया है। उसपर लिखा नाम भी नहीं दिखता। 

8:32 बजे 

राजीव नगर हॉल्ट पर ट्रेन 8:32 बजे पहुंची। हॉल्ट के नाम वाले बोर्ड से हॉल्ट का नाम मिट गया है। प्लेटफार्म पर यहां भी यात्री कम और गाय-भैंसें ज्यादा हैं। 

8:42 बजे 

ट्रेन अपने अंतिम स्टेशन दीघा हॉल्ट के पहले ही रुक गई। यहां का दृश्य देखने लायक है। एक तरफ से ही ट्रेन से यात्री उतर व चढ़ सकते हैं। दूसरी तरफ पूरा अतिक्रमण है। हाल्ट थोड़ी दूरी पर है, लेकिन स्थानीय लोगों ने क्रासिंग के पहले ही ट्रैक को स्थाई रूप से बंद कर दिया है।

बता दें कि लालू यादव ने इस सवारी गाड़ी का परिचालन शुरू कराया था। रेलवे अब तक इस 71 एकड़ जमीन का बाजार दर (व्यावसायिक मूल्य) 896 करोड़ तय कर उसके हिसाब से राज्य सरकार से पैसा मांग रहा था। पर राज्य सरकार इस मूल्य पर जमीन लेने को तैयार नहीं थी। केन्द्र और राज्य के बीच यह जिच 7 साल से बरकरार था।

बिहार ने स्पष्ट कर दिया कि जमीन लंबी होने के कारण इसका कोई व्यावसायिक उपयोग नहीं हो सकता। ऐसे में इस जमीन को व्यावसायिक मान कर उस हिसाब से मूल्य तय करना तर्कसंगत नहीं है। आर ब्लॉक-दीघा रेल लाइन पर रेल चलाने पर हर वर्ष रेल मंत्रालय को 1 करोड़ से ऊपर खर्च आता है पर सालाना आय मात्र 60 हजार रुपए है। महज 20 किलोमीटर की रफ्तार से चलने वाली ट्रेन में बमुश्किल 20-25 लोग सफर करते हैं।  

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