बिहार में NDA के सामने किला बचाने की चुनौती, चौथे चरण के मतदान में इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

Bihar Lok Sabha Election 2024 Phase 4 Voting बिहार में चौथे चरण का मतदान 13 मई को होना है। इससे पहले ही प्रदेश में वोटिंग को लेकर सियासी हलचल तेज है। बहरहाल चौथे चरण में पांच सीटों पर मतदान होना है। इन सीटों पर पिछले 10 साल से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है। ऐसे में इस बार देखना होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।

By BHUWANESHWAR VATSYAYAN Edited By: Yogesh Sahu Publish:Mon, 06 May 2024 06:16 PM (IST) Updated:Mon, 06 May 2024 06:16 PM (IST)
बिहार में NDA के सामने किला बचाने की चुनौती, चौथे चरण के मतदान में इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
बिहार में NDA के सामने किला बचाने की चुनौती, चौथे चरण के मतदान में इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

HighLights

  • एक सीट पर भाजपा ने पिछले दो चुनाव में बदल दिया था उम्मीदवार
  • दांव पर होगी इन दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा

भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। चौथे चरण के मतदान में एनडीए के सामने किला बचाने की चुनौती है। यह इस मायने में है कि चौथे चरण की मतदान वाली सीटों पर विगत दो आम चुनावों से एनडीए का कब्जा है। चौथे चरण में दरभंगा, बेगूसराय, मुंगेर, समस्तीपुर व उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में चुनाव है।

तीन लोकसभा क्षेत्रों में विगत दस वर्षों से भाजपा का कब्जा

चौथे चरण के आम चुनाव में तीन लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां दस वर्षों से भाजपा का कब्जा रहा है। दरभंगा लोकसभा क्षेत्र में 2014 और 2019 के आम चुनाव में भाजपा की जीत हुई। यह अलग बात है कि इन दो आम चुनाव में भाजपा ने यहां से अपने प्रत्याशी बदल दिए।

वर्ष 2014 के आम चुनाव में दरभंगा से भाजपा की टिकट पर कीर्ति आजाद को जीत मिली थी। वहीं, 2019 में भाजपा ने दरभंगा से अपने प्रत्याशी को बदल दिया।

गोपालजी ठाकुर ने यहां चुनाव लड़ा। भाजपा को प्रत्याशी बदलने का फायदा यह हुआ कि उसके वोट में 22.61 प्रतिशत का इजाफा हुआ।

वर्ष 2014 के आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी कीर्ति आजाद को 37.98 प्रतिशत वोट आए थे तो 2019 में गोपालजी ठाकुर को 60.79 प्रतिशत वोट मिले।

बेगूसराय की सीट भी दो आम चुनावों से भाजपा के कब्जे में है। भाजपा विगत दो आम चुनाव में यहां से अपने प्रत्याशी जरूर बदले पर अपना किला बचाए रखा।

उजियारपुर भाजपा के कब्जे में रही

वर्ष 2014 के आम चुनाव में भोला सिंह को बेगूसराय लोकसभा सीट से जीत मिली थी। पर 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने यहां से गिरिराज सिंह को मैदान में उतारा।

गिरिराज सिंह भी भाजपा का किला बचाने में सफल रहे। इसी तरह उजियारपुर की सीट भी विगत दो आम चुनाव से भाजपा के कब्जे में रही है।

वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर यहां से नित्यानंद राय जीते थे। वर्ष 2019 में भी भाजपा ने नित्यानंद राय को मौका दिया और वह किला बचाने में सफल रहे। इस बार भाजपा ने इन तीनों सीटों पर 2019 के ही अपने प्रत्याशी को मैदान में उतारा है।

जदयू और लोजपा (रामविलास) भी अपने किले को देख रही

चौथे चरण में जदयू और लोजपा (रामविलास) भी अपने किले को देख रही हैं। मुंगेर की लोकसभा सीट से जदयू के राजीव रंजन सिह उर्फ ललन सिंह फिर से एनडीए के प्रत्याशी हैं। वर्ष 2019 में उन्हें इस सीट से जीत मिली थी।

वहीं, 2014 में भी यह सीट एनडीए के कब्जे में थी। तब लोजपा के टिकट पर वीणा देवी को यहां से जीत मिली थी। समस्तीपुर की लोकसभा सीट भी इसी श्रेणी में है। इस सीट से 2019 में पहले लोजपा प्रत्याशी के रूप रामचंद्र पासवान की जीत हुई।

उनके निधन के बाद हुए उप चुनाव में उनके पुत्र प्रिंस राज को जीत मिली। वर्ष 2014 में भी लोजपा के टिकट पर रामचंद्र पासवान को यहां से जीत मिली थी।

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