Nitish Kumar: विस चुनाव से पहले नीतीश ने पूरा किया वादा, इस विभाग में होगी बंपर भर्ती; नवंबर तक ये है टारगेट

बिहार के सीएम नीतीश कुमार का पूरा फोकस इन दिनों अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर है। लोकसभा चुनाव के दौरान नीतीश ने लोगों से नौकरी को लेकर बड़ा वादा किया था। अब उन्होंने वह वादा पूरा कर दिया है। बिहार के एक विभाग में बंपर बहाली होने जा रही है। बताया जा रहा है कि अभी 45 विभागों में चार लाख से अधिक पद खाली हैं।

By Jagran NewsEdited By: Mukul Kumar Publish:Tue, 02 Jul 2024 12:45 PM (IST) Updated:Tue, 02 Jul 2024 12:45 PM (IST)
Nitish Kumar: विस चुनाव से पहले नीतीश ने पूरा किया वादा, इस विभाग में होगी बंपर भर्ती; नवंबर तक ये है टारगेट
बिहार के सीएम नीतीश कुमार। फोटो- जागरण

HighLights

  • जल संसाधन विभाग में दो हजार जेई की नियुक्ति को हरी झंडी
  • अभी 45 विभागों में चार लाख 72 हजार नौ सौ 76 पद रिक्त
  • चुनाव से पहले बिहार सरकार का 10 लाख नौकरी देने का टारगेट

राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव है। इससे पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने एक और वादा पूरा कर दिया है। जल संसाधन विभाग में बड़े पैमाने पर इंजीनियरों के पद रिक्त हैं।

सर्वाधिक रिक्ति कनीय अभियंता यानी जूनियर इंजीनियर (जेई) के स्तर पर है। बहरहाल, रिक्त पदों को भरने का उपक्रम शुरू हो गया है। एक-एक कर सभी पदों पर नियुक्तियां होंगी।

पहले चरण में दो हजार जेई की नियुक्ति के लिए वित्त विभाग ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। राज्य सरकार अगले वर्ष अक्टूबर-नवंबर में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले नौकरी व रोजगार मिलाकर बिहार में कुल दस लाख लोगों के नियोजन की प्रतिबद्धता जता चुकी है।

इन विभागों में इतने पद रिक्त

Bihar News अभी 45 विभागों में चार लाख 72 हजार नौ सौ 76 पद रिक्त हैं। उनमें से 13 हजार सात सौ 12 पद जल संसाधन विभाग में रिक्त हैं। इन रिक्तियों में ही जेई के वे दो हजार पद भी हैं, जिन पर नियुक्ति के लिए वित्त विभाग ने अपनी हरी झंडी दे दी है।

इन पदों पर नियुक्त होने वाले सरकारी सेवक वेतनमान स्तर-7 के तहत देय वेतन व दूसरी आर्थिक सुविधाओं के हकदार होंगे। नियुक्ति की यह प्रक्रिया अविलंब आगे बढ़ती, लेकिन हाल-फिलहाल आरक्षण में की गई वृद्धि से संबंधित कानून को पटना हाई कोर्ट द्वारा रद्द कर दिए जाने के कारण कुछ देरी स्वाभाविक है।

हाई कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना चुकी है। इसी के साथ केंद्र से बिहार में आरक्षण में वृद्धि वाले अधिनियम को संविधान की नौवीं अनुसूची में सम्मिलित करने का आग्रह भी कर चुका है। वस्तुत: नौवीं अनुसूची में सम्मिलित विषय पर कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करता है।

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