BIhar News: CITS प्रशिक्षित अनुदेशकों की बहाली का रास्ता साफ, Patna High Court ने बिहार सरकार को दिया ये आदेश

पटना हाईकोर्ट ने सीआईटीएस प्रशिक्षित अनुदेशकों की बहाली का रास्ता साफ कर दिया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार के निर्देश के अनुरुप आरपीएल के तहत सीआईटीएस करने वाले को रेगुलर के समकक्ष मानते हुए मेरिट का लाभ देना होगा। बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने नियुक्ति प्रक्रिया की वैधता को चुनौती दी थी जिसे कोर्ट ने नामंजूर कर दिया है।

By Arun Ashesh Edited By: Mohit Tripathi Publish:Sat, 18 May 2024 06:42 PM (IST) Updated:Sat, 18 May 2024 06:42 PM (IST)
BIhar News: CITS प्रशिक्षित अनुदेशकों की बहाली का रास्ता साफ, Patna High Court ने बिहार सरकार को दिया ये आदेश
CITS प्रशिक्षित अनुदेशकों की बहाली का रास्ता साफ। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, पटना। पटना हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले से सीआईटीएस प्रशिक्षित अनुदेशकों की बहाली का रास्ता साफ कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन एवं न्यायाधीश हरीश कुमार की खंडपीठ ने गोल्डेन कुमार एवं अन्य की याचिकाओं को निष्पादित करते हुए यह फैसला सुनाया।

अदालत ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार के निर्देश के अनुरुप आरपीएल के तहत सीआईटीएस करने वाले को रेगुलर के समकक्ष मानते हुए मेरिट का लाभ देना होगा।

महाधिवक्ता पी के शाही ने खंडपीठ को बताया कि बहाली प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। केवल मेरिट लिस्ट का प्रकाशन और नियुक्ति करना बाकी है। इसपर कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार इसे पूरा करने के लिए स्वतंत्र है।

इस मामले में सीआईटीएस संघ की ओर से प्रवीण ठाकुर, अभिमत राय गोपाल जी पांडेय, रवि रंजन तथा अन्य ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर रिट याचिकाओं का विरोध किया था। याचिकाकर्ताओं ने नियुक्ति प्रक्रिया की वैधता को चुनौती दी थी, जिसे कोर्ट ने नामंजूर कर दिया।

पुलिस मेंस एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष को तत्काल सेवा में वापस लेने का निर्देश

पटना हाई कोर्ट ने बर्खास्त सिपाही एवं बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष को राहत देते हुए उन्हें तत्काल सेवा में वापस लेने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने नरेन्द्र कुमार धीरज की याचिका को स्वीकृति देते हुए यह उक्त दिया।

लखीसराय के एसपी ने 10 मई 2022 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को सेवा से बर्खास्त कर दिया था।इस आदेश के खिलाफ दायर अपील को भी नामंजूर कर दिया गया और बर्खास्तगी को बहाल रखा गया। तीनों आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की गई थी। इस मामले में याचिकाकर्ता का पक्ष वरीय अधिवक्ता वाईवी गिरि एवं ब्रिस्केतु शरण पांडेय ने रखा ।

अदालत ने मामले का अवलोकन कर पाया कि प्रतिवादियों द्वारा याचिकाकर्ता के साथ किए गए घोर अन्याय का मामला है और रिकार्ड पर मौजूद सामग्री पर्याप्त रूप से प्रदर्शित करती है कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को नजरअंदाज किया गया है और याचिकाकर्ता सभी परिणामी लाभों के साथ पूरे पिछले वेतन का हकदार है।

कोर्ट ने मामले पर सभी पक्षों की सुनवाई के बाद बर्खास्तगी आदेश को रद कर दिया और तीन महीने के भीतर सभी बकाए राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया।

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