Patna High Court: 'ट्रेन दुर्घटना में टिकट नहीं रहने पर...', रेलवे के मुआवजे को लेकर हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी

याचिकाकर्ता के पति समर स्पेशल चलती ट्रेन से मोकामा रेलवे स्टेशन पर गिर जाने पर दुर्घटना का शिकार हो गया। उसे इलाज के लिए पीएमसीएच भेजा गया लेकिन इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गई। पत्नी ने मुआवजे के लिए रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में आवेदन देकर ब्याज समेत मुआवजा राशि देने का गुहार लगाई। वहीं रेलवे ने कहा कि मृतक वास्तविक यात्री नहीं था।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Rajat Mourya Publish:Mon, 13 May 2024 08:14 PM (IST) Updated:Mon, 13 May 2024 08:14 PM (IST)
Patna High Court: 'ट्रेन दुर्घटना में टिकट नहीं रहने पर...', रेलवे के मुआवजे को लेकर हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी
'ट्रेन दुर्घटना में टिकट नहीं रहने पर...', रेलवे के मुआवजे को लेकर हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी

राज्य ब्यूरो, पटना। पटना हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय से यह तय किया कि कोई भी यात्री चलती ट्रेन से दुर्घटना का शिकार हो जाने पर मुआवजा का तभी हकदार होगा जब उसके पास ट्रेन टिकट उपलब्ध हो। ट्रेन टिकट नहीं रहने पर रेलवे मुआवजा का भुगतान नहीं कर सकता।

न्यायाधीश नवनीत कुमार पांडेय की एकलपीठ ने सुपौल की निवासी कविता देवी की अपील याचिका पर सुनवाई करने के बाद यह फैसला दिया। 19 मई 2002 को याचिकाकर्ता के पति समर स्पेशल चलती ट्रेन से मोकामा रेलवे स्टेशन पर गिर जाने पर दुर्घटना का शिकार हो गया। उसे इलाज के लिए पीएमसीएच भेजा गया, लेकिन इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गई।

पत्नी ने मुआवजे के लिए रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में आवेदन देकर ब्याज समेत मुआवजा राशि देने का गुहार लगाई। रेलवे द्वारा उनका दावा इस बात पर खारिज कर दिया गया कि मृतक वास्तविक यात्री नहीं था, क्योंकि उसके पास से रेल टिकट नहीं मिला था।

'टिकट गुम हो गया है'

रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल ने परफार्मा के कॉलम-7 का हवाला देते हुए कहा कि आवेदक के ऑनलाइन दावा फार्म में "टिकट गुम हो गया है" ऐसा दर्ज था। ट्रिब्यूनल के इसी आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट को बताया गया कि टिकट खो गया था, लेकिन बाद में टिकट को प्रदर्शित किया गया।

रेलवे की ओर से टिकट की वास्तविकता या प्रामाणिकता के बारे में कोई विरोध नहीं किया गया। रेलवे की ओर से इस बिंदु पर कोई जिरह नहीं किया गया। ऐसे में जिसकी जान गई, वही वास्तविक यात्री था, इस दावे को निरस्त नहीं किया जा सकता।

एकलपीठ ने रेलवे दावा न्यायाधिकरण के दिनांक तीन अक्टूबर, 2013 के आदेश को रद्द करते हुए रेलवे को दो माह के भीतर चार लाख मुआवजा राशि का भुगतान प्रति वर्ष छह प्रतिशत ब्याज की दर से भुगतान करने का आदेश दिया।

दूसरा मामला

एक अन्य मामले में पटना से अथमलगोला स्पेशल ईएमयू ट्रेन को पकड़ने के दौरान बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन पर पानी लेने के लिए ट्रेन से नीचे आने और भारी भीड़ के कारण वापस ट्रेन पकड़ने में गिर जाने से दुर्घटना शिकार यात्री की घटनास्थल पर ही मौत हो जाने के मामले में कोर्ट ने रेल टिकट नहीं पेश किए जाने पर परिजन का दावा खारिज कर दिया।

कोर्ट ने पाया कि दावाकर्ता कारु सिंह द्वारा यह स्थापित नहीं किया जा सका कि यात्रा के समय उनके अविवाहित लड़के श्याम के पास टिकट उपलब्ध था या वह उस ट्रेन का वास्तविक यात्री था।

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