New Criminal Laws: बिहार में 3 दिन बाद बदल जाएगा कानून, पुलिस करेगी ये सारे काम, आप भी पढ़ लें अपने अधिकार

एक जुलाई से देश में बहुत कुछ बदल जाएगा। पुलिस को कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होगा। नए कानून पर एक नजर डालें तो आगे से पुलिस को शारीरिक रूप से कमजोर और 60 साल से अधिक उम्र के लाेगों को अरेस्ट करने के लिए डीएसपी की इजाजत लेनी होगी। वहीं किसी को गिरफ्तार करने के बाद स्वजनों को जानकारी भी देनी होगी।

By Rajat Kumar Edited By: Mukul Kumar Publish:Thu, 27 Jun 2024 09:27 PM (IST) Updated:Thu, 27 Jun 2024 09:32 PM (IST)
New Criminal Laws: बिहार में 3 दिन बाद बदल जाएगा कानून, पुलिस करेगी ये सारे काम, आप भी पढ़ लें अपने अधिकार
प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

HighLights

  • एक जुलाई से लागू होने वाले नए कानूनों में कई अहम बदलाव हुए
  • अब ज्यादा से ज्यादा तकनीक का बढ़ेगा इस्तेमाल, पुलिस रहेगी अलर्ट
  • बुजुर्ग व्यक्ति को अरेस्ट करने से पहले DSP से लेना होगा पर्मिशन

राज्य ब्यूरो, पटना। New Criminal Laws एक जुलाई से लागू होने वाले तीन नए कानूनों में कई अहम बदलाव किए गए हैं। बदलते दौर को देखते हुए पुलिस अनुसंधान में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाया गया है। इसके साथ ही अभियुक्तों की गिरफ्तारी में भी कई शर्तें जोड़ी गई हैं।

ऐसे मामले जिनमें तीन साल से कम सजा का प्रविधान है, उसमें गिरफ्तारी के लिए कम से कम डीएसपी रैंक के अधिकारी की अनुमति जरूरी होगी। इसके अलावा शारीरिक रूप से कमजोर और 60 वर्ष से अधिक आयु के लाेगों को भी गिरफ्तार करने के लिए डीएसपी की अनुमति अनिवार्य होगी।

नए कानून में जोड़ी गई ये भी बात

किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर पुलिस को इसकी सूचना उसके परिजन, मित्र या नामित व्यक्ति को देनी की अनिवार्यता भी नए कानून में जोड़ी गई है।

इसी तरह 15 साल से कम या 60 साल से अधिक आयु के व्यक्ति, महिला या दिव्यांग और गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को भी पुलिस थाने में उपिस्थत होने के लिए बाध्य नहीं कर सकेगी। हथकड़ी का इस्तेमाल भी गंभीर अपराधों में ही किया जा सकेगा।

वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट कर सकेगा सुनवाई

नए कानून लागू होने के बाद न्यायालय भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से केस की सुनवाई की जा सकेगी। किसी भी तलाशी या जब्ती के दौरान पुलिस पदाधिकारियों को वीडियोग्राफी करना अनिवार्य होगा।

गवाहों के बयान जो अब तक लिखित रूप में लिए जाते थे, उसकी भी ऑडियो-वीडियो रिकार्डिंग की जाएगी। इलेक्ट्रानिक रिकार्ड की मान्यता भी दस्तावेजों की तरह ही होगी। सात वर्ष या इससे अधिक सजा वालो मामलों में पुलिस को फारेंसिंक टीम की सहायता लिया जाना अनिवार्य कर दिया गया है।

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