Bihar Politics: 'तेजस्वी यादव अपने माता-पिता के कारनामों की...', ये क्या बोल गए डिप्टी CM विजय सिन्हा

बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने तेजस्वी यादव पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने माता-पिता के कारनामों की निन्दा कर सुधार करेंगे यह संकल्प लें। सिन्हा ने कहा कि राजद मुक्त बिहार होने पर ही राज्य में अपराध और भ्रष्टाचार के समापन की शुरुआत होगी। राज्य की जनता को संकल्प लेना होगा और राज्य से राजद को उखाड़ फेंकना होगा।

By Raman Shukla Edited By: Rajat Mourya Publish:Mon, 17 Jun 2024 09:05 PM (IST) Updated:Mon, 17 Jun 2024 09:05 PM (IST)
Bihar Politics: 'तेजस्वी यादव अपने माता-पिता के कारनामों की...', ये क्या बोल गए डिप्टी CM विजय सिन्हा
'तेजस्वी यादव अपने माता-पिता के कारनामों की...', डिप्टी CM विजय सिन्हा का बड़ा आरोप

राज्य ब्यूरो, पटना। उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने राजद पर करारा प्रहार करते हुए कहा है कि राज्य में अपराधी और भ्रष्टाचारी का प्रशिक्षण, संरक्षण एवं मनोबल बढ़ाने में राजद की भूमिका अहम है। राज्य की जनता अवगत है कि 1990 से शुरू किए गए इनके कारनामों के कारण बिहार हत्या, अपहरण, बलात्कार, लूट जैसे अपराधों का अड्डा बन गया था।

विजय सिन्हा ने आगे कहा कि राज्य के अंदर और बाहर प्रतिष्ठा गिरी और लोग पलायन करने लगे। जातीय उन्माद आपराधिक रूप धारण कर लिया। अपराधियों को सड़क से सदन तक पहुंचाया। अपराधी और भ्रष्टाचारी सभी को सत्ता में भागीदार बनाने में राजद की बड़ी उपलब्धि रही।

उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने माता-पिता के कारनामों की निन्दा कर सुधार करेंगे, यह संकल्प लें। सिन्हा ने कहा कि राजद मुक्त बिहार होने पर ही राज्य में अपराध और भ्रष्टाचार के समापन की शुरुआत होगी। राज्य की जनता को संकल्प लेना होगा और राज्य से राजद को उखाड़ फेंकना होगा।

अति पिछड़ा समाज पर सबसे अधिक टूटा राजद के जंगलराज का कहर : राजीव रंजन

जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने सोमवार को कहा कि अति पिछड़ा समाज पर सबसे अधिक टूटा है राजद के जंगलराज का कहर। सबसे अधिक हत्या इसी समाज के लोगों की हुई। पलायन भी सर्वाधिक इसी समाज के लोगों का हुआ।

राजीव रंजन ने कहा कि हकीकत यह है कि राजद के शासनकाल में अतिपिछड़ा समाज के लोगों की स्थिति एक बंधुआ मजदूर की तरह थी। उन्हें कानून का संरक्षण नहीं था। सरकार उनकी सुध नहीं लेती थी। हाल यह था कि जाति पूछ कर दिनदहाड़े हत्या की वारदात को अंजाम दे दिया जाता था।

उन्होंने कहा कि छोटे-मोटे काम करने वाले लोग भी रंगदारी टैक्स देने को मजबूर थे। यहां तक कि किसानों की खड़ी फसल को भी जला दिया जाता था। अतिपिछड़ा समाज को कैसी-कैसी प्रताड़ना से गुजरना पड़ता था उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।

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