पूर्णिया का चाचा-भतीजा हत्याकांड... जिससे दहल उठा था पूरा गांव, 10 साल बाद 35 दोषियों को उम्रकैद की सजा

30 जनवरी 2013 को केनगर थाना क्षेत्र के बेगमपुर में दिनदहाड़े दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। अब इसी दोहरे हत्याकांड के मामले में शनिवार को सजा पंचम अपर जिला जज आरआर सहाय के न्यायालय से वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के माध्यम 35 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

By Prakash VatsaEdited By: Publish:Sat, 03 Jun 2023 08:22 PM (IST) Updated:Sat, 03 Jun 2023 08:22 PM (IST)
पूर्णिया का चाचा-भतीजा हत्याकांड... जिससे दहल उठा था पूरा गांव, 10 साल बाद 35 दोषियों को उम्रकैद की सजा
पूर्णिया का चाचा-भतीजा हत्याकांड... जिससे दहल उठा था पूरा गांव, 10 साल बाद 35 दोषियों को उम्रकैद की सजा

HighLights

  • दस साल बाद सुनाई गई सजा, वारदात से दहल गया था गांव
  • केगनर के बेगमपुर में घटी थी घटना, मृतक के बेटे ने कहा- फैसले से मिला सुकून

पूर्णिया, जागरण संवाददाता: 30 जनवरी 2013 को केनगर थाना क्षेत्र के बेगमपुर में दिनदहाड़े दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया गया था, उस वारदात से पूरा गांव ही दहल गया था।

अब इसी दोहरे हत्याकांड के मामले में शनिवार को सजा पंचम अपर जिला जज आरआर सहाय के न्यायालय से वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के माध्यम 35 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

कोर्ट के फैसले पर मृतक के बेटे ने जाहिर की खुशी 

इस चाचा-भतीजा हत्याकांड में सुनाई गई सजा ने वहां के लोगों के जेहन में एक बार फिर उस दिन की खौफनाक वारदात की याद को ताजा कर दिया है। पूरे दस साल बाद इस मामले में फैसला आया है। यह वारदात जमीन विवाद को लेकर घटी थी।

इस घटना के सूचक व मृतक कमरुद्दीन के पुत्र मु. जाकिर ने कहा कि इस सजा से उन्‍हें काफी सुकून मिला है। बता दें कि घटना के पिता कमरुद्दीन लकी चौक पर चाय पीने गए थे। चाय पीकर ज्यों ही वे घर पहुंचने वाले थे कि हमलावरों ने उन्‍हें लाठी, गड़ांसा, हंसिया व दबिया आदि से हमलाकर बुरी तरह जख्मी कर दिया था।

सदर अस्पताल ले जाने पर चिकित्सकों ने उन्‍हें मृत घोषित कर दिया। आरोपितों ने घर में लूटपाट भी की थी। बाद में आरोपितों ने कमरुद्दीन के भतीजे मुदस्सर आलम की भी हत्या कर दी थी। बचाने के क्रम में सूचक एवं कुछ अन्य लोग भी जख्मी हुए थे।

40 के खिलाफ दर्ज हुआ था केस, इन लोगों को सुनाई गई सजा

केनगर थाना में इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इस मामले में दोषी मु. समसुल, मु. मैनुल, ताहिर, इनामुल, मु .नजीर, मु.जहीर, सुकूदी, मुस्तकीम अहमद, मु. मूसा, उमर फारूक,मु. तैफूल, जहांगीर व मु. सफरुद्दीन को धारा 302 और 120 बी के तहत उम्रकैद के साथ पांच हजार जुर्माने की सजा सुनाई गई है।

इसके अलावा इसी मामले में मु. हसन, मु.बकर, सुल्तान, अफसर, अब्दुल समद, मु. रज्जाक, हकीम, यूसुफ, जियाउल हक, इब्राहिम, मु. शाहजहां, मु. हुसैन, आंसर, मु. अब्दुल रज्जाक, मु. रहीम, मु. आजाद, मु. काजीम, इस्लाम, सिराज,सैबूर रहमान, मु. जलाल और अब्दुल कासिम को भी धारा 120, 302 के तहत उम्र कैद के साथ पांच हजार जुर्माने की सजा दी गई है।

इस मामले में कुल 40 आरोपित थे। इसमें मु. तजमुल, अब्दुल रऊफ, मु. रहमान व मु. रफीक की मृत्यु हो चुकी है। मु. ऐनुल को जुवेनाइल से रिहा कर दिया गया है।

इस मामले में कुल 16 गवाहियां न्यायालय में अभियोजन पक्ष से दर्ज कराई गई है। इस मामले में जेल में बिताई गई अवधि को सजा में समायोजित करने का निर्देश दिया गया है।

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