Nitish Kumar के गढ़ में फिर खेला कर पाएंगी Bima Bharti? महागठबंधन का ऐसा रहा है हाल; यहां पढ़ें रुपौली का पूरा इतिहास

Rupauli By-Election 2024 बिहार की रुपौली विधानभा सीट का उपचुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। लोजपा के बागी नेता शंकर सिंह के नामांकन के बाद मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। नीतीश कुमार और बीमा भारती दोनों के लिए यह प्रतिष्ठा का उपचुनाव बन गया है। जदयू के कलाधर मंडल और राजद की बीमा भारती ने जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है।

By Prakash Vatsa Edited By: Mohit Tripathi Publish:Mon, 01 Jul 2024 10:48 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jul 2024 10:48 AM (IST)
Nitish Kumar के गढ़ में फिर खेला कर पाएंगी Bima Bharti? महागठबंधन का ऐसा रहा है हाल; यहां पढ़ें रुपौली का पूरा इतिहास
दिलचस्प हुआ रुपौली विधानसभा सीट का उपचुनाव। (फाइल फोटो)

HighLights

  • राजद-जदयू के लिए प्रतिष्ठा का उपचुनाव बना रुपौली उपचुनाव
  • दो बार सीपीआई तो तीन बार जदयू को मिल चुकी है जीत
  • कांग्रेस को 1985 में मिली अंतिम जीत, भाजपा का अबतक नहीं खुला खाता

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। रुपौली विधानसभा उप चुनाव (Rupauli Byelection 2024) पर पूरे बिहार की नजर टिकी हुई है। यहां राजद (RJD) के साथ जदयू (JDU) की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।

रुपौली विस क्षेत्र का चुनावी इतिहास (Rupauli Political History) भी लोगों की दिलचस्पी को और बढ़ा दिया है। रुपौली में कांग्रेस को 1985 में अंतिम जीत मिली थी और भाजपा का अब तक खाता नहीं खुला है।

रुपौली सीट पर पहली जीत 1952 में सोशलिस्ट पार्टी को मिली थी। अब तक के चुनावी इतिहास में यहां सीपीआइ को दो बार तो जदयू को लगातार तीन बार जीत मिल चुकी है। ऐसे में यहां के राजनीतिक मिजाज को पढ़ पाना सभी के लिए कठिन रहा है।

पहले चुनाव परिणाम से भी चर्चा में था रुपौली

रुपौली विधानसभा सीट का पहला चुनाव परिणाम भी पूरी तरह चौंकाने वाला रहा था। उस समय भी यह सीट काफी चर्चा में रहा था।

1952 में अस्तित्व में आई इस सीट पर हुए प्रथम चुनाव में जब सोशलिस्ट पार्टी के मोहित लाल पंडित विजयी हुए तो कांग्रेस के दिग्गजों के माथे पर भी बल पड़ गया था। बाद के दो चुनावों में कांग्रेस जरूर विजयी रही।

1967 में फिर यहां का परिणाम लोगों का ध्यान खींचने वाला रहा और यहां से सीपीआइ के छवि नाथ शर्मा विजयी रहे। 1977 में यहां जनता पार्टी को जीत मिली।

दो बार यहां निर्दलीय प्रत्याशी को भी जीत मिली है। 1990 में सरयुग मंडल निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते और बाद में सीपीआइ में शामिल हो गए।

त्रिकोणात्मक मुकाबले से आसान नहीं किसी की राह

रुपौली उप चुनाव में जदयू के कलाधर मंडल, राजद की बीमा भारती और लोजपा के बागी और निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह के बीच त्रिकोणात्मक संघर्ष की स्थिति बन रही है। बीमा भारती 2010 से जदयू के टिकट पर चुनाव जीतती रही थीं।

लोकसभा चुनाव के ऐन मौके पर बीमा भारती जदयू का दामन छोड़ राजद में शामिल हुईं और लोकसभा में राजद की प्रत्याशी बनीं। उक्त चुनाव में उन्हें कड़ी शिकस्त मिली और अब विधानसभा उप चुनाव में भाग्य आजमा रही हैं।

इधर, जदयू ने कलाधर मंडल को मैदान में उतार हर हाल में जीत के लिए अपनी जतन शुरू कर दी है। लोजपा के बागी शंकर सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान मारने के लिए एड़ी-चोटी एक किए हुए हैं।

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