Bihar News: इस जिले में समय से रिपोर्ट नहीं देने पर 101 पुलिस अफसरों का वेतन रोकने की अनुशंसा, लोक अभियोजक ने भेजा पत्र

जिला न्यायालय में अग्रिम एवं नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय की मांग पर वाद दैनिकी जख्म प्रतिवेदन और आपराधिक इतिहास निर्धारित समय पर जमा नहीं करने वाले थानाध्यक्ष एवं अनुसंधानकर्ताओं का वेतन रोकने की अनुशंसा की गई है। लोक अभियोजक वीरेंद्र नारायण सिंह ने पुलिस अधीक्षक वैशाली को इन थानाध्यक्षों एवं पुलिस पदाधिकारियों के कारण न्यायालय में लंबित मामले की सूची सहित पत्र भेजा है।

By Chandra Bhushan Singh Shashi Edited By: Prateek Jain Publish:Sat, 06 Jan 2024 06:55 PM (IST) Updated:Sat, 06 Jan 2024 06:55 PM (IST)
Bihar News: इस जिले में समय से रिपोर्ट नहीं देने पर 101 पुलिस अफसरों का वेतन रोकने की अनुशंसा, लोक अभियोजक ने भेजा पत्र
Bihar News: इस जिले में समय से रिपोर्ट नहीं देने पर 101 पुलिस अफसरों का वेतन रोकने की अनुशंसा

HighLights

  • पत्र में नियमित जमानत के 37 और अग्रिम जमानत 64 याचिकाओं का जिक्र
  • जिला व्यवहार न्यायालय के लोक अभियोजक वीरेंद्र नारायण सिंह ने पुलिस अधीक्षक वैशाली को भेजा पत्र

जागरण संवाददाता, हाजीपुर (वैशाली)। जिला न्यायालय में अग्रिम एवं नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय की मांग पर वाद दैनिकी, जख्म प्रतिवेदन और आपराधिक इतिहास निर्धारित समय पर जमा नहीं करने वाले थानाध्यक्ष एवं अनुसंधानकर्ताओं का वेतन रोकने की अनुशंसा की गई है।

जिला व्यवहार न्यायालय के लोक अभियोजक वीरेंद्र नारायण सिंह ने इस संबंध में पुलिस अधीक्षक वैशाली को इन थानाध्यक्षों एवं पुलिस पदाधिकारियों के कारण न्यायालय में लंबित मामले की सूची सहित पत्र भेजा है।

101 मामलों की सूची भेजी

इस पत्र की प्रति उन्होंने विधि निदेशालय, अभियोजन निदेशालय के साथ जिलाधिकारी वैशाली को भी भेजी है। इस पत्र में गत वर्ष विभिन्न न्यायालयों से की मांग किए जाने के बावजूद कांड दैनिकी, जख्म प्रतिवेदन और आपराधिक इतिहास जमा नहीं करने वाले 101 मामले की सूची भेजी है।

इनमें नियमित जमानत के 37 और अग्रिम जमानत 64 याचिकाओं का जिक्र किया गया है। जिला लोक अभियोजक ने कहा है कि इनमें कुछ ऐसे भी मामले शामिल हैं, जिनमें 10 से 15 तिथि बीतने के बावजूद कागजात जमा नहीं किया गया।

पत्र में उन्होंने 101 मामले सुनवाई के लिए लंबित होने का उल्लेख करते हुए कहा है कि यह उच्च न्यायालय के तीन तिथियों से अधिक याचिका लंबित नहीं रखने की निर्धारित समय सीमा का उल्लंघन है।

उन्होंने न्यायालयों से बार-बार स्मारित किए जाने के बावजूद कांड दैनिकी, जख्म प्रतिवेदन और आपराधिक इतिहास जमा नहीं करने वाले थानाध्यक्ष और अनुसंधानकों का तत्काल वेतन रोकने की कार्रवाई की अनुशंसा की है।

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