सरकार ने निर्यातकों के लिए माफी योजना से 852 करोड़ रुपये जुटाए, अभी और बढ़ सकते हैं आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में भारत का व्यापारिक निर्यात 1 प्रतिशत बढ़कर 34.99 अरब डॉलर हो गया। वहीं इस महीने के दौरान व्यापार घाटा चार महीने के उच्चतम स्तर 19.1 अरब डॉलर तक बढ़ गया। गोल्ड इंपोर्ट बढ़ने से समीक्षाधीन महीने में आयात भी 10.25 प्रतिशत बढ़कर 54.09 अरब डॉलर हो गया जो अप्रैल 2023 में 49.06 अरब डॉलर था।

By AgencyEdited By: Yogesh Singh Publish:Sun, 19 May 2024 08:00 PM (IST) Updated:Sun, 19 May 2024 08:00 PM (IST)
सरकार ने निर्यातकों के लिए माफी योजना से 852 करोड़ रुपये जुटाए, अभी और बढ़ सकते हैं आंकड़े
सरकार ने निर्यातकों के लिए माफी योजना से 852 करोड़ रुपये जुटाए

पीटीआई, नई दिल्ली। सरकार ने निर्यातकों के लिए माफी योजना के तहत करीब 852 करोड़ रुपये जुटाए हैं। अग्रिम और ईपीसीजी की अनुमति वाले निर्यातकों से निर्यात प्रतिबद्धता में चूक के मामले में एकबारगी निपटान योजना शुरू की गई थी। एक अधिकारी ने बताया कि ये आंकड़े बढ़ सकते हैं, क्योंकि अभी इनका पूरा ब्योरा जुटाने की प्रक्रिया जारी है। सरकार ने सीमा शुल्क और ब्याज के भुगतान की आखिरी तारीख 31 मार्च तय की है।

दाखिल किए गए 6,705 आवेदन

अधिकारी ने कहा, 'योजना के तहत 6,705 आवेदन दाखिल किए गए थे।' इस बीच, कई छोटे निर्यातकों ने सरकार से निर्यात प्रतिबद्धता में चूक के मामले में एकबारगी निपटान योजना को सितंबर तक जारी रखने का अनुरोध किया है। लुधियाना स्थित हैंड टूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा है कि कई छोटे निर्यातक 45 दिन के भीतर एमएसएमई को भुगतान करने के अपने दायित्वों को पूरा करने के कारण योजना का लाभ नहीं उठा पाए हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में भारत का व्यापारिक निर्यात 1 प्रतिशत बढ़कर 34.99 अरब डॉलर हो गया। वहीं, इस महीने के दौरान व्यापार घाटा चार महीने के उच्चतम स्तर 19.1 अरब डॉलर तक बढ़ गया। गोल्ड इंपोर्ट बढ़ने से समीक्षाधीन महीने में आयात भी 10.25 प्रतिशत बढ़कर 54.09 अरब डॉलर हो गया, जो अप्रैल 2023 में 49.06 अरब डॉलर था।

सरकार की "विवाद से विश्वास" पहल विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाती है। सरकार ने निर्यात दायित्वों पर डिफॉल्ट की समस्या को कम करने के लिए एफटीपी 2023 के तहत विशेष एकमुश्त माफी योजना शुरू की है। इसका मकसद उन निर्यातकों को राहत देना है, जो लंबित मामलों से जुड़े उच्च शुल्क और ब्याज लागत के बोझ से दबे हुए हैं।

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