F&O: फ्यूचर एंड ऑप्शन में हेरफेर रोकने के लिए SEBI सख्त, नियम कड़े करने की चल रही तैयारी

सेबी का कहना है कि अंतर्निहित नकदी बाजार में पर्याप्त गहराई के बिना बाजार में हेरफेर अस्थिरता में वृद्धि तथा निवेशक सुरक्षा से समझौता होने का जोखिम बढ़ सकता है। ऐसे में सेबी के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि डेरिवेटिव खंड में केवल आकार नकदी और बाजार गहराई के संदर्भ में उच्च गुणवत्ता वाले शेयर ही उपलब्ध हों।

By Jagran NewsEdited By: Suneel Kumar
Updated: Mon, 10 Jun 2024 06:42 PM (IST)
F&O: फ्यूचर एंड ऑप्शन में हेरफेर रोकने के लिए SEBI सख्त, नियम कड़े करने की चल रही तैयारी
इससे फ्यूचर एंड ऑप्शन सेगमेंट में गड़बड़ी की गुंजाइश कम होगी।

HighLights

  1. मार्केट रेगुलेटर सेबी ने सख्त मानदंडों का किया प्रस्ताव, 19 जून तक लोगों की राय मांगी।
  2. नए प्रस्ताव में एफएंडओ खंड से लगातार कम कारोबार करने वाले शेयरों को किया जाएगा बाहर।

पीटीआई, नई दिल्ली। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने डेरिवेटिव खंड में व्यक्तिगत शेयरों को शामिल करने के लिए सख्त मानदंडों का प्रस्ताव किया है। नए प्रस्ताव के तहत शेयर बाजार के फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) खंड से लगातार कम कारोबार करने वाले शेयरों को बाहर किया जाएगा।

क्यों लिया गया फैसला?

सेबी ने यह फैसला फ्यूचर एंड ऑप्शन सेगमेंट में गड़बड़ी को रोकने के लिए लिया है। सेबी का कहना है कि अंतर्निहित नकदी बाजार में पर्याप्त गहराई के बिना बाजार में हेरफेर, अस्थिरता में वृद्धि तथा निवेशक सुरक्षा से समझौता होने का जोखिम बढ़ सकता है। ऐसे में सेबी के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि डेरिवेटिव खंड में केवल आकार, नकदी और बाजार गहराई के संदर्भ में उच्च गुणवत्ता वाले शेयर ही उपलब्ध हों।

इससे फ्यूचर एंड ऑप्शन सेगमेंट में गड़बड़ी की गुंजाइश कम होगी और निवेशकों का ट्रेडिंग का अनुभव भी बेहतर होगा।

क्या है सेबी का प्रस्ताव?

सेबी के हालिया प्रस्ताव के मुताबिक, किसी व्यक्तिगत शेयर को डेरिवेटिव कारोबार में शामिल करने के लिए उसका कुल में से कम से कम 75 प्रतिशत कारोबारी दिवसों में कारोबार होना चाहिए। इसके अलावा कम से कम 15 प्रतिशत सक्रिय व्यापारियों या 200 सदस्यों (जो भी कम हो) ने इस शेयर में कारोबार किया हो और इसका औसत दैनिक कारोबार 500 करोड़ रुपये से 1,500 करोड़ रुपये के बीच होना चाहिए।

इसके अलावा अंतर्निहित शेयर के लिए खुले अनुबंधों की अधिकतम संख्या 1,250 करोड़ रुपये और 1,750 करोड़ रुपये होनी चाहिए। वर्तमान में यह आंकड़ा 500 करोड़ रुपये है। इन प्रस्तावों का मकसद संबंधित शेयर में पर्याप्त कारोबार सुनिश्चित करना है। सेबी ने इस प्रस्ताव पर 19 जून तक सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं। इसके बाद मार्केट रेगुलेटर तय करेगा कि इन नियमों के साथ कैसे आगे बढ़ना है।

यह भी पढ़ें : Mutual Fund इनफ्लो उच्चतम स्तर पर पहुंचा, मई में निवेश 34,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का हुआ इन्वेस्टमेंट