अभी नहीं थमेगा Bank FD का सुनहरा दौर, रेपो रेट ही नहीं; इन कारणों से भी बढ़ रहा है एफडी रिटर्न
Bank FD की दरों में पिछले दो महीनों में दो प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखने को मिली है। रेपो रेट बढ़ने के साथ अन्य कारण भी हैं जिसके बारे में हम अपनी इस रिपोर्ट में विस्तार से बताने जा रहे हैं। (जागरण ग्राफिक्स)
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नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पिछले कुछ महीनों में बैकों की ओर से एफडी की ब्याज दरों में लगातार इजाफा किया जा रहा है। इस कारण कोरोना काल में एफडी में निवेश पर मिलने वाला ब्याज 6 प्रतिशत से बढ़कर अब 8 प्रतिशत के आसपास पहुंच गया है और भविष्य में इसके और बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रही है।
बैंक एफडी में बढ़ती ब्याज दर का कारण अधिकतर लोग केवल रेपो रेट (Repo Rate) को मान रहे हैं, लेकिन यह पूरी तरह से ठीक नहीं है। एफडी (Bank FD) पर ब्याज बढ़ने के पीछे कई और कारण भी हैं, जिनके बारे में हम अपनी इस रिपोर्ट में जानेंगे।
रेपो रेट (Repo Rate)
आरबीआई ने महंगाई को काबू करने के 2022 के मध्य से रेपो रेट को बढ़ाना शुरू किया था। मई 2022 में 0.40 प्रतिशत, जून 2022 में 0.50 प्रतिशत, अगस्त 2022 में 0.50 प्रतिशत, सिंतबर 2022 में 0.50 प्रतिशत, दिसंबर 2022 में 0.35 और फरवरी 2023 में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस कारण रेपो रेट जो कि मई 2022 में 4 प्रतिशत था, फरवरी 2023 तक 2.50 प्रतिशत बढ़कर 6.50 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
डिपॉजिट ग्रोथ और क्रेडिट ग्रोथ में अंतर (Difference Between Credit Growth and Deposit Growth)
आरबीआई की ओर से 2 दिसंबर 2022 को जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ सालाना आधार पर 17.45 प्रतिशत थी, जबकि डिपॉजिट ग्रोथ 9.85 प्रतिशत थी। इस तरह देखा जाए तो क्रेडिट ग्रोथ और डिपॉजिट ग्रोथ के बीच ये अंतर 7.6 प्रतिशत का था। वहीं, दिसंबर 2021 में देश में डिपॉजिट ग्रोथ 10.28 प्रतिशत, जबकि क्रेडिट ग्रोथ 9.16 प्रतिशत पर थी। ऐसे में बैंक मौजूदा समय में क्रेडिट ग्रोथ और डिपॉजिट ग्रोथ के अंतर को कम करने के लिए तेजी से ब्याज दर बढ़ा रहे हैं।
बॉन्ड यील्ड (Bond Yields)
भारतीय बैंक अपनी जमा का एक हिस्सा बॉन्ड्स में निवेश करते हैं। पिछले जुलाई और दिसंबर की अवधि बॉन्ड मार्केट के लिए काफी अच्छी रही और यहां से बैंकों ने एफडी की ब्याज दरों को बढ़ाना शुरू कर दिया है।