Nupur Sharma Controversy: करोड़ों मुसलमानों के दिलों तक पहुंचा दिल्ली से गया एक संदेश
Nupur Sharma Controversy इमाम बुखारी ने कहा कि 17 जून को जुमे के दिन या उसके बाद के जुमे में अपने आस-पास के लोगों पर विशेष ध्यान देना होगा कि कोई ऐसा तत्व शामिल नहीं हो। जो जज्बाती नारे लगाकर लोगों को भड़काने की कोशिश करें।
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नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। Nupur Sharma Controversy: दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी की अपील का असर शुक्रवार को देशभर के करोड़ों मुसलमानों पर देखा गया, जिसमें उन्होंने लोगों से जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन नहीं करने की अपील की थी। इसका असर यह हुआ कि दिल्ली-एनसीआर ही देशभर की सभी मस्जिदों में शुक्रवार को शांति पूर्वक नमाज पढ़ी गई और कोई बवाल भी नहीं हुआ।
वहीं, दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर में शुक्रवार को जुमे की नमाज के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। दकअसल ठीक एक सप्ताह पहले आज ही के दिन शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन हुआ था। इससे सबक लेते हुए दिल्ली-एनसीआर में सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए थे।
यहां पर बता दें कि पिछले सप्ताह शुक्रवार (10 जून) को जुमे की नमाज के बाद हुए बवाल से सबक लेते हुए दिल्ली-एनसीआर के अलावा, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, पश्चिमी बंगाल समेत कई राज्यों में बृहस्पतिवार शाम से ही सुरक्षा कड़ी थी। कई जगहों पर तो पुलिस के जवानों ने फ्लैग मार्च भी किया था।
कुलमिलाकर दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम की अपील के चलते देशभर में कहीं भी नमाज के बाद हिंसक प्रदर्शन नहीं हुआ।
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मुल्क को दंगे की आग में झोंकना चाहते हैं ऐसे लोग: शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी
इस बीच मुल्क के विभिन्न स्थानों पर जुमे की नमाज के बाद हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के मद्देनजर देश की राजधानी की पुरानी दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने देशवासियों का आह्वान किया है कि वे ऐसे तत्वों पर नजर बनाए रखें, जो मुल्क को दंगे की आग में झोंकना चाहते हैं। देश के इंसानियत पंसद लोगों को ऐसे दहशतगर्दों से सावधान रहने की जरूरत है।
हिंसा कोई हल नहीं
इस तरह उन्होंने इंसानियत पसंद मुसलमानों को यह संदेश दिया है कि हिंसा कोई हल नहीं है और हिंसा से कोई हल नहीं निकाला जा सकता है। शाही इमाम बुखारी का यह अहम बयान शुक्रवार को होने वाली जुमे की नमाज से ठीक पहले आया है, जिसमें उन्होंने लोगों से शांति की अपील की है।
ओवैसी-मदनी से सावधान रहें लोग
आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी व महमूद मदनी के साथ ही तौकिर रजा खान जैसे नेताओं का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि ऐसे चंद लोग है जो कौम को बर्बादी की राह पर ले जाना चाहते हैं, ऐसे तत्वों से सावधान रहना होगा। इसके लिए समाज के समझदार व जिम्मेदार लोग, जनप्रतिनिधि व बुजुर्ग लोगों को सामने आना होगा।
बिना इजाजत प्रदर्शन गलत
शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि अब तक देशभर में हुए हिंसक प्रदर्शनों को गलत बताते हुए कहा कि यह जरूरी था कि इसके लिए पहले से प्रशासन से सहमति ली जाती। समाज के लोगों को भी साथ में लिया गया होता।
प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से होता है
उन्होंने यह भी कहा है कि यह सही है कि पैंगबर मुहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी से लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं, लेकिन इसका विरोध करने का तरीका अलग होता। शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन होता। उसमें बच्चों और युवाओं को शामिल नहीं किया जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि प्रदर्शन के दौरान चंद लोगों ने पत्थर फेंकने शुरू कर दिया। इसका नतीजा यह है कि दो युवाओं की मौत गोली लगने से हुई। इसके साथ ही कई लोग घायल हुए हैं। कई लोगों पर मुकदमे हुए हैं। कई जेलों में बंद हैं। इनमें ऐसे बहुत से लोग हैं जो गरीब है और पैरवी के लिए और जमानत के लिए उनके पास पैसे नहीं है।
आडियो संदेश में शाही इमाम ने कहा कि अगर जज्बात में बहने के साथ उसके अंजाम के बारे में भी सोच लिया गया होता तो यह नहीं होता, जैसा माहौल और मंजर आज मुल्क का है। उन्होंने कहा वह भी पिछले जुमे को तकरीरें कर सकते थे। बस माइक उठाकर बोलना ही तो था, लेकिन उन्होंने यह नहीं किया, क्योंकि ऐसा करना इस जज्बाती माहौल में आग में तेल छिड़कने जैसा होता।
पिछले शुक्रवार को जुमे के दिन जामा मस्जिद परिसर और बाहर प्रर्दशनों का कसूरवार चंद गैर जानकार लोगों को ठहराते हुए कहा कि वे पता नहीं कहां से आए और नारे लगाकर व पोस्टर लहराकर चले गए। सोचने वाली बात कि उनके शुरुआती नारे दिल्ली पुलिस के खिलाफ थे। यह माहौल को खराब करने की पूरी कोशिश थी, पर इस हालात को संभाल लिया गया।
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