Delhi: केंद्र ने जज एडवोकेट जनरल में कानूनी अधिकारी की नियुक्ति के मामले पर HC में नीति का किया बचाव

सेना में जज एडवोकेट जनरल (जैग) के लिए विवाहित व्यक्तियों के आवेदन करने पर रोक लगाने की नीति का केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में बचाव किया है। केंद्र सरकार ने कहा कि सार्वजनिक हित और राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में उचित प्रतिबंध लगाया गया है।

By Vineet TripathiEdited By:
Updated: Wed, 22 Mar 2023 09:45 PM (IST)
Delhi: केंद्र ने जज एडवोकेट जनरल में कानूनी अधिकारी की नियुक्ति के मामले पर HC में नीति का किया बचाव
केंद्र ने जज एडवोकेट जनरल में कानूनी अधिकारी की नियुक्ति के मामले पर HC में नीति का किया बचाव

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सेना में जज एडवोकेट जनरल (जैग) के लिए विवाहित व्यक्तियों के आवेदन करने पर रोक लगाने की नीति का केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में बचाव किया है। केंद्र सरकार ने कहा कि शादी के प्रभावों पर विचार करते हुए सार्वजनिक हित और राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में उचित प्रतिबंध लगाया गया है।

प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करके केंद्र सरकार ने कहा कि 21-27 वर्ष की आयु के कैडेटों को कमीशन देने के लिए अविवाहित होने की शर्त केवल भर्ती और पूर्व-कमीशन प्रशिक्षण की अवधि तक ही सीमित है। सफल कमीशन से पहले शादी पर प्रतिबंध उम्मीदवारों के साथ-साथ संगठन के हित में है।

केंद्र सरकार के हलफनामा पर याचिकाकर्ता कुश कालरा केा अपना जवाब दाखिल करने के लिए मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने समय देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी।

पिछली सुनवाई पर अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि विवाहित व्यक्तियों को पद के लिए आवेदन करने से रोकने वाली नीति का कोई मतलब नहीं है। केंद्र ने मार्च 2019 में दायर अपने पहले के हलफनामे में कहा था कि शादी का अधिकार संविधान के तहत जीवन का अधिकार नहीं हो सकता है और उम्मीदवारों की वैवाहिक स्थिति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है।

ताजा हलफनामा में केंद्र ने कहा कि भारतीय सेना में पुरुषों और महिलाओं दोनों के साथ समान व्यवहार किया जाता है और सभी सैन्य कर्मियों की बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण के लिए समान योग्यता आवश्यकताएं होती हैं। यह भी स्पष्ट किया कि एक बार अविवाहित कैडेट अपना प्रशिक्षण पूरा कर लेते हैं और उन्हें कमीशन मिल जाता है तो विवाह या इसके प्राकृतिक परिणाम जैसे गर्भधारण पर कोई रोक नहीं होती है।

कई सेवा लाभ भी दिए जाते हैं, लेकिन एक वर्ष तक चलने वाले बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण के दौरान विवाहित होने जैसे प्रविधान संभव नहीं हैं। याचिकाकर्ता कुश कालरा ने जैग विभाग में शादीशुदा महिलाओं और पुरुषों के आवेदन पर लगी रोक को संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 21 का उल्लंघन बताया है।