आपने पहले भी ऐसी ही याचिका दायर की थी..., यह कहते हुए कोर्ट ने केजरीवाल को दिया झटका, ठुकराई मांग

यहां की एक अदालत ने सोमवार को जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने जेल अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने वकीलों से दो अतिरिक्त मुलाकात की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि केजरीवाल द्वारा इसी तरह की याचिका 10 अप्रैल को दायर की गई थी।

By Jagran NewsEdited By: Geetarjun Publish:Mon, 01 Jul 2024 10:35 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jul 2024 10:41 PM (IST)
आपने पहले भी ऐसी ही याचिका दायर की थी..., यह कहते हुए कोर्ट ने केजरीवाल को दिया झटका, ठुकराई मांग
दिल्ली की अदालत ने केजरीवाल की याचिका की खारिज।

HighLights

  • अरविंद केजरीवाल ने अपने वकीलों से मुलाकात के लिए मांगा अतिरिक्त समय।
  • कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका की खारिज।

पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली की अदालत में याचिका दायर कर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने वकीलों से दो अतिरिक्त मुलाकात की अनुमति मांगी। उन्होंने कोर्ट को जेल अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने सोमवार को उनकी याचिका खारिज कर दी।

विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने कहा कि याचिका के अनुसार, केजरीवाल देश भर में करीब 30 मुकदमों का सामना कर रहे हैं और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार के आधार पर उन्हें मामलों पर चर्चा के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने वकीलों से दो अतिरिक्त मुलाकात की जरूरत है।

पहले भी दायर की गई ऐसी ही याचिका

अदालत ने कहा कि केजरीवाल द्वारा इसी तरह की याचिका 10 अप्रैल को दायर की गई थी और वकीलों से अतिरिक्त मुलाकात का समय मांगा था। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

पहले की तरह ही इस बार की याचिका

इसने कहा कि मौजूदा आवेदन में पहले के आदेश से अलग कोई नया या ताजा कारण नहीं बताया गया है। अरविंद केजरीवाल के वकील अदालत को यह समझाने में विफल रहे हैं कि आवेदक उन्हीं आधारों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दो अतिरिक्त कानूनी बैठकों का हकदार कैसे है, जिन पर पहले के आदेश में चर्चा की गई थी और निपटा गया था।

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अदालत ने कहा कि बहस के दौरान केजरीवाल के वकील से आवेदन वापस लेने और अतिरिक्त या नए आधारों के साथ एक नया आवेदन पेश करने के लिए कहा गया था, जिसे वकील ने अस्वीकार कर दिया। न्यायाधीश ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस प्रकार, प्रस्तुत किए गए सबमिशन और 10 अप्रैल के आदेश के तहत पहले से की गई टिप्पणियों पर विचार करने के बाद, मुझे विचाराधीन आवेदन को अनुमति देने का कोई कारण नहीं दिखता है।

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