Excise Policy Case: अरविंद केजरीवाल को दिल्ली HC से लगा झटका, जेल में ही रहेंगे दिल्ली सीएम

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से मंगलवार को राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने निचली अदालत के दिल्ली सीएम को जमानत देने के फैसले पर रोक लगा दी। दिल्ली हाई कोर्ट ने ईडी की उस याचिका को स्वीकार कर लिया है जिसमें आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल को निचली अदालत के जमानत आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

By Vineet Tripathi Edited By: Abhishek Tiwari Publish:Tue, 25 Jun 2024 12:16 PM (IST) Updated:Tue, 25 Jun 2024 02:50 PM (IST)
Excise Policy Case: अरविंद केजरीवाल को दिल्ली HC से लगा झटका, जेल में ही रहेंगे दिल्ली सीएम
दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत के जमानत आदेश पर रोक लगाई।

HighLights

  • निचली अदालत को ईडी को जमानत याचिका पर बहस का मौका देना चाहिए था- हाई कोर्ट
  • अरविंद केजरीवाल को जमानत नहीं, ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्यों की सराहना नहीं की: हाई कोर्ट
  • ईडी ने लिखित जवाब दाखिल कर निचली अदालत के निर्णय पर उठाए थे सवाल
  • इस मामले में 21 मार्च को हुई थी दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक बार फिर आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि ईडी द्वारा निचली अदालत के समक्ष पेश की गई सामग्री पर विचार नहीं किया गया और यह गलत है।

ट्रायल कोर्ट ने ईडी के सबूतों पर अपना दिमाग नहीं लगाया- HC

जमानत पर सुनवाई के दौरान आज मंगलवार को हाई कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की यह टिप्पणी कि भारी भरकम सबूतों पर विचार नहीं किया जा सकता, पूरी तरह से अनुचित है। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत का रुख यह दर्शाता है कि ट्रायल कोर्ट ने सबूतों पर अपना दिमाग नहीं लगाया है।

निचली अदालत को ईडी को जमानत याचिका पर उचित बहस का मौका देना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि पीएमएलए की अनिवार्य शर्तों पर निचली अदालत में पूरी तरह से जिरह नहीं की गई। 

इससे पहले, अपनी याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में लिखित जवाब दाखिल कर सूचित किया था कि जमानत देने का निचली अदालत का आदेश विकृत निष्कर्षों पर आधारित था।

ईडी ने निचली अदालत के निर्णय पर उठाए थे सवाल

ईडी ने तर्क दिया था कि राउज एवेन्यू की अवकाशकालीन न्यायाधीश न्याय बिंदु ने जांच एजेंसी द्वारा अपराध के संबंध में पेश की गई सबूतों पर विचार नहीं किया। एजेंसी ने तर्क दिया कि अदालत ने मामले पर उचित जिरह करने का अवसर नहीं दिया था।

वहीं, मामले पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से दाखिल किए गए लिखित जवाब में कहा था कि 14 जून को जिस अवकाश न्यायाधीश के समक्ष मामला सूचीबद्ध था, उनका कार्यदिवस एक दिन का था। ऐसे में दोनों पक्षों की सहमति पर मामले को 19 जून को बैठने वाली अवकाश न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध किया गया, जिनका कार्यदिवस दो दिन का था।

ईडी ने 1 घंटे 15 मिनट तक पेश की थी जिरह

नोट में कहा कि 19 जून को केजरीवाल की तरफ से एक घंटे और ईडी की तरफ से दो घंटे जिरह की गई। इसके बाद 20 जून को हुई सुनवाई के दौरान ईडी ने एक घंटे 15 मिनट तक अपनी जिरह पेश की। पूरे मामले में पांच घंटे 30 मिनट तक जिरह हुई और जांच एजेंसी ने अपना लिखित जवाब भी अदालत के समक्ष दाखिल किया।

इसके बाद सभी सबूतों पर गौर करने के बाद अदालत ने नियमित जमानत देने का निर्णय सुनाया। इसमें कहा गया कि केजरीवाल का विजय नायर व विनोद चौहान से कोई सीधा संपर्क नहीं था। इतना ही नहीं गोवा चुनाव में रुपये खर्च करने का ईडी के पास कोई सुबूत नहीं है।

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