Pusa Agriculture University: बिहार से दिल्ली तक का सफर, 100 साल से भी पुराना है PUSA इंस्टीट्यूट का इतिहास

देशभर में पूसा संस्थान नाम से प्रख्यात भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) कृषि विज्ञान शिक्षा और विस्तार के लिए जाना जाता है। इस राष्ट्रीय संस्थान के इतिहास पर नजर डालें तो यह करीब 117 साल पुराना है। इसकी स्थापना ब्रिटिश काल में बिहार में की गई थी।

By Aditi ChoudharyEdited By: Publish:Mon, 17 Oct 2022 10:04 AM (IST) Updated:Mon, 17 Oct 2022 10:12 AM (IST)
Pusa Agriculture University: बिहार से दिल्ली तक का सफर, 100 साल से भी पुराना है PUSA इंस्टीट्यूट का इतिहास
बिहार से दिल्ली तक का सफर, 100 साल से भी पुराना है PUSA इंस्टीट्यूट का इतिहास

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। पूसा (PUSA) के नाम से लोकप्रिय भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) देशभर में कृषि विज्ञान, शिक्षा और विस्तार के लिए जाना जाता है। इस राष्ट्रीय संस्थान के इतिहास पर नजर डालें तो यह करीब 117 साल पुराना है। इसकी स्थापना ब्रिटिश काल में बिहार में की गई थी, जिसे बाद में दिल्ली शिफ्ट किया गया। 

बिहार के इस जिले में रखी गई नींव

पूसा संस्थान की नींव 1905 में बिहार के समस्तीपुर जिला स्थित पूसा गांव में रखी गई थी। 1 अप्रैल 1905 को लॉर्ड कर्जन ने कृषि अनुसंधान संस्थान और कॉलेज की आधारशिला रखी थी। उत्तरी बिहार के पूसा में इसे स्थापित करने का एक मुख्य कारण नील के बागानों से निकटता थी, जिन्हें पुनर्जीवित करने की जरूरत थी। शुरुआत में इसे कृषि अनुसंधान संस्थान और कॉलेज (Agricultural Research Institute and College) नाम से जाना जाता था। साल 1911 से इसका नाम बदलकर इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च रखा गया।

बिहार से दिल्ली तक की कहानी

15 जनवरी 1919 में (समस्तीपुर) बिहार में एक बड़े भूकंप के बाद पूसा स्थित यह कृषि संस्थान पूरी तरह से तबाह हो गया, जिसके बाद इसे 1936 में दिल्ली में एक जगह स्थानांतरित किया गया, जो अब पूसा नाम से प्रसिद्ध है। बिहार में संस्थान के मूल स्थान पर साल 1970 तक जो कुछ बचा था, उसे एक कृषि अनुसंधान केंद्र में बदल दिया गया। बिहार सरकार ने फिर यहां राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की।

डीम्ड यूनिवर्सिटी के तौर पर मान्यता प्राप्त

आजादी के बाद संस्थान का नाम बदलकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) कर दिया गया।  इसी पूसा में देश की हरित क्रांति की नींव रखी गई थी। 1950 में संस्थान के शिमला स्थित सब-स्टेशन ने पूसा 718, 737, 745, और 760 सहित गेहूं की उन्नत किस्मों को विकसित किया। 1958 में इस संस्थान को 1956 के यूजीसी अधिनियम के तहत डीम्ड यूनिवर्सिटी के तौर पर मान्यता मिली और तब से इसने कृषि के क्षेत्र में एमएससी और पीएचडी की डिग्री प्रदान की जाती है। आमतौर से यह संस्थान कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के लिए लोकप्रिय है।

500 हेक्टेयर में फैला है परिसर

वर्तमान में राजधानी दिल्ली स्थित पूसा का परिसर 500 हेक्टेयर में फैला हुआ है। संस्थान के 20 मंडल दिल्ली में स्थित 5 बहु-विषयक केंद्र, 8 क्षेत्रीय स्टेशन, 2 ऑफ-सीजन नर्सरी, 3 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाएं हैं, जिनका मुख्यालय IARI में है और 10 राष्ट्रीय केंद्र अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं के तहत कार्यरत हैं। इसमें वैज्ञानिक, तकनीकी, प्रशासनिक और सहायक कर्मियों सहित कुल कर्मचारियों की संख्या 3540 है।

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