दंगे में लगी थी दो गोलियां, दो महीने रहे कोमा में और अब रामलीला में निभा रहे हैं किरदार, पढ़िए पूरी कहानी

उत्तर पूर्वी जिला दंगे की आग में झुलस रहा था उसी दंगे में दंगाईयों ने रवि को घेरकर तलवार से हमला कर दिया। उनके पेट में दो गोलियां मार दी। रवि सड़क पर गिरकर दर्द से कराहने लगे मदद की गुहार लगाने लगे। उस वक्त जगह-जगह आगजनी हो रही थी।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 04:44 PM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 04:44 PM (IST)
दंगे में लगी थी दो गोलियां, दो महीने रहे कोमा में और अब रामलीला में निभा रहे हैं किरदार, पढ़िए पूरी कहानी
दो महीने तक कोमा में रहने के बाद जब उन्हें होश आया तो वह अपनी एक किडनी गंवा चुके थे।

नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। जाको राखे साईंया मार सके न कोई...यह कहावत सच साबित कर दिखाई है सुदामापुरी के रहने वाले रवि ने। गत वर्ष फरवरी में दिल्ली का उत्तर पूर्वी जिला दंगे की आग में झुलस रहा था, उसी दंगे में दंगाईयों ने रवि को घेरकर तलवार से हमला कर दिया। उनके पेट में दो गोलियां मार दी। रवि सड़क पर गिरकर दर्द से कराहने लगे, मदद की गुहार लगाने लगे। उस वक्त जगह-जगह आगजनी हो रही थी। काफी देर बाद उन तक मदद पहुंची और उन्हें जीटीबी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। दो महीने तक कोमा में रहने के बाद जब उन्हें होश आया तो वह अपनी एक किड़नी गंवा चुके थे।

जिस रवि का बच पाना मुश्किल था, वही प्रभु श्रीराम की लीला में किरदार निभाकर मोहब्बत का संदेश दे रहे हैं। बाबरपुर बस टर्मिनल पर होने वाली श्रीआजाद रामलीला कला केंद्र में रवि प्रजा वासी का किरदार निभा रहे हैं। रवि ने दंगाईयों के लिए कहा धर्म नहीं सिखाता आपस में बेर रखना, हिंदी है हम वतन हिंदोस्तां हमारा। रवि पेशे से हलवाई हैं और पिछले छह वर्षों से वह रामलीला में विभिन्न किरदार निभा रहे हैं।


उनका कहना है दंगे में उनकी जान का बच जाना, किसी चमत्कार से कम नहीं है। घर वालों ने उनके जीवित रहने की उम्मीद खो दी थी। लेकिन कहते हैं न जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ में होती है, शायद भगवान को मंजूर नहीं था दो गोली लगने और किडनी निकलने बाद भी उनकी मृत्यु होना। उन्होंने कहा कि वह पूरी तरह से स्वस्थ नहीं है, लेकिन फिर भी लीला कर रहे हैं। सिर्फ इसलिए क्योंकि दूसरा जीवन भी भगवान ने उन्हें दान में दिया है।

दुकान से लौटते वक्त दंगाईयों ने मारी थी गोलियां

रवि ने बताया कि जिस वक्त दंगे भड़के थे, वह दुकान से अपने घर लौट रहे थे। रास्ते में दंगाईयों ने उन्हें घेरा और गोली मार दी। गोली लगने की वजह से उनकी एक किडनी खराब हो गई थी, डाक्टरों को आपरेशन करके किडनी निकाली पड़ी। दंगे ने परिवार की आर्थिक स्थिति को बुरी तरह से बिगाड़ दिया था।

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