Vastu and Astrology: जानिए वास्तु और ज्योतिष शास्त्र के बीज का अंतर, क्या इन दोनों में कोई संबंध भी है?

Vastu and Astrology हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। दोनों का उद्देश्य प्रकृति के छिपे रहस्यों को समझकर मानव जीवन को बेहतर बनाना है। कई बार लोग इस दुविधा में पड़ जाते हैं कि वास्तु और ज्योतिष एक ही हैं या अलग-अलग। आइए जानते हैं इन दोनों के बीच का अंतर। साथ ही इन दोनों में कुछ समानताएं भी हैं।

By Suman SainiEdited By: Publish:Mon, 07 Aug 2023 01:14 PM (IST) Updated:Mon, 07 Aug 2023 01:14 PM (IST)
Vastu and Astrology: जानिए वास्तु और ज्योतिष शास्त्र के बीज का अंतर, क्या इन दोनों में कोई संबंध भी है?
Vastu and Astrology वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र में अंतर।

HighLights

  • जीवन में विशेष महत्व रखते हैं वास्तु और ज्योतिष।
  • वास्तु और ज्योतिष का उद्देश्य है जीवन को बेहतर बनाना
  • जानिए, क्या है वास्तु और ज्योतिष के बीच का अंतर

नई दिल्ली, अध्यात्म। Vastu and Astrology: वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र दोनों ही व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वास्तु और ज्योतिष दोनों की ही अपना एक विशेष महत्व और नियम हैं। जिनका ध्यान रखने पर व्यक्ति कई तरह की समस्याओं से बच सकता है। साथ ही दोनों शास्त्रों में जीवन में आ रही परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए कुछ उपाय भी बताए जाते हैं। लेकिन क्या आप इन दोनों के बीच का अंतर जानते हैं? अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र के बीच का अंतर।

वास्तु शास्त्र क्या है?

वास्तु शास्त्र हिंदू प्रणाली में सबसे पुराने विज्ञानों में से एक है। वास्तु शास्त्र में दिशाओं का बहुत ही महत्व है। वास्तु शास्त्र घर, भवन अथवा मन्दिर निर्माण करने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है। जिसे अंग्रेजी में हम आर्किटेक्चर के नाम से जानते हैं। वास्तु शास्त्र यह भी बताता है कि जिन वस्तुओं का हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होता है उन्हें किस प्रकार रखा जाए। वस्तु शब्द से ही वास्तु का निर्माण हुआ है। ऐसा माना जाता है कि जब किसी भवन या घर के निर्माण और डिजाइन में वास्तु के सिद्धांतों का पालन किया जाता है तो यह सौभाग्य और समृद्धि लाता है।

जानें ज्योतिष शास्त्र का अर्थ

सूर्यादि ग्रह और काल का बोध कराने वाले शास्त्र को ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है। इसमें मुख्य रूप से ग्रह, नक्षत्र आदि के स्वरूप, संचार, परिभ्रमण काल, ग्रहण और स्थिति संबंधित घटनाओं का निरूपण एवं शुभ और अशुभ फलों का पता लगाया जाता है। इसके द्वारा किसी व्यक्ति के भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पता किया जा सकता है। साथ ही यह भी यह भी पती लगाया जा सकता है कि व्यक्ति के जीवन में कौन-कौन से अवरोध उसकी राह में रुकावट डाल सकते हैं। दरअसल इसका संबंध भी विज्ञान से ही है।

क्या है वास्तु और ज्योतिष शास्त्र में अंतर?

ज्योतिष एक वेदांग है, तो वहीं वास्तु शास्त्र अथर्ववेद के एक उपवेद स्थापत्य वेद पर आधारित है। ज्योतिष में जहां प्रत्यक्ष तौर पर व्यक्ति की कुंडली के जरिये अध्ययन किया जाता है, तो वहीं वास्तु में भी भवन की संरचना का व्यक्ति के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के बीच मुख्य अंतर यह है कि ज्योतिष खगोलीय पिंडों की व्याख्या और मानव पर उनके प्रभाव से संबंधित है, जबकि वास्तु शास्त्र, संतुलन और सद्भाव लाने के लिए इमारतों और घरों के डिजाइन और निर्माण पर केंद्रित है।

वास्तु और ज्योतिष शास्त्र के बीच सम्बन्ध

वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र दोनों ही प्राचीनकाल में विकसित हुए विज्ञान हैं। ज्योतिष शास्त्र और वास्तु शास्त्र न सिर्फ एक दूसरे के पूरक हैं, बल्कि दोनों के बीच में एक गहरा सम्बन्ध भी हैं। असल में ‘वास्तु शास्त्र’ ज्योतिष शास्त्र का ही एक विकसित भाग है। वास्तु और ज्योतिष दोनों में ही मानव पर पड़ने वाले सृष्टि के प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

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