क्या है Kashmir की पारंपरिक वास्तुकला, जिससे भूकंप के झटकों का इमारतों पर नहीं पड़ता कोई असर?

भूकंप यानी कुदरत का एक ऐसा कहर जो पलक झपकते ही बड़ी से बड़ी इमारत को मिट्टी में मिला देता है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी तकनीक (Earthquake Resistant Kashmiri Architecture) के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने कश्मीर की कुछ इमारतों को सिर्फ खूबसूरत ही नहीं बनाया बल्कि भूकंप के झटकों से बचाने का काम भी बखूबी निभाया है।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Publish:Mon, 01 Jul 2024 01:55 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jul 2024 01:55 PM (IST)
क्या है Kashmir की पारंपरिक वास्तुकला, जिससे भूकंप के झटकों का इमारतों पर नहीं पड़ता कोई असर?
बेहद खास है कश्मीर की पारंपरिक वास्तुकला (Image Source: X)

HighLights

  • आधुनिक भारत में पारंपरिक तकनीक के शानदार नमूने देखे जा सकते हैं।
  • NEIC के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल करीब 20 हजार भूकंप आते हैं।
  • कश्मीर की 'ताक' वास्तुकला बेहद खास है, जो इमारतों को भूकंप से बचाने में अहम भूमिका निभाती है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय भूकंप सूचना केंद्र (National Earthquake Information Center) के मुताबिक, हर साल दुनियाभर में करीब 20 हजार भूकंप आते हैं, यानी रोजाना लगभग 55 भूकंप। भारत के संदर्भ में देखें, तो एक दौर था जब श्रीनगर ऐसे 7 पुलों से जुड़ा हुआ था, जो पूरी तरह लकड़ी के बने हुए थे। बता दें, आगे चलकर यही लकड़ी कश्मीरी वास्तुकला (Kashmiri Architecture) की पहचान बन गई।

पारंपरिक वास्तुकला पर टिकी हैं अज़ीम-ओ-शान इमारतें

हेरिटेज होम हों या अज़ीम-ओ-शान मस्जिदें, कश्मीर की इमारतें प्राचीन तकनीकों पर टिकी हैं। ऐसी ही एक तकनीक का नाम है, ताक (TAQ)। इस तरह के कंस्ट्रक्शन में ईंट से बने हर खंभे के बीच खिड़कियां बनाई जाती हैं और 'ताक' होती है इन खिड़कियों के बीच की जगह। इस तरह के निर्माण में फर्श पर और भार संभाल रही दीवारों में लकड़ी की लेयर (Timber Interlacing Supports The Structure) लगाई जाती है।

यह भी पढ़ें- बेहद बेशकीमती है Kashmir की कानी शॉल, बनाने में लग जाते हैं कई साल, लाखों में है कीमत; PM Modi को है खास लगाव

कश्मीरी घरों की अहम खूबी

इमारत की दीवारों और फर्श को जोड़ने में लकड़ी अहम भूमिका निभाती है। यह भूकंप आने पर दीवारों को एक साथ हिलने पर मदद करती हैं, जिससे इमारत बड़े हादसे से बच जाती है। वैसे तो देवदार (Timber Wood) हर कश्मीरी घर की अहम खूबी हुआ करता था। वहीं, नरकूट (Wooden Beam) जो मकान का एक जरूरी हिस्सा होता है, यह पूरी इमारत को एक साथ पकड़ कर रखता है। बता दें, कि ऐसे घर को बनाने में देवदार का एक पूरा पेड़ इस्तेमाल में लाया जाता था। दिलचस्प बात है कि एक तरफ बाहर की दीवार टिम्बर की होती थी, तो वहीं अंदर का पूरा ढांचा लकड़ी का होता था और इसके ऊपर प्लास्ट्रिंग की जाती थी।

सोशल स्टेटस की पहचान थी 'ताक' कला

200 साल पुराना कश्मीर का जलाली हाउस (Jalali Heritage House) भी आज शायद 'ताक' तकनीक के बलबूते ही सलामत है। बता दें, कोई घर कितना बड़ा है, इस बात की पहचान पहले 'ताक' की संख्या से ही हो जाती थी। इस मामले में जलाली हाउस 12 'ताक' का घर है। इसके 12 दरवाजे हैं और यह परिवार के सोशल स्टैंडिंग और साइज ही पहचान भी रही है। इसकी खासियत है कि जैसे कोई लंबा पेड़ हवा के साथ हिलता है, ठीक उसी तरह भूकंप के झटकों पर इस तरह के कंस्ट्रक्शन भी हिलते हैं, जो कि झटके रुकने के बाद वापस अपनी जगह पर आ जाते हैं।

यह भी पढ़ें- भारत का ऐसा अनोखा मंदिर, जहां पत्थरों से भी निकलते हैं स्वर

2005 का भूकंप देता है गवाही

साल 2005 में कश्मीर में आए भूकंप में 80 हजार लोग मारे गए थे। गिरने वाले मकानों में स्टील और कंक्रीट की कंस्ट्रक्शन ही शामिल थीं, लेकिन 'ताक' तकनीक से बने मकानों में आपको एक भी दरार देखने को नहीं मिलेगी। बता दें, घर बनाने के लिए 'ताक' के अलावा एक और तकनीक इस्तेमाल की गई, जिसे कहते हैं धज्जी दीवारी (Dhajji Dewari-Interconnected Walls) और बड़ी इमारतों को बनाया गया, कीटर क्रिबेज तकनीक (Cator Cribbage Style) से। इन तीनों ही आर्किटेक्चर स्टाइल में जो एक चीज कॉमन है, वह है टिम्बर सीजनिंग तकनीक से।

भारतीय कारीगरों की काबिलियत का जीता-जागता सबूत

मिसाल की तौर पर आप श्रीनगर की जानी-मानी जगह, खानकाय मौला (Khanqah-E-Moula) को देख सकते हैं, जहां अकबर के जमाने से रूह को छू लेने वाली दुआओं की आवाजें गूंज रही हैं। अगर आप कश्मीरी मस्जिदों या खानकाय की बात करेंगे, तो यहां नजर आते हैं, पगोड़ा (Pagoda-Multi-Tiered Tower) की तरह दो या तीन मंजिला छतें, जिनकी चोटियां काफी ऊंची होती हैं। यह भी भूकंप के झटके को सह सकता है, यानी बिल्डिंग झूमेगी लेकिन गिर नहीं सकेगी।

सालों से सलामत खड़ी ये इमारतें वाकई भारतीय कारीगरों की काबिलियत का जीता-जागता सबूत है। अब जब आप कश्मीर जाएं, तो कुदरती खूबसूरती के साथ-साथ इन इमारतों को भी जरूर देख आएं।

यह भी पढ़ें- आपको हैरान कर देगा Unakoti का यह रहस्यमयी तीर्थस्थल, मौजूद हैं देवी-देवताओं की 99,99,999 मूर्तियां

chat bot
आपका साथी