रेल का खेल

By Edited By: Publish:Thu, 13 Feb 2014 05:45 AM (IST) Updated:Thu, 13 Feb 2014 06:02 AM (IST)
रेल का खेल

तेलंगाना पर उठे शोर में भले ही रेल मंत्री को बजट पेश करने में लोकसभा में मशक्कत करनी पड़ी लेकिन शांत हिमाचल प्रदेश में इस बात पर कोई टीस नहीं है कि इस बार भी इस आदर्श राज्य के हिस्से में कुछ नहीं आया है। अपने पानी से बिजली बना कर अन्य राज्यों को रोशन करने वाले हिमाचल प्रदेश में रेल विस्तार एक बार फिर दूर की कौड़ी बन कर रह गया है। रेलवे बजट में हिमाचल को ढूंढ़ना वैसा ही है जैसा अमेरिका के नक्शे में गंगा नदी को ढूंढ़ना। हर बार बजट में हिमाचल का जिक्र भले ही सर्वेक्षणों की सीटी सुनाने में आता था इस बार के बजट या कहें अंतरिम बजट में वह भी नहीं। इस बार हिमाचल उपेक्षा की जबरदस्त बर्फबारी के कारण शेष भारत से कटा दिखाई दे रहा है। ढांचा कमोबेश वही है जो अंग्रेज छोड़ गए थे। वही पटरियां, वहीं हांफते-खांसते इंजिन जो ऐसे बुजुर्गो की तरह दिखते हैं जिन्हें उनकी जरूरत के पहाड़ थकने की इजाजत नहीं देते। मुख्यमंत्री ने इस बार हिमाचल प्रदेश की अनदेखी पर केंद्र तक अपना पक्ष रखने का प्रयास किया था। मंत्रिमंडल ने आपदा राहत समेत जिन विषयों पर केंद्र का ध्यान आकृष्ट करवाने का प्रयास किया था, उनमें से एक रेल विस्तार भी था। मंडी की सांसद प्रतिभा सिंह तो हर मंत्री से मिल कर प्रदेश का पक्ष रखने के लिए चर्चा में रहीं। सांसद लोकसभा के हों या राज्यसभा के, ऐसा माना जा सकता है कि सबने अपनी-अपनी ओर से प्रयास किए होंगे। सब माना जा सकता है लेकिन अंतत: परिणाम यही है कि अंतरिम रेल बजट में हिमाचल ही गायब है। यह प्रदेश का दुर्भाग्य है कि राज्य अतिथियों के लिए प्रकृति का सानिध्य स्वागतमुद्रा में उपलब्ध करवाने वाले राज्य की बात ही नहीं सुनी जाती। यह समझा जा सकता है कि संख्याबल का लोकतंत्र में अपना महत्व होता है लेकिन प्रदेश के सात सांसद भी मिल कर आवाज बुलंद करें, अपनी आवाज सुनवाने का प्रयास करें तो ऐसी स्थिति नहीं आएगी कि रेलमंत्री के अट्ठारह पन्नों के बजट भाषण में चीन की सीमा से लगता प्रदेश की नदारद कर दिया जाए। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने भी लेह तक रेललाइन पहुंचाने के लिए प्रयास किए लेकिन केंद्र में हिमाचल का केंद्र कहां। हिमाचल का आलम यह है कि न रेल गुजरती है और न यह प्रदेश पुल सा थरथर्राता है। हिमाचल को जागना होगा।

[स्थानीय संपादकीय: हिमाचल प्रदेश]

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